(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Green Fuel: तेल के बढ़ते दाम को कंट्रोल करने में किसानों का अहम योगदान, ये है सरकार का पूरा प्लान
Green Fuel Ethanol: देश में बढ़ती पैट्रोल-डीजल की मांग, कीमत और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ग्रीन फ्यूल एथेनॉल को बढ़ावा दिया जा रहा है. ईंधन में इसके सम्मिश्रण से बड़ी समस्या हल हो सकती है.
Ethanol Production in India: देश में वायु प्रदूषण और ईंधन की महंगाई दोनों ही बेहद गंभीर समस्याएं बनती जा रही हैं. एक तरफ बढ़ती डीजल पेट्रोल की मांग और कीमत से आम जनता का हाल बेहाल हो रहा है. वहीं बढ़ता वायु प्रदूषण लोगों की सेहत पर बुरा असर डाल रहा है. यह जानकर ताज्जुब होगा कि इन दोनों ही समस्याओं का एक ही समाधान है.
जी हां, ये समाधान निकालने में किसान अहम रोल अदा रहे है. हम बात कर रहे हैं ग्रीन फ्यूल एथेनॉल (Green Fuel Ethanol) की, जो खेतों से निकली पराली, खाद्य पदार्थों के अवशेष और दूसरी कई चीजों से बनाया जा रहा है. वहीं देश में बढ़ती ईंधन की मांग को पूरा करने के लिए डीजल-पेट्रोल में एथेनॉल का मिश्रण किया जाता है. इससे वायु प्रदूषण को कम करने में काफी मदद मिल रही है. साथ ही किसानों को भी आर्थिक मजबूती मिल रही है.
देश में बनेंगे 199 एथेनॉल प्लांट
देश में बढ़ती पेट्रोल-डीजल की मांग, कीमत और वायु प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए ग्रीन फ्यूल एथेनॉल को बढ़ावा दिया जा रहा है. केंद्र सरकार ने करीब 199 एथेनॉल प्लांट स्थापित करने की मंजूरी दे दी है. इस योजना पर तेजी से काम चल रहा है. इनमें गोंड़ा में एशिया का सबसे बड़ा एथेनॉल प्लांट बनाकर तैयार है तो वहीं बरेली का एथेनॉल प्लांट भी दिसंबर में चालू कर दिया जायेगा. इसी के साथ हरियाणा के पानीपत में भी इथेनॉल प्लांट भी 900 करोड़ की लागत से तैयार हुआ है, जिसकी 100 लीटर इथेनॉल निर्माण क्षमता है. वहीं गुजरात के सूरत में कृभको (KRIBHKO) की बायो-इथेनॉल परियोजना को सिंतबर में शुरू कर दिया गया है.
गोंडा-बरेली में तैयार है प्लांट
उत्तर प्रदेश के बरेली में भी एथेनॉल प्लांट बनकर तैयार हो चुका है, जिसे दिसंबर तक चालू करने की योजना है. बरेली का ये एथेनॉल प्लांट करीब 25 एकड़ जमीन पर बना है. वहीं द्वारकेश शुगर मिल में एथेनॉल प्लांट तैयार है, जिसमें 175 किलो तक एथेनॉल निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. बता दें कि इन एथेनॉल प्लांट्स के संचालन के लिए गन्ना, ज्वार, मक्का, बाजरा, धान, गेहूं और दूसरे बीज-अवशेषों को किसानों से खरीदकर इस्तेमाल किया जायेगा .
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उत्तर प्रदेश के गोंड़ा में एशिया का सबसे बड़ा एथेनॉल प्लांट बनकर तैयार हो रहा है. ये यूनिट रोजाना 350 किलोलीटर एथेनॉल उत्पादन की क्षमता रखती है, जो बाकी प्लांट्स के कहीं ज्यादा है. इस एथेनॉल प्लांट के निर्माण में लगभग 455.84 करोड़ रुपये का खर्च आ चुका है. इस एथेनॉल प्लांट के संचालन के लिए रोजाना 50,000 क्विंटल गन्ने की खपत होगी. इससे 60,000 से अधिक किसानों को फायदा पहुंचेगा ही, साथ ही आस-पास के लोगों को रोजगार भी मिलेगा.
प्लांट में कैसे बनेगा एथेनॉल
बढ़ते प्रदूषण और महंगाई के बीच देश में एथेनॉल प्लांट और ग्रीन फ्यूल का निर्माण सुर्खियों में बन हुआ है. एथेनॉल को गन्ना, मक्का, सूखे चावल और किसी भी खाद्यान्न के अवशेषों से बनाया जाता है और ईंधन की खपत को पूरा करने के लिए डीजल-पैट्रोल सम्मिश्रण किया जाता है. केंद्र सरकार ने देश में करीब 199 एथेनॉल प्लांट स्थापित करने का लक्ष्य रखा है. साथ ही 2030 तक डीजल-पैट्रोल की खपत में 20 फीसदी एथेनॉल के मिश्रण की भी योजना है. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2020 तक 10 फीसदी एथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसे प्राप्त किया जा चुका है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
यह भी पढ़ें- इस राज्य ने खरीदा 52 लाख मीट्रिक टन धान, 72 घंटे के अंदर किसानों को मिला 10,000 करोड़ का भुगतान