Crop Management in Groundnut: खरीफ फसल चक्र की शुरुआत में ही बारिश पड़ने पर कई किसानों ने मूगफली (Groundnut Crop) की बुवाई का काम कर लिया था. ऐसे में कई फसलें 15-25 दिन की हो चुकी है, जिसमें फसल प्रबंधन (Groundnut Crop Management) और निगरानी करते रहना चाहिये. खासकर बारिश के बाद खेत में हानिकारक खरपतवार (Weed Management) उग जाते हैं, जो मिट्टी से सारा पोषण सोखकर फसल की बढ़वार को प्रभावित करते हैं. इसके साथ-साथ खेत में जल निकासी और उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management) का काम भी समय रहते निपटा लेना चाहिये.


खाद और उर्वरक प्रबंधन (Nutrition Management in Groundnut Crop)
मूंगफली की फसल को बढ़ने के लिये सही पोषण की जरूरत होती है. विशेषज्ञों की मानें तो मृदा स्वास्थ्य कार्ड  के आधार पर ही फसल में पोषण और उर्वरक प्रबंधन का काम करना चाहिये. आमतौर पर मूंगफली की फसल में नत्रजन, फॉफोरस, पोटाशियम, कैल्शियम, मैग्नीसियम, सल्फर, आयरन, मैग्नीज, ज़िंक, कॉपर, और बोरोन की जरूरत पड़ती है. इन उर्वरकों को जरूरत के हिसाब से खेत में डाल सकते हैं. किसान चाहें तो एनपीके उर्वरकों का भी बुरकाई कर सकते हैं. ध्यान रखें कि उर्वरकों के स्थान पर खेत में जरूरत के हिसाब से गोबर और कंपोस्ट खाद को जरूर डालें.



खरपतवार प्रबंधन (Weed Management in Groundnut Crop)
विभिन्न फसलों की खेती के दौरान खरपतवार का प्रकोप किसानों के लिये परेशानी का सबब बन जाती है. बता दें कि खरपतवार घासनुमा पौधे होते हैं, जो फसल की बढ़वार में रोड़ा बनते हैं. इनकी रोकथाम के लिये निराई-गुडाई करने की सलाह दी जाती है, जिससे इन हानिकारक पौधों को उखाड़कर नष्ट किया जा सके. 



  • विशेषज्ञों की मानें तो खरपतवारों से निजात पाने के लिये बुवाई से पहले खेत में गहरी जुताईयां लगाकर नीम की खली मिला देनी चाहिये.

  • मिट्टी को भुरभुरा बनाकर भी खरपतवारों को उगने से रोक सकते हैं. इसके लिये हर 1 महीने में 2-3 बार निराई-गुड़ाई करते रहें

  • फसल में निराई-गुड़ाई करने के कई फायदे होते हैं, इससे फसल की जड़ों को भी ऑक्सीजन मिल जाता है और मिट्टी के पोषक तत्व भी फसल को मिल पाते हैं.

  • खरपतवारों के रासायनिक नियंत्रण के लिये पैण्डीमिथैलिन की एक किलोग्राम मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से फसल पर छिड़काव करें. 



इन बातों का रखें खास ध्यान (Precautions during Crop Management in Groundnut) 
मूंगफली की बुवाई (Goundnut Farming) के बाद पहली बार फसल प्रबंधन करने में सावधानियां बरतने की जरूरत होती है, क्योंकि ऐसी स्थिति में फसल काफी नाजुक होती है.



  • वैसे तो मूंगफली की ज्यादातर सिंचाई बारिश पर निर्भर करती है, लेकिन कम बारिश होने पर भी फसल में नमी बनाये रखना जरूरी है.

  • मूंगफली की बुवाई देरी से की है, तो झुमका किस्म के पौधों पर मिट्टी चढ़ाने का काम जरूर कर लें.

  • मूंगफली की फसल से जमीन के ऊपर सुईयां निकलने पर निराई-गुड़ाई का काम नहीं करना चाहिये.

  • अकसर बारिश के कारण मूंगफली की फसल  में ज्यादा पानी भर जाता है, जो फसल और मिट्टी दोनों के लिये नुकसानदायक है.

  • ऐसी स्थिति में समय रहते खेत में जल निकासी का प्रबंध कर लें.

  • मूंगफली की फसल (Groundnut Cultivation) से अच्छी और स्वस्थ बढ़वार लेने के लिये जीवामृत (Jeevamrit) का छिड़काव खेत में करना लाभकारी रहता है.



Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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