Elephant Destroyed Crops: देश के अलग-अलग इलाकों में किसान आवारा और छुट्टा पशुओं से परेशान हैं. उत्तर प्रदेश में तो इन पशुओं के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाई गई है, ताकि इन्हें गौशाला पहुंचाया जा सके, लेकिन हाथियों को पकड़कर कहां छोड़कर आएं, ये प्रशासन के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. दरअसल, झारखंड के ग्रामीण इलाकों में आवारा पशु नहीं, बल्कि हाथियों का तांडव चल रहा है. यहां 55 से 60 हाथियों का झुंड रातोंरात फसल को तहस-नहस कर जाता है. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान तो झेलना पड़ता ही है, भरपाई करना भी मुश्किल हो रहा है, क्योंकि अब अधिकारी भी नुकसान का आकलन करने के लिए गांव में घुंसने से डर रहे हैं.
20 एकड़ फसल को किया बर्बाद
झारखंड के ग्रामीण इलाकों में हाथियों के घुंसने से फसल नुकसान की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. कुछ दिन पहले ही झारखंड में बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड में बड़ा नुकसान देखने को मिला था. अब रांची के बुंडू अनुमंडल में हाथियों के आंतक की खबरें छाई हुई है. यहां तमाड़ वनक्षेत्र के गांव में रात के समय 55 से 60 हाथियों ने प्रवेश किया और करीब 20 एकड़ सब्जी फसलों को कुचल दिया. इनमें आलू, मटर, सरसों, गोभी, टमाटर और बैंगन की सब्जियों की फसल शामिल थीं.
क्यों बढ़ रहा हाथियों का आतंक
जानकारी के लिए बता दें कि रांची के बुंडू अनुमंडल के ज्यादातर गांव तमाड़ वनक्षेत्र के आस-पास ही हैं, जिसके कारण हाथी और जंगली जानवरों की आवाजाही बनी रहती है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बुंडू अनुमंडल के तमाड़ वनक्षेत्र के उलिलोहर, लुपुंगडीह, कुर्कुटा, जिलिंगसेरेंग, डिम्बजर्जा और बमलाडीह समेत दर्जनों गांव में हाथियों के उत्पात की घटनाएं आम हो गई हैं. ये हाथी रात में गांव में प्रवेश करते हैं, गांव को घेर लेते है और बाद में खेत में जाकर आंतक मचाते हैं. गांव के लोग भी जान बचाने के लिए घरों में ही बंद हो जाते हैं.
खौफ में जी रहे ग्रामीण
स्थानीय लोगों ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि हर 2 से 3 दिन में हाथियों के आंतक की घटनाएं सामने आती रहती है. कई बार इन हाथियों को भगाने की कोशिश भी की गई है, लेकिन ये हाथी झाड़ियों में छिप जाते हैं और फिर वापस लौट आते हैं. ग्रामीणों को सावधानी भी बरतनी पड़ती है, क्योंकि हाथियों के झुंड में बेबी एलीफेंट भी होता है. यदि उसका व्यवहार बदल गया तो हाथी भी आक्रामक हो सकते हैं. इनसे निपटने के लिए अब वन विभाग के अधिकारियों ने गांव के लोगों को बम और पटाखे मुहैया करवाए हैं.
किसानों को नहीं मिला मुआवजा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड के वन क्षेत्रों के आसपास हाथियों की बढ़ती गतिविधियों से फसलों को भारी नुकसान हुआ है. जब तक ग्रामीण हाथियों को भगाने घरों से बाहर निकलते हैं, तब तक काफी फसलें बर्बाद हो जाती हैं. लाख मशक्कतों के बावजूद किसानों को कोई क्षतिपूर्ति मुआवजा नहीं मिलता, क्योंकि नुकसान का सही आकलन ही नहीं हो पाता. जंगलों के पास मौजूद ज्यादा इलाके आदिवासी बहुल और पिछड़े हैं, जहां नक्सल गतिविधियां चलती रहती है, इसलिए अधिकारी भी अब इन इलाकों में पैर रखने से भी सख्त परहेज करते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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