Grow Colorful Capsicum: अगर पुराने समय से लेकर आज की कृषि का मूल्याकन करें तो आधुनिकता के चलते जोखिम काफी कम हुआ. पहले बारिश के चलते खेतों की सब्जी खेतों में ही बर्बाद हो जाती थी. लेकिन आज पॉलीहाउस जैसी तकनीक को अपनाकर किसान भाई लागत से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. पॉलीहाउस तकनीक की बात करें तो कई किसान भाई पॉलीहाउस में बेमौसमी सब्जियां उगा लेते हैं. बाजार में इस तकनीक से उगी हुई सब्जियां दोगुना भाव पर बिकती हैं. किसान चाहें तो रंग-बिरंगी शिमला मिर्च की खेती भी पॉलीहाउस में कर सकते हैं.
ऐसे करें खेती
- पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की खेती से पहले उसकी नर्सरी तैयार कर लें.
- नर्सरी में उन्नत किस्म के बीजों का इस्तेमाल करें और समय पर सिंचाई करते रहें.
- करीब 6-8 दिनों में बीजों में अंकुरण हो जाता है और 4-6 हफ्तों में पौध रोपाई के लिये तैयार हो जाती है.
- पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की रोपाई मेड़ों पर प्लास्टिक मल्चिंग लगाकर की जाती है, इस तकनीक से सिंचाई के लिये अधिक पानी की जरूरत नहीं होती.
- पौधों की बढ़वार बनाये रखने के लिये नाइलॉन के तारों से पौधों को ऊपर की तरफ बांधकर सहारा दिया जाता है, जिससे सब्जियां जमीन को न छुयें.
- रोपाई के 60-65 दिनों बाद शिमला मिर्च तु़ड़ाई के लिये तैयार हो जाती है.
कमाई का जरिया पॉलीहाउस
आधुनिकता के इस दौर में अब किसान भी आधुनिक तकनीकों से जुड़ते जा रहे हैं. इसका फायदा उन्हें शुरुआत से ही होता है, क्योंकि पॉलीहाउस वन टाइम इनवेस्मेंट तकनीक है, जो सालों तक किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा कर दे देती है. इस तकनीक को लगाने के लिये अब केंद्र सरकार और राज्य सरकारें भी 50% तक का अनुदान किसानों को दे रही हैं. बात करें शिमला मिर्च की खेती की तो करीब एक हैक्टेयर में रंग-बिरंगी शिमला मिर्च उगाने पर भी कम क्षेत्र में अधिक पैदावार हासिल हो जाती है. खासकर 5 स्टार होटलों में रंग-बिरंगी शिमला मिर्च की मांग सालभर बनी रहती है. इसलिये बाजार उपलब्ध होने पर फसल के खराब होने का डर भी नहीं रहता.
बे-मौसम का कोई असर नहीं
जाहिर है कि भारत में प्री-मानसून सीजन शुरु हो गया है, ऐसे में कई फसलों को मौसम की मार का शिकार होना पड़ जाता है. लेकिन पॉलीहाउस में उगने वाली सब्जियां संरक्षित ढांचे और प्लास्टिक की छत के कारण सुरक्षित रहती है. इतना ही नहीं, संरक्षित ढांचे में कीडे और बीमारियों की संभावना भी कम ही रहती है. इसके अलावा, आवारा पशुओं के आतंक का भी कोई डर नहीं रहता है. हम कह सकते हैं कि पॉलीहाउस में किसान बेखौफ होकर खेती कर सकते हैं.
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