Green Vegetable Farming: खरीफ सीजन को बागवानी फसलों की खेती के लिहाज से बेहद अहम माना जाता है. इस सीजन में बारिश और मध्यम तापमान के चलते सब्जियां अच्छी बढ़त हासिल कर लेती हैं. खासकर पत्तेदार सब्जियों (Green Vegetable) की बात करें तो ये समय पालक की उन्नत खेती के लिये सबसे उपयुक्त है. वैसे तो पालक की खेती (Spinach Farming) ज्यादातर दिसबंर में की जाती है, लेकिन मध्यम तापमान रहने पर जून-जुलाई के बीच भी पालक का अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. अगर खेत में जल भराव और कीड़े-बीमारियों का ज्यादा जोखिम करता है तो पॉली हाउस (Polyhouse) या ग्रीन हाउस (Green House Farming) में भी पालक की उन्नत खेती करके दोगुना आमदनी ले सकते हैं.
पालक की खेती (Spinach Cultivation)
भारत में पालक की खेती तीनों फसल चक्र यानी रबी, खरीफ और जायद में की जाती है. अच्छी जल निकासी वाली हल्की दोमट मिट्टी में पालक के पत्तों की अच्छी पैदावार मिल जाती है.
- एक हेक्टेयर में पालक की खेती के लिये 30 किग्रा. बीज और छिटकवां विधि से खेती करने पर 40 से 45 किग्रा. बीजों की जरूरत पड़ती है.
- अच्छी और रोगमुक्त उपज लेने के लिये बुवाई से पहले 2 ग्राम कैप्टान से प्रति किलोग्राम बीजों का उपचार करें.
- वैसे तो जुलाई के अंत तक पालक की बुवाई कर देनी चाहिये, लेकिन तेज बारिश के कारण अगस्त तक बुवाई टालना ठीक रहता है.
- इसकी बुवाई के लिये कतार से कतार की 25 - 30 सेंटीमीटर रखें और पौध से पौध की दूरी 7 - 10 सेंटीमीटर होनी चाहिये.
- पालक की खेती के लिये जलवायु और मिट्टी के हिसाब से भी अधिक पैदावार वाली उन्नत किस्मों का चुनाव कर सकते हैं.
देसी पालक की खेती
बाजार में देसी पालक की काफी मांग रहती है. इसकी पत्तियां छोटी, चिकनी और अंडाकार होती है. जल्द पकने के कारण किसान ज्यादातर देसी पालक की खेती करते हैं.
विलायती पालक की खेती
देसी पालक से विपरीत, विलायती पालक के बीज कटीले और गोल होते हैं. कटीले बीजों को पहाड़ी और ठंडे इलाकों में उगाने पर ज्यादा लाभ मिलता है. वहीं गोल किस्मों की खेती मैदानी क्षेत्रों में की जाती है.
ऑल ग्रीन (All Green Spinach)
हरे पत्तेदार पालक की ये किस्म मात्रा 15 से 20 दिन में तैयार हो जाती है. एक बार बुवाई करने के बाद इससे 6 से 7 बार पत्तों की कटाई कर सकते हैं. बेशक ये एक अधिक पैदावार वाली किस्म है, लेकिन सर्दियों में इसकी खेती करने पर करीब 70 दिनों में बीज और पत्तियां लगती हैं.
पूसा हरित (Pusa Harit Spinach)
पहाड़ी इलाकों में साल भर की खपत को पूरा करने के लिये ज्यादातर किसान पूसा हरित से बुवाई का काम करते हैं. इसके पत्ते गहरे हरे रंग और बड़े आकार वाले होते हैं, जिनकी बढ़वार सीधे ऊपर की तरफ होती है. क्षारीय भूमि में इसकी खेती करने के अलग ही फायदे होते हैं.
पूसा ज्योति (Pusa Jyoti Spinach)
मुलायम, रसीली और बिना रेशे पत्तों की ये किस्म बड़े शहरों में काफी पसंद की जाती है. हालांकि इसका स्टोरेज करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, लेकिन ये एक जल्दी पकने वाली किस्म है, जिसके पत्ते तेजी से बढ़ते हैं.
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