Commercial Farming of Guava: इस साल खरीफ सीजन (Kharif Season) में मौसम की अनिश्चितताओं के कारण ज्यादातर किसानों के खेत अभी तक खाली पड़े हैं. यदि कम खर्च में सब्सिडी लेकर कुछ नया करना चाहते हैं तो अमरूद के बागों (Guava Orchards) का विकल्प सबसे अच्छा रहेगा. बता दें कि अमरूद के नये बाग लगाने के लिये अगस्त से लेकर सितम्बर का माह समय सबसे बेहतर रहता है.


इस समय उन्नत किस्म के पौधों की रोपाई (Guava Plantation) करने पर तेजी से विकास होता है. सामान्य तापमान वाले इलाकों में अमरूद की खेती (Guava Cultivation) करने पर ना ही सिंचाई का ज्यादा खर्च आता और ना ही देखभाल में ज्यादा लागत आती है. बस समय-समय पर बागों में प्रबंधन कार्य (Guava Orchards Management) कर लिये जाये, तो अच्छी आमदनी का इंतजाम हो सकता है.


अमरूद की खेती में खर्च
अमरूद के बागों में सबसे ज्यादा खर्चा सिर्फ शुरुआत के दो सालों में आता है. करीब एक हेक्टेयर जमीन पर अमरूद की खेती करने में 10 लाख रुपये की लागत आती है, जिसके बाद हर सीजन में 20 फल प्रति पौधा की दर से मिलने लगते हैं, जो कृषि बाजार में 50 रुपये किलो के हिसाब से बिक जाते हैं.


एक अनुमान के मुताबिक, दो सीजन में फलों की तुड़ाई करके 25 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तक आमदमी ले सकते हैं, जिसके बाद खर्च निकालकर 15 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा भी मिल सकता है. 


ये हैं अमरूद की उन्नत किस्में
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो अमरूद की उन्नत किस्मों को लगाकर साधारण किस्मों को मुकाबले अधिक उत्पादन ले सकते हैं. इन किस्मों में वीएनआर बिही, अर्का अमुलिया, अर्का किरण, हिसार सफेदा, हिसार सुर्खा, सफेद जैम और कोहिर सफेद आदि संकर किस्में शामिल हैं.


इसके अलावा एप्पल रंग, चित्तीदार, लखनऊ-49, ललित, श्वेता, अर्का मृदुला, सीडलेस, रेड फ्लैश, पंजाब पिंक, इलाहाबाद सफेदा, इलाहाबाद सुर्खा, इलाहाबाद मृदुला और पंत प्रभात आदि किस्में भी काफी लोकप्रिय हैं.


अमरूद की खेती पर सब्सिडी
रिपोर्ट्स की मानें तो देशभर में अमरूद की बागवानी को बढ़ावा देने के लिये कई प्रकार की सब्सिडी योजनायें चलाई जा रही है. इस बीच उद्यान विभाग करीब 20,000 तक की सब्सिडी दे रहा है. किसान चाहें तो उद्यान विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं.


इसके बाद लाभार्थी किसानों को पहले साल 11 हजार 502 रुपए प्रति हेक्टेयर और दूसरे-तीसरे साल में 4-4 हजार रुपए का अनुदान मिलेगा. किसान चाहें तो अमरूद की बागवानी के साथ दूसरी फसलों की अंतरवर्तीय खेती भी कर सकते हैं, जिससे बीच-बीच में अतिरिक्त आमदनी का भी इंतजाम हो जायेगा.


कम खर्च में बंपर आमदनी
अमरूद के बागों से अच्छी मात्रा में फलों का उत्पादन लेने के लिये जैविक विधि (Organic Farming of Guava) से ही खेत की तैयारी करनी चाहिये. इसके बाद प्रति हेक्टेयर खेत में अमरूद के 1200 पौधे लगा सकते हैं. जाहिर है कि जैविक विधि को सस्ता, सुंदर और टिकाऊ तकनीक विधि के तौर पर जानते हैं, लेकिन इसे और भी ज्यादा आधुनिक और किफायती बनाने के लिये ड्रिप इरिगेशन विधि (Drip Irrigation in Guava Orchards) से सिंचाई करनी चाहिये, जिससे बूंद-बूंद पानी की बचत होती है. चाहें तो जीवामृत और कंपोस्ट खाद (Compost in Gugava Orchards) का साथ-साथ नीम की खली और गौ मूत्र आधारित कीटनाशकों का इस्तेमाल करके कम खर्च में डबल उत्पादन (Guava Production)  ले सकते हैं.  


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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