Harad Production: पाकिस्तान से है कारोबार बंद! हरड़ मंगाने में अब इस देश ने भी मोड़ा मुंह, किसानों को हो सकता है लाखों का नुकसान
पाकिस्तान से भारत का हरड़ कारोबार पहले ही बंद हो गया. अफगानिस्तान बड़े पैमाने पर भारत से हरड़ खरीदता था. लेकिन इस बार ऐसा न होने से किसानों को नुकसान हुआ है.
Harad Export From India: देश की कई फसलें विदेशों में निर्यात की जाती है. इससे मोटा मुनाफा बुआई करने वाले किसानों को मिल जाता है. किसान भी फसलों की बुआई यह देखकर करते हैं कि किस देश में उस फसल की कितनी खपत हो जाती है. विदेशी निर्यातक भी देश के कारोबारियों से इसको लेकर संपर्क में रहते हैं. लेकिन हरड़ के मामले में किसानों को परेशान करने वाली खबर सामने आई है. पाकिस्तान से भारत के रिश्ते थोड़े बहुत ठीक रहे तो किसान देशी हरड़ को यहां एक्सपोर्ट कर देते थे. रिश्ते बिगड़ने पर पाकिस्तान से कारोबार बिल्कुल ठप हो गया. लेकिन अब जो देश हरड़ की मांग करते थे. उन्होंने ही इस बार मांग नहीं की. किसान परेशान हैं. उन्हें लाखों रुपये का नुकसान हो सकता है.
अफगानिस्तान ने नहीं मंगाई भारत से हरड़
दरअसल, हरड़ का उत्पादन हिमाचल प्रदेश में ठीक ठाक होता है. सिरमौर जिले से काफी हरड़ विदेशों में एक्सपोर्ट की जाती है. लेकिन इस बार हिमाचल में हरड़ बिक्री का बुरा हाल है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हरड़ (हरीतकी) के आर्डर न मिलने से इसकी बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई है. कारोबारियों का कहना है कि पाकिस्तान से हरड़ के आर्डर आते थे. लेकिन रिश्ते खराब होने से पाकिस्तान से कारोबार बंद हो गया है. इसके अलावा अफगानिस्तान से भारत को आर्डर मिल जाते थे. इस बार अफगानिस्तान ने भी कोई मांग नहीं की है.
देश की बड़ी मंडियों पर असर
जानकारों का कहना है कि हरड़ की खपत मुस्लिम देशों में अधिक होती है. वहां से ऑर्डर आते थे. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है. इसका असर जयपुर, दिल्ली, अमृतसर और होशियार जैसी हरड़ की बड़ी मंडियों पर भी पड़ा है. विदेशों से आर्डर न मिलने के कारण इन मंडियों के कारोबारियों ने भी स्थानीय किसानों से संपर्क नहीं किया है.
500 रुपये किलो की हरड़ 80 रुपये में बिक रही
हरड़ के कारोबारियों का कहना है कि जैसा हाल इस साल देखने को मिल रहा है. उससे किसानों को लाखों का नुकसान होना शुरू हो गया है. यदि विदेशों से हरड़ की मांग नहीं की गई तो किसान हरड़ की बुआई से मुंह मोड़ लेगा. सिरमौर में हाल यह हो गया है कि हरी हरड़ 20 रुपये किलो, जबकि भूनी हरड़ 80 रुपये किलो बिक रही है. जबकि भूनी हरड़ के दाम दो से तीन साल पहले 500 रुपये प्रति किलो रहा करते थे. इतना नुकसान किसान नहीं झेल पाएगा.
कारोबारियों के पास हजारों क्विंटल स्टॉक
कापफी संख्या में किसान ऐसे हैं, जो सस्ते दामों पर हरड़ नहीं बेचना चाहते हैं. उन्होंने इसे स्टॉक करना शुरू कर दिया है. इन किसानों को उम्मीद है कि विदेश से मांग होने पर आने वाले दिनों में हरड़ के दामों में तेजी आएगी. सिरमौर का पच्छाद इलाका हरड़ उत्पादन के लिए महशहूर है. स्टेट गवर्नमेंट हरड़ उत्पादन के लिए 500 रुपये प्रति क्विंटल फीस लेती है.
औषधीय गुणों से भरपूर है हरड़
हरड़ औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है. आयुर्वेद में इसे हरीतकी नाम से जाना जाता है. यह एक प्रसिद्ध जड़ी-बूटी है. ये त्रिफला में पाए जाने वाले तीन फलों में से एक है. यह डाइजेस्टिव सिस्टम को मजबूत करता है. एसिडिटी नहीं बनने देता है. इसके अलावा कफ और वात को भी ठीक करने का काम करता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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