Land Records: देश की एक बड़ी आबादी कृषि से आजीविका कमाती हैं. हमारे किसान दिन-रात मेहनत करके फसल की अच्छी पैदावार लेने हासिल करने में लगे रहते हैं. जब धीरे-धीरे मुनाफा बढ़ने लगता है तो खेती की जमीन का भी विस्तार करते हैं. सही मायनों में यह जमीन ही किसानों के लिए सब कुछ होती है. इसी के आधार पर ज्यादातर सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है, लेकिन कई वजहों से जमीन के कागजात स्पष्ट नहीं होते या गुम हो जाते हैं. पहले तो जमीन की जमाबंदी की फर्द निकलवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे, लेकिन किसानों की सुविधा के लिए सरकार ने लगभग सारे काम ऑनलाइन कर दिए हैं.
अब किसान चाहें तो ऑनलाइन ही अपनी जमीन की जमाबंदी डाउनलोड कर सकते हैं, जो सरकारी योजनाओं में आवेदन करने के लिए भी मान्य होगी. हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों के लिए भी एक ऐसा ही पोर्टल बनाया है, जिससे किसान अपने खेत की डिजिटल हस्ताक्षर फर्द डाउनलोड कर सकते हैं.
कैसे मिलेगी जमाबंदी की फर्द
हरियाणा राजस्व विभाग ने वैब-हैलरिस प्रणाली के माध्यम से राज्य की सभी 143 तहसीलों/उप-तहसीलों के भूमि अभिलेख प्रबंधन कार्यों का डिजीटलीकरण कर दिया है. कुछ समय पहले तक किसानों को जमाबंदी के सत्यापन के लिए कॉपी को पटवारी के पास जाना पड़ता था, जिसमें कई बार असुविधाएं भी हो जाती थीं, लेकिन आज हरियाणा सरकार ने jamabandi.nic.in पर ही सारी सुविधाएं दे दी हैं.
अच्छी बात तो यह है कि इस ऑनलाइन पोर्टल से डाउनलोड की गई जमाबंदी कानूनी तौर पर मान्य होगी. दरअसल, खेत की ऑनलाइन डाउनलोड की गई जमाबंदी या फर्द पर क्यूआर कोड अंकित रहेगा, जिसके चलते दस्तावेज को अपने आप में वेरिफाई माना जाएगा.
इसी फर्द पर लोन ले पाएंगे किसान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हरियाणा सरकार का नया jamabandi.nic.in सॉफ्टवेयर/ पोर्टल केंद्र सरकार के सहयोग से बना है. इससे निकली हर फर्द कानूनन मान्य होगी. इसका फायदा यह होगा कि किसान इस जमाबंदी की फर्द के आधार पर कृषि कार्यों के लिए लोन भी ले पाएंगे.
इस पोर्टल पर खेत के मालिक का नाम, खेत का नंबर या खसरा नंबर डालकर हरियाणा में किसी भी भूमि के स्वीकृत नामांतरण और जमाबंदी का विवरण देखने की सुविधा भी दी गई है. इस वेबसाइट पर कृषि संपत्ति के पंजीकरण और आवश्यक डोक्यूमेंट्स की सभी जानकारियां मौजूद हैं.
क्या होगी है जमाबंदी
जमाबंदी एक जमीन का महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसे राजस्व संपदा में 'रिकॉर्ड ऑफ राइट' में शामिल किया गया है. हर 5 साल में संशोधित होने वाले इस डोक्यूमेंट में जमीन का स्वामित्व, खेती और भूमि में पर सभी अधिकारों की जानकारी अप टू डेट रहती है.
हर गांव में खेत की जमाबंदी पटवारी द्वारा तैयार की जाती है, जिसका वेरिफिकेशन खुद राजस्व के अधिकारी करते हैं. यही किसान के मालिकाना हक को रिप्रजेंट करती है. इसी के आधार पर किसानों को ज्यादातर सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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