Mustard Farming: देश के ज्यादातर इलाकों में सर्दियां अपने पीक पर  हैं. एक तरफ पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और बारिश का दौर जारी है तो वहीं मैदानी इलाकों में भी शीतलहर ने जन-जीवन बेहाल कर दिया है. राजस्थान में रातोंरात फसलें बर्फ से जमती जा रही हैं तो हरियाणा, यूपी , पंजाब में पाले से फसल में नुकसान देखने को मिल रहा है. शीतलहर का प्रभाव इतना ज्यादा है किसानों के लिए भी फसलों की लगातार निगरानी करना मुश्किल हो रहा है. हरियाणा में यही हाल हैं. ज्यादातर जिलों में कड़ाके की ठंड देखने को मिल रही है. न्यूनतम तापमान भी गिरता जा रहा है, जिसका सीधा असर फसलों में पर पड़ रहा है. हिसार, भिवानी और महेंद्रगढ़ से सरसों और सब्जी फसलों में नुकसान देखने को मिल रहा है. ज्यादातर फसलें उन इलाकों में बर्बाद हो रहीं हैं, जहां पर्याप्त सिंचाई की व्यवस्था नहीं है. 


पाला पड़ने से फसल में नुकसान
जाहिर है कि तापमना में गिरावट का सबसे बुरा असर सब्जी और सरसों की फसल पर ही पड़ता है. इन दिनों ज्यादातर इलाकों में बोई गई सरसों में फूल आ रहे हैं. वहीं पाला जमने से सब्जी फसलों का भी विकास बाधित हो जाता है. हरियाणा में हिसार और भिवानी के किसानों की फसलें भी कुछ ऐसे ही मंजर से जूझ रही हैं.


किसानों को कहना है कि पिछले 4 से 5 दिनों के अंदर पाले से फसलों में काफी नुकसान देखने को मिल रहा है. खासतौर पर हिसार, भिवानी और महेंद्रगढ़ के उन गांव में ज्यादा फसलें बर्बाद हो रहीं, जहां सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. यदि अगले कुछ दिन और इसी तरह से मौसम की चाल रही तो नुकसान बढ़ भी सकता है.


हजारों एकड़ फसल प्रभावित 
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस रबी सीजन में हिसार के किसानों ने करीब 2.4 लाख एकड़ रकबे में सरसों की खेती की है. राजस्थान से सटे हरियाणा के इलाकों, खासतौर पर भिवानी में किसानों ने बड़े पैमाने पर सरसों और चना की बुवाई की है.


यहां पिछले 4-5 दिन से लगातार पाला पड़ रहा है. इससे भिवानी के ही सिवनी, लीलास, गेंदावास, झुप्पा कलां और झुप्पा खुर्द गांव में फसलों में नुकसान हो रहा है. इसका कारण है कि सिंचाई व्यवस्था का अभाव. इन इलाकों में नहर से सिंचाई की व्यवस्था नहीं है, जबकि किसानों ने बड़े पैमाने पर चना और सरसों की फसल लगाई है, जो अब चौपट होने की कगार पर है.


ये इलाके राजस्थान से भी सटे हुए हैं, जिसकी वजह है यहां रात का तापमान काफी नीचे चला जाता है. कई किसानों की फसलों में अभी से 80 फीसदी नुकसान हुआ है. यदि लगातार कुछ दिनों तक धूप ना निकले तो इस सीजन की मेहनत बेकार भी होने के आसार हैं.


सिंचाई से रोक सकते हैं नुकसान
रिपोर्ट में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में सरसों के एक्सपर्ट डॉ. राम अवतार बताते हैं कि लगातार 5 दिनों तक पाला पड़ने और सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था ना हो पाने के कारण हरियाणा के निचने इलाकों में सरसों की फसल में नुकसान हुआ है.


कुल नुकसान कितना है इसकी अनुमानित रिपोर्ट जल्द दारी कर दी जाएगी. इसी बीच कई इलाकों में पाला पड़ने के बावजूद नुकसान नहीं हुआ, क्योंकि वहां किसानों ने सरसों और सब्जी फसलों में सिंचाई का काम किया है.


शाम के समय हल्की सिंचाई करने पर पाले का बुरा असर फसल पर नहीं पड़ता. एक्सपर्ट ने यह भी बताया कि आने वाले कुछ दिन और पाले पड़ने के आसार है, उसके बाद तापमान बढ़ने से किसानों को राहत मिल जाएगी.  


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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