Contract Farming of Barley and Basmati Rice Cultivation: किसानों की आय बढ़ाने के लिये खेती-किसानी में नये-नये तरीके आजमाये जा रहे हैं. इन्हीं में शामिल है कांट्रेक्ट फार्मिंग (Contract farming) . भारत के कई राज्यों में कृषि उत्पादों की कांट्रेक्ट फार्मिंग की जा रही है, जिससे किसान बिना किसी टेंशन के मोटा पैसा कमा रहे हैं. इसी कड़ी में अब जौ और बासमती धान की कांट्रेक्ट फार्मिंग (Contract Farming of Basmati Rice and Barley) के लिये हरियाणा भी शामिल होने जा रहा है. इस संबंध में कृषि अधिकारियों को किसानों के बीच जौ और बासमती चावल की कांट्रेक्ट खेती के प्रति जागरुकता फैलाने के निर्देश दिये गये हैं.


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल (Haryana Chief Secretary Sanjeev Kaushal)  ने राज्य के कृषि अधिकारियों और हैफेड (HAFED) के अधिकारियों को जौ और बासमती चावल की खेती और निर्यात (Basmati Rice Cultivation) बढ़ाने के लिये कांट्रेक्ट फार्मिंग के प्रति किसानों को जागरुक करने के निर्देश दिये हैं, ताकि राज्य के किसानों को ज्यादा से ज्यादा कांट्रेक्ट फार्मिंग करने के मायने समझाकर प्रेरित किया जा सके. जानकारी के लिये बता दें कि  हैफेड संस्था पहले से ही अरब देशों में बासमती चावल के निर्यात (Basmati Rice Export) में किसानों की मदद कर रही है. 


बासमती धान की खेती का मुख्य केंद्र है हरियाणा (Basmati Rice Cultivation in Haryana)
पंजाब और हरियाणा को बासमती धान की सबसे बड़े उत्पादक राज्यों के तौर पर जानते हैं. वैसे तो  हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पश्चिम उत्तरप्रदेश और जम्मू-कश्मीर आदि राज्यों में बासमती धान उगाया जाता है, लेकिन पंजाब और हरियाणा में इसकी सबसे ज्यादा खेती होती है.  बता दें कि बासमती धान के विदेशी निर्यात में भी हरियाणा अहम भूमिका निभाता है. 



  • खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच भारत ने हरियाणा और पंजाब में उगे बासमती चावल का सबसे ज्यादा निर्यात किया गया.  

  • आमतौर पर भारत से साल भर कुल 40 लाख टन चावल निर्यात होता है, जिसमें से 40 प्रतिशत चावल अकेले हरियाणा की उपज होता है.

  • यहां से हर साल 15 से 18 हजार करोड़ रुपये का चावल निर्यात किया जाता है, जिसे करनाल, तरावड़ी, पानीपत, कैथल, अंबाला, सिरसा, कुरुक्षेत्र रानिया में उगाया जाता है.

  • हरियाणा सरकार (Haryana Government)  के इस कदम से बेहतर क्वालिटी का बासमती चावल (Basmati Rice) उगाने पर फोकस किया जा सकेगा, जिससे उपज को बाजार में बेहतर दाम मिल सकें.

  • यही कारण है कि बासमती धान की कांट्रेक्ट फार्मिंग (Contract Farming of Basmati Rice)को बढ़ावा देकर किसानों की दशा और दिशा दोनों में सुधार हो सकता है.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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