Subsidy Offer: मचान विधि से फलों की खेती करने पर मिलेंगे 70,000 रुपये, इस राज्य ने बढ़ा दी है अनुदान की राशि
Horticulture Subsidy: टिशू कल्चर और स्टेकिंग विधि के जरिये फलों की बागवानी करने पर किसानों को 50,000 से 70,000 तक का अनुदान दिया जाता है. अब क्षेत्रफल बढ़ाने के लिये सब्सिडी की रकम को भी बढ़ाया है.
Subsidy on Fruit Cultivation: किसान अब डबल आमदनी की तलाश में पारंपरिक फसलों के साथ-साथ फल, सब्जी, औषधीय पौधे जैसी बागवानी फसलों की खेती (Fruit Cultivation) पर फोकस कर रहे हैं. इस काम में केंद्र सरकार और राज्य सरकार भी बढ़-चढ़कर किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. खासकर नई कृषि तकनीकों की मदद से फलों की बागवानी (New Horticulture Techniques)करने पर अब राज्य स्तर पर किसानों को आर्थिक अनुदान दिया जाता है. इसी कड़ी में हरियाणा राज्य सरकार द्वारा टिशू कल्चर और स्टेकिंग विधि के जरिये फल और सब्जियों की बागवानी करने पर किसानों को 50,000 से 70,000 तक का अनुदान (Subsidy on Fruit Cultivation) दिया जाता है. वैसे तो राज्य के बागवानी विभाग की ओर से पहले से ही ये सब्सिडी योजनायें चलाई जा रही है, लेकिन बागवानी फसलों के क्षेत्रफल को बढ़ाने के लिये अब सब्सिडी की रकम को भी बढ़ दिया गया है.
केला की बागवानी पर सब्सिडी
भारत में अब खजूर की खेती (Subsidy on Date Palm Farming) के जरिये इसका उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. बेहतर पैदावार के लिये खजूर की उन्नत किस्म के पौधों की रोपाई की जा रही है. अब हरियाणा में भी खजूर की बागवानी की नींव रखते हुये राज्य के किसानों को 1 लाख 40 हजार रुपये प्रति एकड़ का अनुदान दिया जायेगा. ये अनुदान की राशि अगले 3 सालों के लिये उपलब्ध करवाई जायेगी, जिसके तहत किसानों को टिशू कल्चर तकनीक (Tissue Culture Plants of Date Palm) से तैयार किये गये खजूर के पौधों की रोपाई करनी होगी. बता दें कि खजूर के पौधों की रोपाई के लिये लाइनों के बीच 8 मीटर और पौधों के बीच भी 8 मीटर की दूरी रखने की सलाह दी जाती है.
नये बागों के लिये 50,000 रुपये का अनुदान
हरियाणा कृषि विभाग की ओर से किसानों को फलों के नये बाग लगाने के लिये करीब 50,000 रुपये का अनुदान दिया जायेगा. इस योजना को लेकर उपमंडल बागवानी अधिकारी रवींद्र कुमार ने मीडिया को बताया कि हरियाणा सरकार की तरफ से राज्य के किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिये नई-नई योजनाओं पर काम कर रही है. इन योजनाओं का लाभ लेकर किसान लाइन और पौधों के बीच 6 मीटर दूरी रखकर अनार, बेर, कीनू, अमरूद, आम, नींबू, आडू, आलूबुखारा, नाशपाती , बबूगोसा और ड्रैगन फ्रूट के पौधों की रोपाई करते हैं. इसके अलावा बेर, चीकू, लीची, आंवला व अन्य फलदार पौधों का बाग लगाने पर 6*7 मीटर पर पौधों की रोपाई करने पर 3 साल के लिये 25 हजार 500 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान दिया जायेगा.
अमरूद की बागवानी पर बढ़ाई सब्सिडी
हरियाणा में 6 मीटर * 6 मीटर की दूरी पर अमरूद के पौधों की रोपाई करने पर 3 साल के लिये 7,660 रूपए प्रति एकड़ की दर से अनुदान (Subsidy on Guava Cultivation) दिया जाता था. इसे बढ़ाकर अब 43 हजार रुपये प्रति एकड़ कर दिया गया है, ताकि किसान कम लागत में अमरूद की खेती की तरफ रुख कर सकें.
मचान विधि से बागवानी पर सब्सिडी
हरियाणा कृषि विभाग द्वारा सिर्फ बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर ही जोर नहीं है, बल्कि किसानों को बागवानी की स्मार्ट विधियों (Horticulture Techniques) को अपनाने के लिये भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. इन्हीं विधियों में मशहूर के स्टेकिंग तकनीक (Staking Farming) यानी मचान विधि, जिसका इस्तेमाल करके फल और सब्जियों की बागवानी करने पर 70,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से अनुदान (Subsidy on Staking Farming) अलग से किसानों को उपलब्ध करवाया जायेगा. इसके अलावा, एकीकृत बागवानी विकास मिशन (Integrated Horticulture Development Mission) के तहत राज्य के किसानों को अनार, बेर और कीनू की बागवानी के साथ-साथ मधुमक्खी पालन (Honey Bee Farming) करने के लिये सब्सिडी प्रदान की जाती है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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