Action on Stubble Burning: देश में धान की कटाई के बाद पराली जलाने के मामले कई गुना बढ़ जाते हैं. इस साल भी सबसे ज्यादा केस पंजाब और हरियाणा से ही सामने आये हैं. यहां राज्य सरकारों की तरफ से ​​जागरूकता अभियान, फ्री डीकंपोजर स्प्रे (Decomposer Spray) और सख्त कदम उठाने के बावजूद पराली जलाने की घटनायें थमने का नाम नहीं ले रहीं. ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी तक हरियाणा में पराली जलाने के 1925 मामले सामने आये हैं. वहीं 30 अक्टूबर तक के रुझानों बताते हैं कि पंजाब में सबसे ज्यादा 13 हजार 873 पराली जलाने (Stubble Burning) की घटनायें सामने आई हैं.


बेशक किसानों को जागरुक करने और पराली को निपटाने के लिए सरकारें लगातार काम कर रही हैं. इसके बावजूद पराली जलाने की घटनायें अच्छा संकेत नहीं है. इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए अब हरियाणा सरकार ने सख्त कदम उठाये हैं. राज्य में पराली जलाने पर एफआईआर और जुर्माना लगाने तक के निर्देश जारी कर दिये है. 


सख्त कदम उठाये पंजाब सरकार
जाहिर है कि पंजाब और हरियाणा की सीमायें आपस में मिलती हैं. ये दोनों ही कृषि प्रधान राज्य और यहां धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. यही कारण है कि धान की कटाई के बाद सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले भी इन्हीं राज्यों से सामने आते हैं. एक प्रेस वार्ता के दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण के बुरे परिणाम हर जगह देखने को मिलेंगे.


चाहे वो हरियाणा, पंजाब हो या चंडीगढ़, इसलिये पंजाब सरकार को जल्द से जल्द इस मुद्दे पर सख्त निर्णय लेना होगा. बता दें कि हरियाणा में पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त एक्शन लेते हुये 2,500 रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है. इस फैसले के बाद ही राज्य में ऐसे मामले कम हुये हैं. 


पराली प्रबंधन के लिए 1,000 रुपये अनुदान
हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए प्रबंधन कार्य और योजनायें चलाई जा रही है. पराली प्रबंधन (Stubble Management) के लिए कृषि उपकरण किराये पर उपलब्ध करवाये जा रहे हैं. राज्य में किसानों को एक एकड़ की पराली को निपटाने के लिए 100 रुपये प्रति क्विंटल यानी 1,000 रुपये अनुदान भी दिया जा रहा है. इसके अलावा, पराली को इकट्ठा करके बंडल बनाने के लिए 50 रुपये प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि और कृषि यंत्रों पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी भी दी जा रही है. किसान चाहें तो पराली प्रबंधन करने के लिये अपने खेतों में डी-कंपोजर का मुफ्त स्प्रे भी करवा सकते हैं, जिससे रबी सीजन में खाद का खर्चा भी बच सकता है. इसके लिए किसान जल्द से जल्द 'मेरी फसल-मेरा ब्यौरा' पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवायें.


एमएसपी पर पराली खरीदेगी सरकार
हर साल भारत में खरीफ धान की कटाई के बाद पराली जलाने की घटना प्रशासन के लिए सिर दर्द बन जाती है. इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए हरियाणा सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (Stubble on MSP) पर पराली खरीदने का फैसला किया है. इसके लिए राज्य सरकार ने एक पोर्टल भी बनाया है, जिससे किसानों को पराली खरीदने वाले औरउद्योगों तक पहुंचाया जा सके. इस पोर्टल पर पराली के ठेकेदारों और उद्योगों के बारे में सारी जानकारियां मौजूद होंगी. धान की कटाई के बाद अपनी पराली बेचने के लिए अब किसान इस पोर्टल के माध्यम से सीधा खरीददार से संपर्क कर पायेंगे. 






उद्योगों में हो रहा पराली का इस्तेमाल
प्रेस वार्ता के दौरान हरियाणा के सीएम खट्टर ने बताया कि राज्य में करीब 24 उद्योग ऐसे हैं, जिन्होंने ऊर्जा की खपत के लिए पराली खरीदने के फैसले पर सहमति जताई है. इस कड़ी में पानीपत स्थित इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) ने भी किसानों से पराली खरीदना शुरू कर दिया है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


यह भी पढ़ें- विदेशियों को खूब भाया देसी केला, पिछले 9 साल में इन राज्यों से हुआ 327 करोड़ का निर्यात