Sugarcane Production: गन्ने को पूरी दुनिया में कैश क्रॉप के नाम से जानते हैं. भारत में गन्ना की खेती को बड़े लेवल पर होती ही है, जिससे प्राप्त चीनी का निर्यात पूरी दुनिया में हो रहा है. हरियाणा भी गन्ना का बड़ा उत्पादक राज्य है. हाल ही में, हरियाणा सरकार ने गन्ने के दाम में 10 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया. पहले गन्ने का दाम 362 रुपये प्रति क्विंटल थे, जिसे बढ़ाकर 372 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. ये कीमतें गन्ना पेराई सत्र से लागू होंगे. ताज्जुब की बात यह है कि राज्य की चीनी मिलें घाटे में जा रही हैं. इसके बावजूद क्यों सरकार ने गन्ना के दामों में बढ़ोतरी की?
सरकार ने की किसानों से अपील
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गन्ना के दाम बढ़ाने की घोषणा की, क्योंकि काफी समय से राज्य के किसान इसे कीमत बढ़ाने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे. अब जब दाम बढ़ गए हैं तो राज्य सरकार ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे गन्ना की उपज को चीनी मिलों में ले जाना जारी रखें, जिससे मिलों का काम भी सुचारू ढंग से चलता रहे और वह बंद ना हो, क्योंकि यदि चीनी मिलें बंद हुई तो किसानों को भी गन्ना बेचने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
एक रिपोर्ट में सीएम खट्टर ने यह भी कहा कि बेशक कीमतें उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ाई गई है, लेकिन चीनी के प्रस्तावित दाम के मुकाबले किसानों को कहीं अधिक भुगतान गन्ना के लिए मिल रहा है, जिसके चलते चीनी मिलें लगातार घाटे में जा रही हैं. इस मामले पर सरकार ने किसानों के हितों की रक्षा प्राथमिकता से की है.
क्या सच में चीनी मिलों को हुआ घाटा
सरकार का दावा है कि हरियाणा की चीनी मिलें 5,293 करोड रुपये के घाटे में जा रही हैं. सरकारी मिलों में चीनी की रिकवरी 9.75% है, जबकि निजी मिलों से 10.24% की रिकवरी हो रही है. चीनी की रिकवरी बढ़ाने और मिलों को एक्स्ट्रा इनकम सोर्स प्रदान करने के लिए एथेनॉल और ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जा रही है.
सहकारी चीनी मिलों की भी क्षमता बढ़ाने पर काम चल रहा है. इस पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बताते हैं कि गन्ना की कीमतों के निर्धारण के लिए राज्य के कृषि मंत्री जेपी दलाल की अध्यक्षता में कमेटी का भी गठन किया गया था. इस कमेटी ने गन्ना किसानों की मांगों पर विशेष रिपोर्ट तैयार की और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को सौंप दी.
इस तरह बढ़ाई गई चीनी के दाम
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सबमिट कर दी, जिसमें किसानों, सहकारी विभाग और निजी मिलों के साथ-साथ कृषि विशेषज्ञ की सिफारिशें भी शामिल थी. इसमें गन्ने की कीमतों को 8 रुपये प्रति कुंतल तक बढ़ाने की बात कही गई थी, जबकि राउंड ऑफ कीमत निर्धारण करते हुए राज्य सरकार ने इसे 10 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ा दिया.
कब तक मिल जाता है गन्ना किसानों को भुगतान
हरियाणा सरकार का दावा है कि वह किसानों को समय पर भुगतान कर रही है. साल 2020-21 के आंकड़े बताते हैं कि किसानों को 2,628 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जबकि किसी भी किसान का भुगतान बकाया बाकी नहीं था.
इसके बाद साल 2021-22 में नारायणगढ़ चीनी मिल को छोड़कर राज्य भर के इंसानों को 2727.29 करोड रुपए की राशि की भरपाई की गई. राज्य सरकार ने सहकारी चीनी मिलों को निर्देश जारी किए हैं कि सप्ताह भर के अंदर गन्ना किसानों का भुगतान किया जाए.
इस बीच राज्य सरकार भी गन्ना किसानों के लिए एक सुनहरा मौका लेकर आई है, जिसके तहत योग्य किसान चाहे तो खुद भी चीनी मिलों का संचालन कर सकते हैं. इस प्रस्ताव पर सरकार किसानों के साथ विचार करने के लिए तैयार है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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