Agriculture Scheme: देश के कई इलाकों में आज ग्राउंड वाटर लेवल की समस्या गंभीर मुद्दा बनती जा रही है. इस समस्या के समाधान के लिए सरकारें लगातार प्रयासरत है. किसानों को पानी बचाने के तरीके बताए जा रहे हैं और इन तरीकों को अपनाने के लिए आर्थिक मदद भी मिल रही है. हरियाणा की सरकार भी राज्य के कई इलाकों में गिरते भूजल स्तर की समस्या का समाधान करने में लगी है. हाल ही में हरियाणा की सरकार एक खास स्कीम भी लेकर आई है, जिसके तहत खेत में बोरवेल लगवाकर ग्राउंड वाटर को फिर से ठीक कर सकते हैं. बोरवेल लगवाने पर 3 साल तक किसानों को ही देखभाल करनी होगी.  इस काम के लिए किसानों को सब्सिडी का भी प्रावधान किया गया है. जल्द ही इस योजना पर ब्लू प्रिंट तैयार हो जाएगा और किसानों को इसका लाभ दिया जाएगा.


इसके अलावा, हरियाणा के किसानों को पहले से भी कई पानी की बचत वाली योजनाओं सो जोड़ा गया है, जिसमें धान की जगह दूसरी फसल उगाने के लिए अनुदान योजना, सूक्ष्म सिंचाई योजना और मेरा पानी-मेरी विरासत योजना भी शामिल है.


धान की खेती छोड़ने पर 7,000 रुपये
हरियाणा की सरकार अब ज्यादा पानी की खपत वाली खेती को हतोत्साहित कर रही है. राज्य के किसान बड़े पैमाने पर धान की खेती करते हैं, जिसमें पानी की काफी मात्रा में खपत होती है. कृषि एक्सपर्ट बताते हैं कि 1 किलो चावल के उत्पादन में 3,000 लीटर पानी से सिंचाई होती है.


इस समस्या का समाधान करते हुए हरियाणा सरकार ने 'मेरा पानी मेरी विरासत' स्कीम भी चलाई है, जिसका मकसद धान की खेती की जगह फसल विविधिकरण को बढ़ावा देना है. यदि धान की खेती करने वाले किसान कम पानी की खपत वाली अन्य फसलें उगाते हैं तो सरकार से 7,000 रुपये प्रति एकड़ अनुदान के पात्र होंगे.


योजनाओं ने मिले सकारात्मक परिणाम
आज 'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना का लाभ लेकर किसानों ने लगभग 1 लाख एकड़ धान के क्षेत्रफल में दलहन, मक्का, बाजरा और सब्जियों का उत्पादन लिया है. इस योजना में एग्रो फॉरेस्ट्री यानी वानिकी को भी शामिल किया गया है.


इस स्कीम के तहत धान की जगह प्रति एकड़ में 400 पेड़ लगाने पर राज्य सरकार की तरफ से सालाना 10,000 रुपये प्रोत्साहन का प्रावधान है. इसके अलावा, हरियाणा सरकार का पूरा फोकस पर है, जिसमें  कृषि और बागवानी विभाग की ओर से किसानों को तकनीकी गाइडेंस भी दी जा रही है. 


माइक्रो इरिगेशन के लिए अनुदान
हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भूजल स्तर के नीचे गिरने से बढ़ रहे जल संकट की समस्या को उजागर किया. इस बीच किसानों को खेती में सूक्ष्म सिंचाई यानी माइक्रो इरिगेशन तकनीक अपनाने के लिए भी कहा, ताकि पानी की बचत करते हुए अन्य फसल से बेहतर उत्पादन लिया जा सके.


अच्छी खबर यह है कि सूक्ष्म सिंचाई तकनीक अपनाने के लिए राज्य सरकार 85 प्रतिशत की सब्सिडी भी देती है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों के जरिए 60 से 80 प्रतिशत पानी की बचत करके फसल की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है. इसके लिए केंद्र सरकार ने भी प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चलाई है.


इन इलाकों में कम हुआ भूजल का स्तर
हरियाणा के हर गांव में जल संसाधन प्राधिकरण द्वारा पीजोमीटर लगाए जा रहे हैं, जिससे ग्राउंड वाटर लेवल का पता लगाया जा सके. किसान तक की रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा के 36 ब्लॉक मेंहिरा भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है.  12 साल पहले पानी का स्तर 20 मीटर पर था, लेकिन गिरावट के बाद 40 मीटर तक पहुंच गया है. राज्य के करीब 11 ब्लॉक में धान की खेती रोक दी गई है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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