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Agri Innovation: खेती से जुड़े इस काम से स्कूल-कॉलेज के स्टूडेंट कमा रहे पॉकेट मनी, सरकार ने भी तैयार किया ये खास प्लान

Soil Testing Scheme: हरियाणा सरकार ने किसानों को हर एकड़ जमीन के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड देने का फैसला किया है. इसके लिए अगले 4 साल में 75 लाख मिट्टी के सैंपल इकट्ठा करके जांच करने का प्लान है.

Soil Health Card Scheme: देश का कृषि क्षेत्र तेजी विकास पथ पर तेजी से अग्रसर हो रहा है. इस सफर में किसान भी अहम रोल अदा कर रहे हैं, जिन्हें कृषि योजनाओं का सीधा सहयोग मिल रहा है. केंद्र सरकार की ने ऐसी ही एक कृषि योजना मृदा स्वास्थ्य कार्ड स्कीम (Soil Health Card Scheme) चलाई है, जिसके तहत किसानों के खेत की मिट्टी की जांच करके उन्हें मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है. इस कार्ड से किसान ये पता लगा सकते हैं कि फसल से सही उत्पादन के लिए मिट्टी में क्या-क्या चीज कितनी मात्रा में लगेगी. इससे खाद-उर्वरकों का संतुलित मात्रा में इस्तेमाल सुनिश्चित होता है.

यही वजह है कि राज्य सरकारें अब इस स्कीम को प्रमोट कर रही हैं. इसी कड़ी में हरियाणा सरकार 'हर खेत-स्वस्थ खेत' अभियान के तहत 4 साल में राज्य से 75 लाख मिट्टी के सैंपल जमा करके उनकी जांच करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके बाद किसानों को हर एकड़ जमीन के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी जारी किए जाएंगे.

बता दें कि इन दिनों मिट्टी की जांच (Soil Testing) के इस काम से स्कूल और कॉलेज के स्टूडेंट भी जुड़ते जा रहा हैं, जिससे कुछ नया सीखने के साथ-साथ थोड़ी बहुत कमाई भी हो रही है.

मिट्टी की जांच से पैसा कमा रहे स्टूडेंट
किसान तक की रिपोर्ट के मुताबिक, अब हरियाणा की सरकार ने मिट्टी की जांच के काम को सीधा स्कूल-कॉलेजों से जोड़ दिया है. अब खुद स्टूडेंट सॉइल टेस्टिंग के प्रोफेशन से जुड़ते जा रहे हैं, जिससे बच्चों को लर्निंग और कुछ पैसों की अर्निंग भी हो रही है. इस तरीके से साल 2022-23 में हरियाणा ने करीब 30 लाख नमूने इकट्ठे किए हैं, जो साल 2015-2020 से 8 गुना ज्यादा है.

अच्छी बात यह है कि किसान सहायकों और स्टूडेंट्स को मिट्टी की जांच के लिए हर सैंपल पर 40 रुपये का स्टाइपेंड मिल रहा है. इस अभियान के तहत हर विद्यार्थी अपनी गांव से ही मिट्टी के सैंपल इकट्ठा करके उनकी जांच कर रहा है.

युवाओं को मिलेगा रोजगार
हरियाणा में मिट्टी की जांच के इस अभियान से स्वरोजगार के अवसर खुलेंगे, हालांकि राज्य में मिट्टी की जांच अभियान से स्टूडेंट्स को जोड़ने की स्कीम अलग है. इसी लक्ष्य पर आधारित एक स्कीम के तहत कोई भी युवा किसान या प्रोफेशनल खुद की सॉइल टेस्ट लैब स्थापित कर सकता है.

एक अनुमान के मुताबिक, एक मृदा परीक्षण प्रयोगशाला यानी Soil Test Lab स्थापित करने में 5 लाख रुपये की लागत आती है. इस काम के लिए सरकार से 3.75 लाख रुपये की मदद मिल जाती है. एग्री बिजनेस-एग्री क्लीनिक स्कीम भी है. आर्थिक अनुदान में 60% केंद्र सरकार और 40% राज्य सरकारें वहन करती हैं.

यदि कोई भी किसान या युवा अपनी सॉइल टेस्ट लैब स्थापित करना चाहते हैं तो वो अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय में जाकर कृषि निदेशक से संपर्क कर सकता है. बता दें कि इस स्कीम के तहत मिट्टी का सैंपल इकट्ठा करने, जांच करने और सॉइल हेल्थ कार्ड (Soil Health Card) जारी करने के लिए 300 रुपये पर सैंपल दिए जाते हैं.

क्या है सरकार का सॉइल फर्टिलिटी मैप
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हरियाणा सरकार ने हर गांव के लिए मिट्टी की उर्वरता मापदंड तैयार करने का फैसला किया है. वैसे तो राज्य में पहले से ही सॉइल टेस्ट लैब का बड़ा नेटवर्क है. यहां हर 20 से 25 किलोमीटर के दायरे में एक मृदा जांच प्रयोगशाला (Soil Test Lab) है, जहां किसान अपने खेत की मिट्टी का सैंपल देकर जांच करवा सकते हैं.

डेटा के मुताबिक, हरियाणा में कुल 95 सॉइल टेस्ट लैब है, जहां हर साल 30 लाख मिट्टी की सैंपलों की जांच की जा सकती है. इसके अलावा, हरियाणा की सरकार बागवानी के विविधिकरण और एग्री बिजनेस (Agri Business) को बढ़ाना देने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही हैं.

इसी में 400 बागवानी समूहों की मैपिंग और 700 किसान उत्पादक संगठनों का गठन भी शामिल है. अब राज्य में बागवानी के क्षेत्र का विकास-विस्तार करने के लिए 33 एकीकृत पैक हाउस बनाए जा चुके हैं, जिसमें 35 पर काम चल रहा है और कुल 100 पैक हाउस स्थापित करने का प्लान है. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

इसे भी पढ़ें:- सिर्फ आधा एकड़ में खेती से हो रही लाखों की कमाई, हर एक पौधे से मिल जाते हैं 10 से 12 किलो फल! काफी सही है ये आइडिया

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