Vaikalpik Kheti Yojana: देश के कई इलाकों में भूजल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है. खासतौर पर उत्तर और मध्य भारत के धान उत्पादक इलाकों में यह बड़ी समस्या बनती जा रही है. यही वजह है कि अब राज्य सरकारें वैकल्पिक खेती को बढ़ावा दे रही हैं. पंजाब सरकार किसानों को धान की जगह दूसरी फसलें उगाने के लिए अनुदान दे रही है. राजस्थान में किसानों को नकदी फसलों के बीज उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. वहीं अब हरियाणा सरकार भी भूजल स्तर की बेहतरी के लिए धान की सीधी बिजाई और वैकल्पिक फसलों को प्रमोट कर रही है.


इसके लिए राज्य सरकार ने अलग-अलग दरों पर सब्सिडी का भी ऐलान किया है. यदि आप भी हरियाणा के किसान हैं तो आने वाले खरीफ सीजन में अनुदान का लाभ लेकर वैकल्पिक खेती की ओर बढ़ना चाहिए.


वैकल्पिक खेती के लिए अनुदान


जल संरक्षण के लिए हरियाणा सरकार फसल विविधिकरण को बढ़ावा दे रही है. साथ ही, मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत धान की जगह दूसरी नकदी फसलें उगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इस कड़ी में मक्का, कपास, दालें, तिलहन, सब्जियां/बागवानी, पोपलर और सफेदा की बागवानी को शामिल किया गया है.


धान की जगह ये फसलें उगाने पर किसान को 7,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से अनुदान मिलेगा. यदि किसान धान की खेती के बजाए खेतों को खाली रखते हैं, तब भी वैकल्पिक खेती योजना का लाभ ले सकते हैं.


क्या है वैकल्पिक खेती के फायदे


कई किसानों के मन में सवाल होते हैं कि क्या सच में धान की जगह दूसरी फसलें उगाने से भूजल की रिकवरी हो सकती हैं? इस मामले में विशेषज्ञों ने बताया कि धान की फसल में पानी की अधिक खपत है. यदि सही समय पर धान की सिंचाई ना की जाए तो ये जमीन से पानी सोखने लगती है.


वहीं वैकल्पिक खेती के लिए चिन्हित दूसरी फसलों में पानी की ज्यादा खपत नहीं है. दलहन-तिलहन और बागवानी फसलें भूजल और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को रिकवर करती हैं. 






धान की सीधी बिजाई पर अनुदान


हरियाणा में बासमती धान की खेती भी बड़े लेवल पर की जाती है. यहां से सऊदी अरब और कई विदेशी बाजारों में बासमती का निर्यात होता है, इसलिए धान की खेती करने के इच्छुक किसानों के लिए भी एक खास स्कीम चलाई है, जिसके तहत धान की सीधी बिजाई यानी डीएसआर तकनीक से बिजाई करने पर भी 4,000 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान मिलेगा.


इस तरकीब से भूजल का ज्यादा दोहन नहीं होता और मिट्टी की संरचना भी बेहतर रहती है. खेती में पानी की बचत के लिए राज्य के किसानों को ड्रिप इरिगेशन पर भी 80 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ मिल रहा है. अधिक जानकारी के लिए मेरा पानी मेरी विरासत पोर्टल या अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं.


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