Hari Khad Ki Kheti: उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से हमारी मिट्टी अपनी उपजाऊ शक्ति खोती जा रही है. इसकी रिकवरी के लिए जैविक खेती और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस मॉडल से जमीन को भी रसायनों से हो रहे नुकसान से बचाया जा सकेगा. साथ ही लोगों को हेल्दी कृषि उत्पाद उपलब्ध करवाए जा सकेंगे. इन दोनों खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारें भी अपने-अपने स्तर पर किसानों की मदद कर रही हैं. हरियाणा में भी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसी में शामिल है राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एवं फसल विविधिकरण योजना. इस स्कीम के तहत हरी खाद की खेती के लिए किसानों को प्रति एकड़ 720 रुपये के अनुदान का प्रावधान है.
हरी खाद की खेती पर अनुदान
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो यूरिया के बजाए हरी खाद सनई-ढेंचा एक बेस्ट इको फ्रैंडली ऑप्शन है. यूरिया के ज्यादा इस्तेमाल से मिट्टी की सेहत पर बुरा असर पड़ता है, जबकि हरी खाद की खेती के कोई साइ़ड इफेक्ट नहीं है. ये वातावरण में नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में मददगार है ही, मिट्टी में जीवांशों की संख्या भी बढ़ती है. हरी खाद से भूजल स्तर भी बेहतर पाया गया है, इसलिए हरी खाद ढेंचा की खेती पर 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है.
कैसे मिलेगा इस योजना का लाभ
यदि आप भी हरियाणा के किसान हैं तो ढेंचा के बीजों को अनुदान पर हासिल कर सकते हैं. इसके लिए मेरी फसल–मेरा ब्यौरा पोर्टल या www.agriharayana.gov.in पर 4 अप्रैल 2023 ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा दी गई है.
यहां ऑनलाइन एप्लीकेशन देने के बाद किसान को रजिस्ट्रेशन स्लिप, आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड समेत सभी आवश्यक दस्तावेजों की कॉपी हरियाणा बीज विकास निगम के बिक्री केंद्र पर सब्मिट करनी होगी. यही पर 20% राशि का भुगतान करके किसान भाई अनुदान पर हरी खाद का बीज हासिल कर सकते हैं
10 एकड़ पर अनुदान
हरियाणा सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, राज्य के किसानों को हरी खाद की खेती के लिए प्रति एकड़ 720 रुपये का अनुदान दिया जा रहा है. किसान भाई अधिकतम 10 एकड़ तक यानी 7200 रुपये तक अनुदान ले सकते हैं.
सरकार ने खेती की लागत को कम करते हुए 80 प्रतिशत खर्च वहन करने का प्रावधान किया है यानी किसान भाई सिर्फ 20 प्रतिशत सब्सिडी पर ढेंचा के बीज खरीद सकते हैं.
क्यों उगाएं हरी खाद?
जानकारी के लिए बता दें कि ढेंचा और सनई जैसी हरी खाद वाली फसलों की खेती करके फसल को काटकर मिट्टी में मिला जाता है, जहां ये गलकर अपने आप खाद में तब्दील हो जाती है. अच्छी बात यह भी है कि जब तपती गर्मी में ज्यादा खेत खाली पड़े रहते हैं.
ऐसे में हरी खाद की फसल खूब लहलहाती हैं. इसकी कटाई के बाद उसी खेत में दलहनी फसलें या धान की खेती भी कर सकते हैं. कम शब्दों में समझें तो हरी खाद मिट्टी की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में मददगार है.
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