Vegetable Farming Techniques: केंद्र और राज्य सरकारें अब बागवानी (Horticulture) के अधिक उत्पादन पर जोर दे रही हैं. इसके लिये किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों (New farming Techniques) का प्रयोग करने के लिये प्रेरित किया जा रहा है, ताकि फल और सब्जियों के उत्पादन (Vegetable Production) की लागत को कम किया जा सके और किसानों को आमदनी के अलावा मुनाफा भी मिल सके. इसके लिये अब हरियाणा बागवानी विभाग (Horticulture Department) ने भी अपनी योजनाओं में फेरबदल किया है.


राज्य बागवानी विभाग अब राज्य के किसानों को नई तकनीकों से बागवानी फसलों की खेती करने के लिये भारी दरों पर अनुदान (Subsidy on Horticulture Crops) देता है. इसमें जल संरक्षण से लेकर सिंचाई और फल-सब्जी उत्पादन तकनीकें शामिल हैं. किसानों को भी इन सब्सिडी योजनाओं का लाभ लेकर खेती की लागत को कम करने में खास मदद मिलेगी.


नई सिंचाई तकनीकों  पर अनुदान
लगातार गिरते भूजल स्तर के बीच सिंचाई के पारंपरिक तरीकों से सिर्फ पानी की बर्बादी होती है. इतना पानी फसलों को नहीं पहुंच पाता, जितना खेतों में बह-बहकर बर्बाद हो जाता है. यही कारण है कि सिंचाई के लिये ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई संयंत्रों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिये हरियाणा का बागवानी विभाग करीब 85 प्रतिशत तक अनुदान देता है.


मीडिया से बातचीत करते हुये यमुनानगर के जिला उद्यान अधिकारी डॉ. कृष्ण कुमार ने बताया कि रेड जोन के अंतर्गत आने वाले करीब 111 गांवों में सिंचाई की इन तकनीकों को अपनाने के लिये किसानों को शत प्रतिशत अनुदान भी मिलता है. इसके लिये किसानों को सिर्फ जीएसटी का भुगतान करना होता है. इन इलाकों में किसानों तक सब्सिडी योजनाओं का लाभ पहुंचाने और इनकी जानकारी साझा करने के लिये जागरुकता कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं.


बांस विधि से खेती पर सब्सिडी
जाहिर है कि बागवानी फसलों के बेहतर विकास के लिये अच्छी मात्रा में सिंचाई साधनों की जरूरत पड़ती है. ऐसे में किसानों को बांस विधि से टमटार की खेती करने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है. इससे किसान 15 से 20 लीटर तक पानी बचा सकते हैं.


ये एक इको फ्रैंडली तकनीक है, जिसके तहत किसानों को प्रति एकड़ खेत में करीब 558 बांस लगाने होंगे. टमाटर के साथ-साथ दूसरी सब्जियों की बांस विधि से खेती करने के लिये करीब 31, 250 रुपये का अनुदान दिया जा रहा है. इसके अलावा फसल के लिये भी सरकार अलग से 15,000 रुपये का अनुदान देती है. 


आयरन स्टीक विधि पर सब्सिडी
स्टेकिंग विधि की तरह ही लोहे के एंगल लगाकर आयरन स्टीक बनाई जाती है. बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ाने वाली ये शानदार तकनीक किसानों के लिये वरदान साबित हो सकती है. इसी कृषि तकनीक को लगाने पर हरियाणा उद्यान विभाग करीब 70,500 रुपये प्रति एकड़ तक की सब्सिडी देता है.


इस तकनीक से खेती करने के लिये एक एकड़ में करीब 250 एंगल लगाने होंगे. इसके अलावा पाली सीट के साथ खेती करने के लिये भी 6,400 रुपये के हिसाब से सब्सिडी दी जायेगी.
 
यहां करें आवेदन
जाहिर है कि धान की कटाई (Paddy Harvesting) का समय चल रहा है. इस बीच वातावरण में हल्की नमी भी कायम रहती है. ऐसे में किसान अलग-अलग तकनीकों की मदद से सब्जियों की खेती (Vegetable Farming) करके अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. राज्य सरकार द्वारा मिल रहे अनुदान (Subsidy on farming Techniques) से खेती की लागत भी कम हो जायेगी. इन सभी कृषि तकनीकों पर अनुदान का लाभ लेने के लिये  मेरा पानी मेरी विरासत पोर्टल पर पंजीकरण करवाना होगा.


नियमों के मुताबिक, हर किसान करीब 5 एकड़ जमीन के लिये आवेदन कर सकता हैं. बता दें कि सब्सिडी का लाभ सिर्फ खेती और सिंचाई की नई तकनीकों (New Irrigation Techniques) को अपनाने पर ही मिलेगा. साधारण विधि से खेती करने पर अनुदान नहीं मिलेगा.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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