All Well with Aloe Vera: कोरोना महामारी के बाद से पूरी दुनिया ने आयुर्वेद की कीमत को सही मायनों में समझा है. यही कारण है कि दुनियाभर के देशों में अब हर्बल उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ने लगी है. ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय बाजार की मांग को पूरा करना भी किसानों के लिये चुनौतीपूर्ण काम बन जाता है. लेकिन हर्बल फसलों को उगाकर किसानों को कई गुना फायदा भी मिलता है. किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने वाली फसलों में शामिल है एलोवेरा. दुनिया के कुल उत्पादन का 47% एलोवेरा भारत ही उगाया जाता है. बता दें कि औषधीय गुणों से भरपूर एलोवेरा में कई बीमारियों को दूर करने की शक्ति होती है.
कैसे करें खेती
एलोवेरा की खेती को बंजर जमीन में भी उगाया जा सकता है. हालांकि फसल से ज्यादा जैल या गूदा इकट्ठा करने के लिये समय-समय पर सिंचाई करना बेहद जरूरी है. एलोवेरा के कंदों यानी जड़ों की बुवाई बरसात के मौसम में की जाती है. इसे कतारों में 1-1 मीटर का फासला रखकर बोया जाता है. इस तरह एक एकड़ जमीन पर किसान 40,000 एलोवेरा के पौधों की रोपाई कर सकते हैं. एक बार इसकी रोपाई करने पर 4-5 साल तक अच्छा उत्पादन और आमदनी दोनों मिलती रहती है.
खेती के साथ करें प्रसंस्करण
भारत में ग्वारपाठा के नाम से मशहूर एलोवेरा की खेती के साथ-साथ प्रसंस्करण को बढ़ावा दिया जा रहा है. बाजार में एलोवेरा से बने जैल, जूस और कैप्सूल आदि की काफी मांग है. ऐसे में किसान इसकी खेती के साथ-साथ इसकी प्रसंस्करण यूनिट लगाकर दोगुना आमदनी अर्जित कर सकते हैं. जहां एलोवेरा से कई उत्पाद बनाये जाते हैं.
- सबसे पहले एलोवेरा को कटाई के बाद पोटेशियम में डालकर गर्म पानी से धोया जाता है
- इसके बाद एलोवेरा को काटकर इसके टुकड़े करके दोबारा साफ गर्म पानी में डालकर निकाला जाता है.
- एलोवेरा से जूस निकालने के लिये जैल को ब्लैंडिंग मशीन में डालते हैं
- ब्लैंडिंग के बाद जूस को 70 डिग्री तापमान पर गर्म करके छान लिया जाता है.
- छानकर एलोवेरा के जेल को ठंडा करने के लिये फ्रीजर में रखा जाता है.
इस प्रकार किसान भाई एलोवेरा की खेती के साथ-साथ इसका प्रसंस्करण यानी प्रोसेसिंग करके अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं. इसके लिये सरकार किसानों को आर्थिक अनुदान भी देती है. अगर आप भी एलोवेरा की खेती या इसकी प्रोसेसिंग यूनिट शुरू करना चाहते हैं तो कृषि विभाग के नजदीकी कार्यालय या कृषि विज्ञान केंद्र में संपर्क कर सकते हैं.
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