मई में हो रही बारिश से भले ही मौसम सुहावना हो रहा है, लेकिन इस बारिश से किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. देश के कई राज्यों के किसानों को काफी नुकसान हुआ है, जिसमें हिमाचल प्रदेश के किसान भी शामिल हैं. बारिश ने हिमाचल प्रदेश के किसानों के लिए दोहरी परेशानी खड़ी कर दी है. उन्हें इस वजह से मौसमी फसलों को लेकर बड़ा नुकसान हुआ है. प्रदेश के आपात संचालन केंद्र के आंकड़ों के हिसाब से देखें तो इस साल नौ मई तक फसलों और फलों का करीब 104 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
किसानों को हुए इस नुकसान में 40.60 करोड़ रुपये का नुकसान कृषि उपज और 63.42 करोड़ रुपये का फलों का नुकसान शामिल हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, राज्य कृषि निदेशक राजेश कौशिक ने कहा कि सर्दियों में गेहूं के बीज की बुआई के बाद लंबे वक्त तक शुष्क मौसम रहा. इसके बाद गर्मियों में फसल की कटाई के वक्त बेमौसम बारिश हुई जिससे राज्य में गेहूं की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ. राज्य में 3.30 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की फसल की बुआई की गई थी और 6.17 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य है.
अब बारिश और खराब मौसम की वजह से सेब की खेती पर भी काफी असर पड़ा है. फ्रूट वेजिटेबल फ्लॉवर ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश चौहान का कहना है कम बारिश और बर्फबारी के कारण अच्छी गुणवत्ता वाले सेबों के लिए जरूरी नमी बनाए रखना मुश्किल हो गया. उन्होंने कहा कि अप्रैल और मई में ओलावृष्टि से सेब की वृद्धि पर असर पड़ा है, क्योंकि गर्मी न पड़ने से सेब का आकार प्रभावित होता है.
चौहान का कहना है कि पारंपरिक सेब की किस्मों के लिए करीब 800-1200 घंटों की ठंड की जरूरत पड़ती है. उन्होंने कहा कि 2022-23 में 3.52 करोड़ पेटी सेब का उत्पादन किया गया था और इस साल अनियमित मौसम की वजह से इसमें 30-40 प्रतिशत का नुकसान हो सकता है. बता दें कि प्रदेश में 94,000 हेक्टियर भूमि पर सेब की बागवानी की जाती है.
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में एक जनवरी से 28 फरवरी के बीच सर्दी के मौसम में औसत 187.1 मिमी की तुलना में 117 मिमी बारिश हुई. इसमें यह 37 फीसदी की कमी है. वहीं एक मार्च से 10 मई के बीच मानसून पूर्व मौसम में 12 प्रतिशत की अधिक बारिश हुई. इस दौरान बारिश का औसत 199.4 मिमी है जबकि 222.4 मिमी वर्षा हुई. मई के शुरुआती नौ दिनों में लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिलों में बर्फबारी हुई है.
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