Home Remedies to Increase Milk Production: सफल पशुपालन और डेयरी व्यवसाय (Animal Husbandry & Dairy farming) की दो ही निशानियां होती हैं. एक तो पशुओं का बेहतर स्वास्थ्य और दूसरा अच्छी मात्रा में दूध उत्पादन (Highest Milk Production). इस उद्देश्य को हासिल करने के लिये पशुओं का रखरखाव, साफ-सफाई और खान-पान, सेहत और सैर-सपाटे पर काफी ध्यान रखना होता है. इसके लिये कई लोग पशुओं को इंजेक्शन और दवायें भी देते हैं, जो पशुओं की सेहत के लिये हानिकारक होते हैं.
 ऐसी स्थिति में पशु चिकित्सक भी देसी और घरेलू उपायों (Home Remedies to Increase Milk Production) को अपनाने की सलाह देते हैं, जो पशुओं के लिये पूरी तरह सुरक्षित होते हैं और इनके लिये पशुपालकों को अलग से खर्चा करने की जरूरत भी नहीं होती. 


पशुओं की खुराक पर ध्यान दें
अधिक दूध उत्पादन के लिये पशुओं की खुराक पर ध्यान देना जरूरी है. सिर्फ हरा चारा या भूसी खिलाकर दूध उत्पादन नहीं बढ़ा सकते है, इसलिये गेहूं का दलिया, मक्का का चारा, जौ का चारा, दालों के छिलके, सरसों और बिनौले की खली आदि भी पशु आहार में जोड़ें.


इस तरह खिलायें चारा
पशुओं को सिर्फ हरा चारा खिलाने से दूध उत्पादन नहीं बढेगा, इसलिये हरे चारे या सूखे चारे के साथ मिनरल और कैल्शियम की भी आपूर्ति करें. इसके लिये पशु विशेषज्ञों की सलाह लेकर प्रो पाउडर, मिल्क बूस्टर, मिल्कगेन आदि पशुओं को चारे के साथ खिला सकते हैं.


कितनी मात्रा में बनायें पशु आहार
एक संतुलित आहार ही पशुओं की सेहत और दूध उत्पादन को बेहतर बना सकता है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये पशु को रोजाना 20 किग्रा. हरा चारा, 4 से 5 किग्रा सूखा चारा और 2 से 3 किग्रा अनाज और दालों का दाना मिलाकर पशुओं का जरूर खिलायें.



  • ध्यान रखें कि पशुओं को आहार किलाने से पहले कम से कम 4 से 5 घंटे के लिये दाने को भिगो देना चाहिये, ताकि पशुओं को आहार पचाने में कोई परेशानी ना हो.

  • पशु विशेषज्ञों की मानें तो अच्छे फैट वाले दूध के लिये पशु आहार में  कैल्शियम, मिनरल मिक्सचर, नमक, प्रोटीन, वसा, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट की आपूर्ति करते रहें.

  • पशुओं को साधारण हरा चारा ना खिलायें, बल्कि नेपियर घास, अल्फा, बरसीम, लोबिया, मक्का की उन्नत किस्मों का चारा भी खिलाते रहें.


पशुओं की सेहत मेंटेन करें
अकसर पशुओं की खराब सेहत के कारण भी दूध उत्पादन कम हो जाता है. इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे- पशु बाड़े में गंदगी रहना, पशुओं के आस-पास शोर-शराबा होना, पशुओं की बेकद्री करना और उनकी देखभाल ना करना आदि. इन परिस्थितियों में पशु तनावग्रस्त हो जाते हैं और दूध नहीं दे पाते. 



  • रोजाना सुबह और शाम पशुओं के तबेले या खुले बाड़े की भी साफ-सफाई करें और पशुओं को सैर-सपाटे पर ले जायें.

  • पशु बाड़े से मक्खी-मच्छरों को प्रकोप दूर करने के लिये गोबर के कंडे और नीम की पत्तियों की धुआं दें. इस दौरान पशुओं को तबेले के बाहर निकाल दें.

  • पशुओं के शरीर का तापमान कंट्रोल करने के लिये उन्हें रोजाना ठंडे और ताजा पानी से नहलाना चाहिये.

  • अकसर पशुओं में पानी की कमी के कारण भी दूध उत्पादन कम हो जाता है, इसलिये समय-समय पर पशुओं को शुद्ध-ताजा पानी पिलाते रहें.


औषधीय उपचार करें
अकसर उम्रदराज होते दुधारु पशुओं में भी दूध उत्पादन कम होने लगता है. ऐसे में उनका स्वास्थ्य और दूध उत्पादन मेंटेन (Maintain Milk Production) करने के लिये पशु आहार के साथ हल्दी, शतावर, अजवाइन, सौंठ, सफेद मसूली दे सकते हैं. इन उपायों (Herbal Remedies for Milk Production) से पशुओं की रोग प्रतिरोधी क्षमता मजबूत होती और पशु तंदुरुस्त (Animal Health) बनते हैं. ध्यान रखें की इन जड़ी-बूटियों की संतुलित मात्रा ही पशुओं का खिलायें.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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