Genetically Modified: क्या है जीएम तकनीक, क्यों हो रहा है जीएम सरसों का विरोध, सेहत और रोजगार से जुड़ा है पूरा मामला
GM Mustard: जीईएसी से जीएम सरसों को मंजूरी मिलने के बाद कई स्वयंसेवी कार्यकर्ता, हरित समूह और मधुमक्खी पालकों ने विरोध किया है. ये मामला सीधा पर्यावरण, सेहत और लाखों किसानों के रोजगार से जुड़ा है.
GM Dhara Mustard-11: भारत सरकार अब खाद्य तेल उत्पादन और तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम कर रही है. इसी कड़ी में पर्यावरण मंत्रालय के तहत आने वाली जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) ने सरसों की व्यवसायिक खेती को मंजूरी दे दी है. विशेषज्ञों की मानें तो सरसों यानी आनुवंशिक रूप से संशोधित सरसों की व्यावसायिक खेती से खाद्य तेल का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी और दूसरे देशों पर निर्भरता दूर होगी, लेकिन पर्यावरण मंत्रालय ने इस प्रस्तावित मामले पर कोई फैसला नहीं किया.
वहीं जीएम सरसों धारा मस्टर्ड-11 (Dhara Mustard-11) को जीईएसी से मंजूरी मिलने के बाद कई स्वयंसेवी कार्यकर्ता, किसान संगठन और मधुमक्खी पालकों ने विरोध किया है. आइए बताते हैं आखिर क्यों जीएम सरसों (GM Mustard) का विरोध हो रहा है और किस तरह यह मामला सीधा पर्यावरण, सेहत और लाखों किसानों के रोजगार से जुड़ा है.
क्या है जीएम तकनीक
जीएम यानी जेनेटिकली मोडिफाइड (Genetically Modified) एक वैज्ञानिक तकनीक है. कृषि में इसका इस्तेमाल उन्नत किस्मों के विकास के लिए किया जा रहा है. यह किस्म जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों के बीच भी बेहतर उत्पादन देती है. विशेषज्ञों की मानें तो जीएम तकनीक में जीवों और पौधों के डीएनए को अप्राकृतिक रूप से बदल दिया जाता है. इस वैज्ञानिक प्रक्रिया में वनस्पति का जीन निकालकर दूसरे में ट्रांसफर किया जाता है. जीएम सरसों में भी कुछ ऐसे ही प्रयोग किए गए हैं. सरसों के फूल में स्व-परागण रोककर नर नपुंसकता पैदा की गई है. इसके बाद हवा, तितली, मधुमक्खी और जीवांशो के परागण से धारा मस्टर्ड-11 सरसों तैयार हुई है.
इसी तकनीक से बीटी कपास को भी तैयार किया गया है, जिसे साल 2022 में मंजूरी मिली थी. वहीं साल 2009 में बीटी बैंगन की व्यावसायिक खेती को भी अप्रूव कर दिया गया था, लेकिन जीएम तकनीक से विकसित कृषि खाद्य उत्पादों को लेकर काफी विरोध देखा जा रहा है, जिसमें जीएम बैंगन और जीएम सरसों शामिल है. हरित समूह और मधुमक्खी पालकों ने पहले भी जीएम बैंगन और जीएम सरसों का विरोध किया था, जिसके बाद पर्यावरण मंत्रालय ने भी कृषि खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण का हवाला देकर जीएम सरसों की खेती को मंजूर नहीं किया है.
क्यों हो रहा है जीएम सरसों का विरोध
भारत में सरसों की खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन का भी चलन है. सरसों से बेहद अच्छी क्वालिटी का शहद मिलता है. देश-विदेश में सरसों के प्राकृतिक शहद की काफी मांग रहती है, लेकिन धारा मास्टर 11 जीएम सरसों की खेती को लेकर कई हरित समूह और मधुमक्खी पालनों ने विरोध किया है. इसका प्रमुख यह है कि मधुमक्खियां सरसों का परागण करके शहद इकट्ठा करती हैं, लेकिन कई देशों में चिकित्सा के गुणों के कारण जीएम मुक्त सरसों से तैयार शहद ही इस्तेमाल किया जाता है.
यही कारण है कि जीएम सरसों की खेती से न सिर्फ शहद की क्वालिटी प्रभावित होगी, बल्कि शहद का निर्यात भी कम हो सकता है. इस मामले में मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में कार्यरत कनफेडरेशन ऑफ एपीकल्चर इंडस्ट्री सीएआई का मानना है कि भारत में जीएम सरसों की खेती होने पर लाखों मधुमक्खी पालकों को अपना शहद निर्यात करने के लिए गैर जीएम फसल परीक्षण से गुजरना होगा. ये परिक्षण काफी महंगा होता है, जो मधुमक्खी पालन की लागत और चिंताओं को बढ़ा देगा. विशेषज्ञों की मानें तो जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों की खेती से करीब 10 लाख मधुमक्खी पालक की आजीविका प्रभावित हो सकती है.
धारा मस्टर्ड-11
18 अक्टूबर को हुई जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) की बैठक में जीएम सरसों धारा मास्टर 11 को व्यवसायिक खेती के लिए मंजूरी मिल गई है. साथ ही जीईएसी ने जीएम सरसों के एनवायरमेंटल ट्रायल की सिफारिश भी की है. जीएम सरसों धारा मस्टर्ड-11 दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स में विकसित की गई है. इस तकनीक के समर्थन में खड़े विशेषज्ञों का मानना है कि जीएम सरसों की खेती से कम लागत में सरसों का बेहतर उत्पादन मिल पायेगा. रिपोर्ट के मुताबिक जीएम सरसों धारा मास्टर 11 एक कीट और रोग रोधी किस्म है, जिससे खेती करने पर कीटनाशकों का बड़ा खर्च बच सकता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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