सर्दी के दिनों में किसानों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिनमें से एक सबसे बड़ी समस्या पाले की भी है. जिससे बड़े पैमाने पर फसलों के खराब होने का खतरा बना रहता है. इस मौसम में पाला पड़ने की सम्भावना होने पर हल्की सिचाई करें. जिससे जमीन का तापमान 0.5-2.02 डिग्री बढ जाता है. आइए जानते हैं इसके अलावा किसान भाई और क्या कर सकते हैं...


एक्सपर्ट्स के अनुसार पाले से सबसे ज्यादा हानि नर्सरी में होती है, पौधों को पोलीथीन से ढ़क दें. लेकिन दक्षिण पूर्वी भाग खुला रखें ताकि नर्सरी में सुबह एव दोपहर की धूप मिलता रहे. खेत के उत्तर-पूर्व दिशा में रात को 10-12 बजे के बीच स्थानों पर कूड़ा-कचरा जलाएं. स्थाई समाधान के लिए खेत के उत्तर-पश्चिम दिशा में हवा रोकने वाले पेड़ों की बाड तैयार कर पाले के प्रभाव को कम किया जा सकता है. पाले का प्रभाव दो सप्ताह तक रहता है, यदि इस अवधि में शीत लहर या पाले की सम्भावना हो तो गन्धक के अम्ल को 15-15 दिन के अन्तर से दोहराते रहें, जिससे फसल पाले से बची रहती है साथ ही पौधों में लोह तत्व की सक्रियता बढ जाती है.


इन बातों का रखें ख्याल


जिन फसलों में पाला लग चुका हैं, उनमें रिकवरी के लिए एन.पी.के.18:18ः18, 19ः19ः19 और 20ः20ः20 की 5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर की दर से पानी में मिलाकर छिड़काव करें. किसान भाई घुलनशील सल्फर 80 फीसदी 3 ग्राम प्रति लीटर और थायोयूरिया 4-5 ग्राम प्रति लीटर अथवा बेन्टीनाइट सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर की दर से मिलाकर छिड़काव करें. सल्फर डस्ट 8-10 किलोग्राम प्रति एकड की दर से छिडकाव करें. म्यूरेट आफ पोटाश 150 ग्राम प्रति टंकी और 1.5 किलोग्राम प्रति एकड की दर से 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. सल्फ्यूरिक अम्ल 15 एम.एल. प्रति टंकी की दर से इस्तेमाल करें.


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