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Fish Farming: तालाब में कब तक खाने लायक तैयार हो जाती है मछली, ज्यादा कीमत के लिए मछली को कब निकालें पानी से बाहर
Fish Farming Scheme: मछली पालन से अच्छी आमदनी के लिए मछुआरों को पता होना चाहिए कि तालाब या हेचरी से मछली को कब निकालकर बेचें. कब मछली का वजन ज्यादा होता है या कब इसकी ज्यादा कीमत मिलती है.
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Fisheries: देश में मछली पालन को अब नीली क्रांति (Blue Revolution) के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है. अब हर गांव में खेती के साथ-साथ किसान मछली पालन करने लगे हैं. मछली की बढ़ती डिमांड के बीच ये बिजनेस फायदे का सौदा साबित हो रहा है. इस बिजनेस में लागत को कम करने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PM Matsya Sampada Yojana) के तहत आर्थिक अनुदान भी दिया जाता है. मछली पालन से अच्छे आउटकम लेना ज्यादा मुश्किल नहीं हैं, लेकिन कुछ बातों का खास ध्यान रखना होता है. अपने इलाके की डिमांड के हिसाब से मछली की ब्रीड को चुनना. तालाब की जगह कम जगह में हेचरी लगाकर मछली पालन करना. मछलियों की सही देखभाल करना और आखिर में अच्छी आमदनी के लिए सही समय पर मछलियों को तालाब से बाहर निकालना.
जी हां, मछली किसानों को शिकायत रहती है कि अच्छे प्रबंधन के बावूजद मछली का वजन कम रहा जाता है और बाजार में सही दाम नहीं मिलते. इस परेशानी को दूर करने के लिए कुछ बातों का खास ध्यान रखना होगा.
इन बातों का रखें खास ध्यान
देशभर में मछली पालन किया जा रहा है, लेकिन मछलियों की ब्रीड का चुनाव अपने बाजार मांग के हिसाब से करना चाहिए. उदाहरण के लिए उत्तर भारत में रोहू, कतला, नैनी और पंकजा मछली की ज्यादा मांग होती है. इन मछलियों को पालने के तरीका भी बहुत महत्वपूर्ण है. आप चाहें तो खेत में तालाब या घर में आधुनिक हेचरी या साधारण टैंक में भी इन मछलियों को पाल सकते हैं.
कब खाने लायक हो जाती है मछली
कई लोगों को मन में एक शंका होती है कि मछली पानी में कब बेचने लायक बड़ी हो जाती है. कब ये खाने लायक तैयार होती है और इससे अच्छे दाम पाने के लिए पानी से बाहर कब निकालना होगा. इन सभी सवालों पर एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जब मछली का वजन 1.5 से 2 किलो हो जाए तो ये खाने लायक तैयार हो जाती है. करीब 18 महीने के अंदर मछली का वजन 2 किलोग्राम हो जाता है.
मछली का वजन बढ़ाने का देसी नुस्खा
तालाब या हेचरी से मछलियों के अच्छे उत्पादन के लिए समय-समय तालाब का प्रबंधन करते रहना होगा.पानी की निगरानी, इसमें बीमारियां पनपने से रोकना, मछलियों की सुविधा के लिए तापमान नियंत्रित करना होगा, जिससे मछलियां बीमार ना पड़े.
कई बार मछलियों का तेजी से विकास करवाने के लिए तालाब में जाल चलवाया जाता है. कई किसान भैंसों तो तालाब में उतारते हैं, जिसे मछलियों में फुर्ती लाने का देसी नुस्खा भी कहते हैं. इन सभी के बाद बड़े-बड़े शहरों में पसंद की जाने वाली रोहू, कतला और नैनी मछलियां तैयार होती है.
कुछ इस तरह करें शुरुआत
मछली पालन (Fish Farming Business) से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए अच्छी शुरुआत भी होनी चाहिए. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि किसानों को मछलियों के उन्नत बीजों का चुनाव करना चाहिए. आमतौर पर मछली बीज 3 तरह के होते हैं, जिसमें जीरा साइज सबसे ज्यादा फेमस है. कई जगहों पर एक पैकेट में 1000 बीज भी होते है, जिसे सीधा तालाब में भी डाल सकते हैं, लेकिन इस तरह सिर्फ 25 फीसदी ही मछलियां बनती है.
ज्यादा संख्या के लिए नर्सरी में बीजों की देखभाल की जाती है. इन्हें सरसों की खल और चावल के छिलके खिलाए जाते हैं और जब जीरा साइज का बीज उंगली के आकार का हो जाए तब तालाब में डाल देते हैं. इस समय तक मछली का वजन 100 ग्राम हो जाता है और नुकसान की संभावना भी कम होती है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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