Festival for Farmers: पूरा देश आज त्योहारों की खुशियों में डूबा हुआ है. घर-घर में खुशहाली फैली है, लेकिन हमारे अन्नदाता आज बाढ़ और मजबूरियों के बीच भगवान भरोसे जिंदगी काट रहे हैं. एक तरफ अयोध्या में दीपोत्सव (Deepotsav 2022) की तैयारियां जोरों पर है. लाखों दियों से पूरी नगरी को सजाने की योजना है. वहीं राज्य के ज्यादातर इलाकों में अभी भी कई ग्रामीण परिवार भूखे-प्यासे, फसल नुकसान की चिंता लिये बैठे हैं.


राज्य सरकारों ने राहत-बचाव कार्य के निर्देश जारी कर दिये हैं, लेकिन त्योहार पर अपनी फसल और घर खोकर कई किसान और ग्रामीण परिवार सरकार की खाद्य सहायता पर दिन काट रहे हैं. अपनी भविष्य की चिंता लिए ये बाढ़ ग्रस्त परिवार अपना समय लगभग भरवान भरोसे काट रहे हैं.


11 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ग्रस्त
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 1 अक्टूबर से लेकर 10 अक्टबर तक 683 प्रतिशत तक बारिश देखी गईं. इस बारिश के कारण जल स्रोतों में उफान आने के कारण खेत-खलिहानों से लेकर घरों तक में पानी भर गया. इस बारिश ने किसानों और कई ग्रामीण परिवारों को बेबस और लाचार बना दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिहार में बाढ़ अपने चरम पर है ही, लेकिन उत्तर प्रदेश के कई इलाके अभी भी जलमग्न हैं, बारिश तो रुक चुकी है, लेकिन बाराबंकी, बहराइच और गोंडा के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के कई ग्रामीण इलाके जलमग्न हैं.


इन इलाकों में फसलों के साथ-साथ कई घर भी बारिश में डूबे हुये हैं, जिसके चलते किसान टेंट, तिरपाल और नांव पर बैठकर ही समय काटने को मजबूर है. उत्तर प्रदेश सरकार के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में बरसी इस आफत की बारिश के कारण करीब 17 जिलों के 1,528 गांव और यहां के 11 लाख 79 हजार लोग बाढ़ से प्रभावित हुये हैं.


पहले सूखा-फिर बाढ़
इस साल मौसम का मिजाज काफी खराब रहा. शुरूआत में किसानों को बारिश का काफी इंतजार करना पड़ा, जिसके चलते खरीफ फसलों की बुवाई में देरी हुई और बाद में कीट-रोगों के कारण उत्पादन में गिरावट झेलनी पड़ी. कई इलाकों में तो बारिश की एक बूंद ढंग से नहीं पड़ी, जिसके चलते खेत बिना बुवाई के ही खाली रह गये. अब जिन इलाकों में खरीफ फसलें कटाई के लिये खेतों में खड़ी थीं.


वहां तो नुकसान (Crop Loss Compensation) हुआ ही, साथ ही अब उत्तर प्रदेश और बिहार के ज्यादातर इलाकों में रबी फसलों की बुवाई भी लेट होने का अनुमान है. इस साल कई किसानों को ना ही खरीफ फसलों से कुछ मिल और ना ही रबी फसलों की तैयारी के लिये कुछ बचा है. सालभर के त्योहारों के बीच किसान जल भराव के बीचों-बीच खाली हाथ बैठे हैं. 
 
सरकार ने किया मदद का ऐलान
अक्टूबर में हुई बेमौसम बारिश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में नुकसान का सर्वे शुरू करवाया है और प्रेस रिलीज जारी की. इसमें किसानों के लिये फसल नुकसान मुआवजा से लेकर ग्रामीण परिवारों के लिये भी आर्थिक मदद का ऐलान किया गया. फिलहाल इस प्राकृतिक आपदा (Natural Disaster) के बीच राहत-बचाव के कार्य जारी है. बचाव टीम नावों के जरिये पीड़ित परिवारों तक पहुंच रही है. रिपोर्ट्स के अनुसार, कई सड़कें जलमग्न हो चुकी हैं तो किसानों को नाव में बैठकर 6 से 8 किलोमीटर सफर करके राहत शिविर में राशन के लिये जाना पड़ रहा है.


यहां बाढ़ग्रस्त परिवारों को 10 किलो चावल, 10 किलो गेहूं, 10 किलो आलू, 2 किलो दाल, 2 किलो भुने चने, 10 बिटकिट के पैकेट, 1 किलो गुड़ और पशुओं के लिये 5 किलो चारा मिल रहा है. कई किसान दुखी और निराश हैं. मीडिया से बात करते हुये गोंडा के तुलसीपुर मांझा के वर्षीय 65 साल रामधर बताते हैं कि उनका घर-द्वार, सामान और फसल सब डूब चुकी है, ऐसे में किस तरह की दिवाली मनायें. उनके पास खुद ना खुद के लिये पेट भर खाना और ना ही पशुओं के लिये पेटभर चारा. 


गांव में बढ़ा डेगूं और सांप का खतरा
बारिश, बाढ़, फसल नुकसान, घर-सामान डूबने से गांव की ज्यादातर आबादी परेशान है ही, अब बदलते मौसम में उनके सामने बड़ी-बड़ी चुनौतियां दस्तक देने लगी हैं. कई गांव में पानी भरने से डेगूं मच्छर का प्रकोप बढ़ रहा है. वहीं खेत-खलिहान, जंगलों में पानी भरने से सांप-बिच्छू जैसे जीव भी घूम रहे हैं. त्योहारों से बीच किसान और ग्रामीण अपने दिन चिंता और डर में काट रहे हैं. हालात ऐसे है कि अन्नदाताओं की जिंदगी अब भगवान भरोसे हो चली है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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