Peanut Production: हर मूंगफली से 1 की जगह 4 दाने निकलेंगे, आज जान ही लीजिए प्रोडक्शन बढ़ाने की खास ट्रिक
Peanut Cultivation: मूंगफली एक प्रमुख तिलहनी फसल है, जिसका उत्पादन बढ़ाने के लिए कुछ न्यूट्रिएंट्स फसल में डालने की सलाह दी जाती है, जिससे मूंगफली की क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों ही बेहतर बनती है.
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Groundnut Production: देश में तिलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाने की कवायद की जा रही है, जिससे खाद्य तेलों का आयात कम किया जा सके और देश को खाद्य तेलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया जा सके. रबी सीजन में सरसों-तोरिया की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, लेकिन एक फसल ऐसी भी है, जिसकी खेती सालभर करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं. हम बात कर रहे हैं मूंगफली के बारे में, जिसका सही तरीके से प्रबंधन किया जाए तो काफी अच्छा उत्पादन ले सकते हैं.
मूंगफली से तेल का उत्पादन बढ़ाने के लिए इसमें दाने भी ज्यादा होने चाहिए. इसके लिए कई किसान फर्टिलाइजर का भी इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ये तरीका सही नहीं है. असल में मूंगफली की फसल को कीट-रोग से मुक्त रखके उसमें पोषक तत्वों की आपूर्ति करते रहें. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि यदि मूंगफली की फसल में जिप्सम का इस्तेमाल किया जाए तो हर एकड़ में 4 क्विंटल तक उत्पादन बढ़ा सकते हैं.
मूंगफली में जिप्सम के फायदे
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, कई किसानों ने पिछले दिनों तेलंगाना के किसानों ने भी कृषि अधिकारियों के सुझाव पर मूगंफली की फसल में जिप्सम का इस्तेमाल किया. 1.3 एकड़ खेत से कभी मूंगफली की 8 क्विंटल उपज ही मिल पाती थी. वहीं जिप्सम का इस्तेमाल करने के बाद 12 क्विंटल तक उत्पादन मिलने लगा. एक-दूसरे से प्रेरणा लेकर अब किसान जिप्सम की मदद से मूगंफली का प्रोडक्शन बढ़ा रहे हैं.
कृषि अधिकारियों ने बताया कि एक एकड़ खेत में मूंगफली की खेती के लिए किसान 15,000 से 20,000 रुपये खर्च कर देते हैं, जिससे 40,000 से 50,000 रुपये की आय होती है, लेकिन जिप्सम के इस्तेमाल से 12,000 से 20,000 तक अधिक पैसा कमा सकते हैं. बता दें कि मूंगफली की फसल की उम्र 40-45 दिन की होने पर ही जिप्सम का इस्तेमाल किया जाता है.
इन बातों का रखना होगा खास ध्यान
किसी फसल से अच्छी पैदावार के लिए हमेशा बुवाई से पहले बीजोपचार और खेत की तैयारी के समय नीम की खली का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि मिट्टी की कमियां-बीमारियां फसल पर हावी नहीं होतीं और नीम के औषधीय गुणों से कीट लगने का खतरा भी नहीं रहता.
इससे कीटनाशकों का खर्चा बच जाता है. इस बचत को उर्वरकों की खरीद पर निवेश कर सकते हैं. जैसे मूंगफली की फसल के लिए हर एक हेक्टेयर में 250 ग्राम जिप्सम के अलावा 15 किलोग्राम नाइट्रोजन और 60 किलोग्राम फास्फोरस भी डालते हैं. इससे मूंगफली में तेल की मात्रा और दानों की संख्या बढ़ाने में खास मदद मिलती है.
इन किस्मों से करें खेती
मूंगफली की फसल से बंपर उत्पादन के लिए अच्छी-उन्नत वैरायटी के बीजों का चयन करना चाहिए. ऐसी किस्में, जो रोग प्रतिरोधी होने के साथ-साथ तापमान के प्रति सहनशील हों. कुछ उन्नत किस्मों में
गिरनार, जीजी 20, एचएनजी 10, एनएनजी 169, एचएनजी 123, आरजी 425, आरजी 120 से 130, एमए 10 125 से 130, एम 548, 120 से 126, टीजी 37ए 120 से 130, जी 201, 110 से 120 को शामिल किया गया है, जो प्रमुख मूंगफली उत्पादक राजस्थान और गुजरात में बढ़िया उत्पादन देती हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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