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क्या होते हैं किसान उत्पादक समूह? अगर इनसे जुड़ जाएं तो किसानों को क्या-क्या मदद मिल जाती है?

यदि आप भी किसान हैं तो किसान उत्पादक संगठन से जुड़कर बीज, खाद, मशीनरी, मार्केट लिंकेज, ट्रेनिंग, नेटवर्किंग, आर्थिक और तकनीकी सहायता ले सकते हैं. ये किसानों के लिए वरदान साबित हो रही हैं.

Farmer Production Organization: किसान एकजुट हो जाएं तो क्या कुछ नहीं कर सकते. कृषक एकता से किसानों का मनोबल बढ़ता है. कृषि कार्यों में बेहतर प्रदर्शन करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलता है. खेती-किसानी में आ रही चुनौतियों को भी एकजुटता से हल किया जा सकता है. कई बार यही एकजुटता सामाजिक और आर्थिक सहयोग की मिसाल बनती है, इसलिए किसानों को एकजुट करने के लिए किसान उत्पादन संगठन बनाने की कवायद चल रही है. कोरोना महामारी के समय इन किसान उत्पादक संगठनों की सफलता की कहानियों ने अन्य किसानों को प्रेरणा दी. आज कृषि क्षेत्र में बढ़ रही खुशहाली का थोड़ा श्रेय किसान उत्पादक संगठनों को भी दे सकते हैं, जिनसे जुड़कर ना जाने कितने ही किसान अब अपने भविष्य को लेकर थोड़े आशवस्त हो गए हैं.

सरकारी योजनाओं से लेकर मंत्रियों के भाषण में किसान उत्पादक संगठन छाए रहते हैं, लेकिन कृषि एकता की मिसाल बने ये किसान उत्पादक संगठन आखिर हैं क्या, ये कैसे किसानों को स्वावलंबी बनाते हैं, नए किसान कैसे किसान उत्पादक संगठन से जुड़ सकते हैं और ये किसान उत्पादक संगठन किस-किस प्रकार की मदद करते हैं, ये सभी सवाल अभी-भी किसानों के मन में हैं, जिनका जवाब देंगे इस आर्टिकल में.

क्या है किसान उत्पादक संगठन
किसान उत्पादक संगठन यानी Farmers Producer Organization (FPO) कुछ और नहीं, बल्कि किसानों द्वारा बनाया गया एक स्वयं सहायता समूह हैं,जहां किसान ही किसान की मदद करते हैं. इन किसान उत्पादक संगठनों से जुड़कर किसानों को सस्ते दामों पर बीज, खाद, उर्वरक, कीटनाशक, मशीनरी, ग्रीन हाउस, पॉलीहाउस, कृषि तकनीक, मार्केट लिंकेज, ट्रेनिंग, नेटवर्किंग, आर्थिक मदद और तकनीकी सहयोग उपलब्ध करवाया जाता है, ताकि किसान का मनोबल बढ़े और वो खेती में बिना किसी अड़चन के बेहतर प्रदर्शन कर सकें.

कोरोना महामारी के समय जब पूरे देश की अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त हो चुकी थी, उस समय किसान उत्पादन संगठनों के सहयोग से हजारों-लाखों किसानों ने फसलों के बेहतर दाम हासिल किए. आपदा के दौर में भी खेती-किसानी को जारी रखा. केंद्र सरकार ने किसान उत्पादक संगठनों की ताकत को परखा और किसानों की आय बढ़ाने के लिए 10,000 किसान उत्पादक संगठनों की स्थापना को हरी झंडी दिखाई.

कैसे काम करते हैं किसान उत्पादन संगठन
जैसा कि नाम से ही साफ है कि किसान उत्पादन संगठन पूरी तरह से किसानों को संगठन होता है. इन संगठनों में सदस्य किसान ही एक दूसरे मदद का जिम्मी उठाते हैं. हर एक किसान उत्पादक संगठन में कम से 11 किसानों का होना अनिवार्य है.

इन संगठनों में हर तबके का किसान होता है. यहां आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के किसान भी सदस्य बन सकते हैं. लघु और सीमांत किसानों से लेकर बड़े किसानों को भी सदस्यता दी जाती है. ये एफपीओ अपने सदस्य किसानों को आपसी सहयोग से लोन, फसल की बिक्री, पैकेजिंग, ट्रांसपोर्टेशन, मार्केटिंग आदि की सुविधा मुहैया करवाते हैं, ताकि किसान को इधक-उधर चक्कर ना लगाने पडें.

इन किसान उत्पादक संगठनों से जु़कर खुद का एग्री बिजनेस या कस्टम हायरिंग सेंटर भी चालू कर सकते हैं. इन संगठनों में शामिल किसानों को आवश्यकता पड़ने पर आदानों और सेवाओं को रियायती खर्च में उपलब्ध करवाया जाता है, जिससे खेती की लागत कम होती है और किसान को सही मुनाफा कमाने में भी आसानी रहती है.

सरकार दे रही 15 लाख रुपये
केंद्र सरकार की ओर से किसान उत्पादक संगठनों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिए किसान उत्पादन संगठन योजना भी चलाई जा रही है, जिसके तहत आवेदन करने पर 3 साल तक किसानों के हित में काम करने वाले किसान उत्पादक संगठन को 15 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाती है.

इस योजना का लाभ पाने के लिए पहाड़ी इलाकों में कार्यरत किसान उत्पादक सगंठनों में 100 किसान और मैदानी इलाके वाले किसान उत्पादक सगंठन में कम से कम 300 किसानों का होना अनिवार्य है.

आवेदन के बाद नाबार्ड कंसलटेंसी सर्विसेज लगातार एफपीओ के कामकाज की निगरानी करती है और इन एफपीओ को रेटिंग देती है. अच्छी रेटिंग वाले किसान उत्पादक  संगठनों के नाम आगे भेजे जाते हैं और इन्हें ही 15 लाख रुपये की सहायता राशि का लाभ मिलता है.

कैसे करते हैं आवेदन
यदि आप भी किसान हैं और किसान उत्पादक संगठन से जुड़ना चाहते हैं तो अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं. यदि किसान मिलकर नया एफपीओ बनाना चाहते हैं तो एक नाम सुझाकर कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर करवा सकते हैं. बता दें कि किसान उत्पादक संगठन के सभी सदस्यों का किसान होना और भारत की नागरिकता का होना अनिवार्य है.

आवेदन के दौरान किसानों को अपने आधार कार्ड, स्थायी निवासी प्रमाण पत्र, जमीन के कागजात, बैंक खाते की डिटेल, पासपोर्ट साइज फोटो और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर भी देना होगा. अधिक जानकारी के लिए ऑफिशियल वेबसाइट http://sfacindia.com/FPOS.aspx पर भी विजिट कर सकते हैं.  

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

यह भी पढ़ें- NANO-DAP के व्यावसायिक प्रयोग को सरकार से मिली मंजूरी, 600 रुपये में बिकेगी एक बोतल, कब से मिलेगा लाभ?

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