Goat Farming: बकरी पालन बन जाएगा मुनाफे का बिजनेस, बस हमेशा पशुपालक को ध्यान में रखनी होगी कुछ खास बातें
Dairy Farming: बकरी को छोटे किसानों की आय बढ़ाने वाला पशु कहते हैं, लेकिन ये पशु तब ही आपके डेयरी फार्म को सफल बनाएगा, जब आप इनसे सही समय पर दूध लेने के साथ-साथ समय पर दाना-पानी खिलाएंगे.
Goat Rearing: दूध और इससे बनने वाले उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है, लेकिन बाजार में सप्लाई अभी-भी काफी कम है. डिमांड-सप्लाई के बीच के इस अंतर को पूरा करने के अब गांव-गांव में डेयरी फार्म खोलने को चलन बढ़ गया है. अब किसान खेती के साथ-साथ पशु भी पालने लगे हैं. कमर्शियल डेयरी फार्म के लिए किसान गाय-भैंस पालना ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन इन दिनों बकरी फार्म भी काफी अच्छा प्रॉफिट दे रहे हैं. इसे छोटे-सीमांत किसानों का पशु भी कहते हैं, क्योंकि इसकी देखभाल में ज्यादा खर्चा नहीं करना पड़ता.
बेहद कम मेहनत में ही बकरी फार्म का विस्तार किया जा सकता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई किसान बकरियों की क्षमता के अनुसार सही दूध तक नहीं ले पाते. इसके पीछे कई कारण है. एक्सपर्ट्स भी यही बताते हैं कि यदि बकरी पालन से सही मुनाफा चाहिए तो इनके दाना-पानी से लेकर दूध लेने के सही समय का ख्याल रखना होगा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
पशुपालन विशेषज्ञ बताते हैं कि बड़े पशु अकसर एक ही खुराक में अपना पेट भर लेते हैं. इन पशुओं को एक बार चारा-पानी देकर पशुपालक निश्चिंत हो जाते हैं, लेकिन बकरी के केस में ऐसा नहीं है. बकरी जैसे छोटे पशुओं की खुराक भी छोटी होती है.
बकरी कभी-भी एक बार में दाना-पानी नहीं खाती. ये एक बार में अपने पेट नहीं भरती, बल्कि दिन में थोड़ा-थोड़ा लगभग 4 से 5 बार देना होता है. वैसे तो व्यक्तिगत आवश्यकता के लिए बकरियों के दाना पानी पर ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता.
ये पत्तियां और घास आदि खाकर काम चला लेती हैं, लेकिन एक वैल सेटल कमर्शियल बकरी फार्म में बकरियों को तीन तरह का दाना दिया जाता है. एक हरा चारा, दूसरा सूखा चारा और तीसरा स्पेशल न्यूट्रिएंट्स वाला दाना. ये तीन तरह का चारा देने के साथ समय-समय पर बकरियों की भूख और हाजमा भी चेक करना होता है.
कितनी बकरियां पाल सकते हैं
यदि व्यक्तिगत आवश्यकता के लिए बकरी पालन कर रहे हैं तो 5 बकरियां काफी हैं, जिन्हें घर के बैकयार्ड में शेड डालकर पाल सकते हैं, लेकिन एक कमर्शियल बकरी फार्म में करीब 100 बकरी पाली जा सकती है. बकरियों को एक जगह बैठना बिल्कुल पंसद नहीं है, ये घूमने-फिरने की शौकीन होती हैं, इसलिए बकरी फार्म में वातावरण खुला और जमीन ज्यादा होनी चाहिए.
इसके बाद बकरियों की नस्ल को देखें. आपने दूध के लिए बकरी फार्म खोला है या मांस के लिए, क्योंकि दूध देने वाली बकरी की खुराक भी काफी अच्छी होती है. 1 लीटर दूध देने वाली बकरी को रोजाना 300 ग्राम दाना खिलाना होगा, वो भी दिन में दो बार.
इसके अलावा, हरा चारा और सूखा चारा मिलाकर करीब 4 किलोग्राम तक डाइट रोजाना बकरी को देनी होगी. बकरी सिर्फ खाएंगी नहीं, इनके पानी का भी इंतजाम करना होगा. सर्दियों में बकरियां कम ही पानी पीती है, लेकिन गर्मी में 700 से 800 मिली पानी बकरी को पिलाना होता है, ताकि इन पशुओं का पाचन सही रहे.
प्रेगनेंट बकरियों का रखना होगा खास ध्यान
किसी भी डेयरी फार्म का भविष्य मादा बकरियां होती है, जो मेमने को जन्म देती है. नया मेमना आता है तो वो भी बकरी फार्म में दूध आदि के जरिए मुनाफा बढ़ाता है, इसलिए गर्भवती बकरियों को थोड़ा अलग से ध्यान रखना होता है.
गर्भवती बकरियों के लिए अलग से शेड़ बनाने की सलाह दी जाती है, ताकि बाकी बकरियों की उछल-कूद में गर्भवती बकरी को परेशानी ना हो. गर्भवती बकरी की डाइट का भी खास ख्याल रखना होता है.
पशु विशेषज्ञ बताते हैं कि गर्भवती बकरी को स्पेशल खुराक दी जाती है. इसकी डाइट में हरा चारा और 300 से 400 ग्राम दाना भी जोड़ा जाता है, जिससे बकरियां तदुरुस्त बनी रहीं और इनकी आने वाली नस्ल भी अच्छी हो.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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