Dairy Business: कभी देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था सिर्फ कृषि पर आधारित थी, लेकिन आज दूध उत्पादन करके भी किसान सफल हो रहे हैं. पशुओं ने किसानों को सफलता की नई ऊंचाईंयों पर पहुंचा दिया है. इस बिजनेस में कमाई से इतना आकर्षण बढ़ गया है कि अब शहरों से नौकरी छोड़कर लोग गांव में दूध-डेयरी का बिजनेस करना चाहते हैं. गांव के लोगों को तो पशुओं की सही जानकारी होती है, लेकिन नए डेयरी फार्म चलाने वाले सही मैनेजमेंट नहीं कर पाते. ये लोग डेयरी सेक्टर से जुड़े रहने के लिए पशुपालन के बजाए मिल्क कलेक्शन का काम कर सकते हैं.
देश में दूध का उत्पादन को खूब हो रहा है, लेकिन इसकी सप्लाई में अभी भी कई समस्याएं है. इसी कमजोर कड़ी को मजबूत बनाते हुए आप मिल्क कलेक्शन सेंटर खोलकर यहां से बड़ी कंपनियों को दूध बेच सकते हैं. इस आर्टिकल में बताएंगे कि आखिर ये मिल्क कलेक्शन सेंटर (Milk Collection Center) खोलने के लिए क्या करना पड़ता है.
कैसे करते हैं मिल्क कलेक्शन
आज भी देश में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन गांव से ही मिल रहा है, लेकिन समय पर ग्राहक ना पहुंने की वजह से कई बार दूध में नुकसान भी हो जाता है. ये मिल्क कलेक्शन सेंटर इस दूध को बर्बाद होने से बचाते हैं. आप चाहें तो किसी भी गांव में अपना मिल्क कलेक्शन सेंटर खोल सकते हैं, जिसके बाद कई पशुपालक और डेयरी फार्म (Dairy Farm) के लोग आपके पास आकर दूध बेचेंगे.
आप इस दूध को कोल्ड स्टोरेज या कंटेनर में इकट्ठा कर सकते हैं, जिसके बाद ये बड़ी-बड़ी दूध और डेयरी प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों को बेच दिया जाता है. इस तरह गांव के लोगों को दूध बेचने के लिए शहरों की तरफ भागने की जरूरत नहीं पड़ती.
इस दूध को इकट्ठा करने का भी खास तरीका होता है. सबसे पहले अलग-अलग मिल्क टैंक बनाए जाते हैं और दूध का सैंपल लेकर फैट चेक किया जाता है. दूध के फैट के हिसाब से अलग-अलग जगह दूध को जमा करके दूध प्रसंस्करण उद्योगों तक पहुंचाया जाता है.
कांट्रेक्ट करवाती हैं कंपनियां
मिल्क कलेक्शन सेंटर खोलने के लिए आपको सिर्फ एक दुकान या कलेक्शन यूनिट लगानी होगी. कुछ बड़े बर्तन, मिल्क टैंक और कोल्ड स्टोर बनाना पड़ सकता है. इस बिजनेस के लिए केंद्र सरकार की डेयरी उद्यमिता स्कीम का लाभ ले सकते हैं, जिसके तहत वित्तीय और तकनीकी मदद दी जाती है.
अब आप अपने इलाके की किसी भी दूध कंपनी के साथ कांट्रेक्ट कर सकते हैं, जिसके बाद मिल्क क्लेक्शन सेंटर पर दूध इकट्ठा करके कंपनी तक पहुंचाना होगा. ये सुविधा दूध कंपनियां भी देती हैं और अपने मिल्क टैंक कलेक्शन सेंटर तक भेज देती है.
इस काम में सहकारी संघ भी काफी मदद करती है, जिसमें कुछ लोग मिलकर एक समिति बनाते हैं और अपने आस-पास के गांव से दूध को इकट्ठा करने के लिए कंपनी के साथ अनुबंध करते हैं. बदले में डेयरी कंपनी समिति वालों को पैसे देती है, जिसमें दूध बेचने वाले ग्रामीणों का भुगतान भी शामिल होता है.
यहां से मिल जाएगा लोन
अगर आपने खुद का मिल्क कलेक्शन सेंटर खोलने का मन बना लिया है तो केंद्र सरकार की डेयरी उद्यमिता विकास योजना (DEDS) में आवेदन कर सकते हैं. इसके अलावा, राज्य सरकारें भी अपने-अपने स्तर कई योजनाएं चला रही हैं, जिसके लिए अपने जिले के नजदीकी कृषि विभाग या पशुपालन विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं.
बता दें कि इन सरकारी योजनाओं की मदद से मिल्क कलेक्शन सेंटर खोलने के लिए 25 से 90 फीसदी अनुदान मिल जाता है. यदि पशुओं के साथ डेयरी फार्म खोलने की सोच रहे है तो राष्ट्रीय पशुधन मिशन, नाबार्ड लोन या फिर डेयरी उद्यमिता विकास योजना मददगार साबित होगी.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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