Human Composting In Newyork: साइंस ने जैसे जैसे तरक्की की, वैसे ही नई-नई तकनीक इजाद होती चली गईं. आमतौर पर पेड़ हो या पौधें के अवशेष, पारंपरिक तरीके से अवशेष से खाद बनाई जाती हैं. जल्दी पैदावार के चक्कर में किसान केमिकल युक्त खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि ह्यूमन बॉडी के अवशेष को भी आने वाले समय मेें खाद के रूप में प्रयोग किया जाएगा. अमेरिका में राज्यों को इस तरह की कंपोस्टिंग के लिए अनुमति मिलती रही है. अब एक और नए स्टेट में इस प्र्रक्रिया को मंजूरी दी गई है.
न्यूयार्क में ह्यूमन अवशेषों से बनेगी खाद
पशुओं के शव से खाद बनाने की प्रक्रिया रही है. लेकिन ह्यूमन अवशेषों का प्रयोग खाद के रूप में नहीं किया जाता है. लेकिन अब अमेरिका के न्यूयार्क सिटी में मृतक ह्यूमन बॉडी के अवशेषों को ईको फ्रेंडली तरीके से खाद के रूप में इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी गई है. मानव शव को खाद बनाने की प्रक्रिया ह्मूमन कंपोस्टिग कहलाती है. डेड ह्यूमन बॉडी को नेचुरल आर्गेनिक रिडक्शन की प्रक्रिया से गुजारना होता है. इस प्रक्रिया के बाद ह्यूमन बॉडी के सॉफ्ट टिश्यू यानी नरम ऊतक खाद के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं. इस प्रोसेस को पूरा होने में करीब 30 दिन का वक्त लगता है.
सुरक्षित है शव से मिट्टी बनाने का तरीका
विशेषज्ञों का कहना है कि ह्मूमन बॉडी से उपजाऊ मिट्टी बनाने का तरीका बेहद सुरक्षित माना गया है. इस प्रक्रिया में खाद से अधिकांश पैथोजंस यानि रोगजनक नष्ट हो जाते हैं. हालांकि उन शवों को प्रक्रिया के तहत परिवर्तित नहीं किया जाता है, जिनमें कुछ गंभीर नेचर की बीमारियां होती हैं.
वांशिंगटन ह्ममून कंपोस्टिंग को मंजूरी देने वाला पहला राज्य बना
अमेरिका का वांशिगटन वर्ष 2019 में ह्ममून कंपोस्टिंग को मंजूरी देने वाला पहला राज्य था. इसके बाद अमेरिका में कैलिफोर्निया, कोलोराडो, न्यूयार्क समेत अन्य राज्यों में इसे मंजूरी दी गई. शव से खाद बनाने की इस प्रक्रिया में ध्यान रखा जाता हे कि किसी तरह का एनवायरमेंटल नुकसान तो नहीं हो रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में 10 लाख एकड़ भूमि शमशान घाट के लिए सुरक्षित हैं. यहां पेड़, पौधे नहीं उगाए जाते हैं और न ही किसी अन्य तरह की गतिविधि की जाती हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.