Bitter Gourd Farming: बागवानी फसलों की खेती पर पारंपरिक फसलों के बजाय ज्यादा जोर दिया जा रहा है. बाजार में दोहरे उद्देश्य वाली सब्जियों की मांग बढ़ती जा रही है. हम करेला की बात कर रहे हैं, जो सब्जियों से भी अधिक औषधीय है.


अधिकांश किसान हाइब्रिड करेला व्यावसायिक खेती पर जोर दे रहे हैं. खासकर बहुत सी कंपनियां किसानों को करार देकर करेले की खेती करवा रही हैं. इसके लिए छोटे किसान कम जगह में मचान प्रणाली का उपयोग कर खेती कर रहे हैं. इससे करेले की फसल में सड़ने -गलने के जोखिम कम हो रहे हैं और किसानों को कम खर्च में अच्छा उत्पादन मिल रहा है.


हाइब्रिड करेला की सदाबहार किस्मों की खेती के लिए मौसम की कोई सीमा नहीं है, इसलिए कई किसान विभिन्न क्षेत्रों में हाइब्रिड करेला उगाकर अच्छा पैसा कमा रहे हैं. इनके फल 12 से 13 सेमी लंबे और 80 से 90 ग्राम वजन के होते हैं. हाइब्रिड करेला उगाने पर एक एकड़ में 72 से 76 क्विंटल उत्पादन मिलता है, जो सामान्य से बहुत अधिक है.


हाइब्रिड करेला कम मेहनत में देसी करेले के मुकाबले अधिक उत्पादन देते हैं. किसान अब देसी करेले की खेती पर अधिक जोर दे रहे हैं. याद रखें कि हाइब्रिड करेला के पौधे तेजी से बढ़ते हैं और इनके फल काफी बड़े होते हैं, जो आम तौर पर नहीं होता है. इनकी संख्या अधिक होती है, लेकिन देसी करेला की तरह ही खेती की जाती है. याद रखें कि हाइब्रिड करेला का रंग और स्वाद बेहतर होता है, इसलिए इसके बीज कुछ अधिक महंगे होते हैं. 


ये हैं बढ़िया किस्में


कोयंबटूर लौंग और हाइब्रिड करेला की प्रिया उत्पादन में अग्रणी हैं. करेले की बेहतरीन किस्मों में पूसा टू सीजनल, पूसा स्पेशल, कल्याणपुर, कोयंबटूर लॉन्ग, कल्याणपुर सोना, बारहमासी करेला, प्रिया सीओ-1, एसडीयू-1, पंजाब करेला-1, पंजाब-14, सोलन हारा, सोलन और बारहमासी भी शामिल हैं. हाइब्रिड करेले की खेती करने के लिए खेत में अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे बढ़िया रहती है.



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