Hydroponic Farming: यहां हाइड्रोफोनिक तकनीक से हो रही खेती, सलाद की पत्ती की उपज से किसान कर रहे लाखों की कमाई
एग्रीकल्चर के क्षेत्र में हाइड्रोफोनिक कमाल की तकनीक है. इसमें फसलों की बुवाई के लिए जमीन की जरूरत नहीं पड़ती है. किसान बिना मिटटी के बुवाई कर लाखों रुपये की कमाई कर लेते हैं.
Hydrophonic Technology In India: किसान पारंपरिक तरीके की खेती कर लाखों रुपये कमाते हैं. गेहूं, धान, दलहन, तिलहन की फसलें ऐसी ही हैं. किसान इसकी बुवाई कर अपनी किस्मत चमका रहे हैं. खेती के लिए जमीन की जरूरत होती है. जमीन पर बीज या पौधों की रोपाई कर किसान उपज पाते हैं. लेकिन आजकल बढ़ी तकनीक ने किसानों को उन्नत बनाया है. नई तकनीक में किसान को कई पफसलों की उपज पाने में जमीन की जरूरत ही नहीं पड़ती है. इसे हाइड्रोफोनिक तकनीक के नाम से जाना जाता है. किसान इस पद्धति से बुवाई कर लाखों रुपये का मुनाफा पा रहे हैं.
यूपी के सहारनपुर में किसान कर रहे हाइड्रोफोनिक खेती
सहारनपुर में किसान हाइड्रोफोनिक पद्धति का प्रयोग कर अपनी किस्मत को चमका रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सहारनपुर के गांव बढेडी कोली के एक युवा किसान 130 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में हाइड्रोफोनिक तकनीक से खेती कर रहे हैं. उन्होंने इसके लिए एक एयरकंडीशन युक्त पॉलीहाउस तैयार किया है. यहां उन्होंने इस नई तकनीक से खेती करनी भी शुरू कर दी है.
सालाना 6 लाख रुपये की कर रहे कमाई
किसान अनमोल चौधरी का कहना है कि वर्ष 2021 में हाइड्रोफोनिक पद्धति से खेती शुरू की. इसके लिए 130 वर्ग मीटर में एयरकंडीशन पॉलीहाउस का पूरा सेटअप तैयार किया. वहां पौधों की उपज का पूरा माहौल तैयार किया. अब हर महीने 50 हजार रुपये और सालाना 6 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं. ऑफ सीजन में उनका सलाद पत्ता 400 रुपये प्रति किलो तक बिक जाता है. वहीं सीजन में मोटी कमाई हो जाती है.
सलाद के पत्ते की खेती का कर रहे काम
अनमोल के सामने पफसल चयन का भी संकट रहा. हाइड्रोफोनिक तकनीक से खेती करते समय क्या बोएं. सारी जानकारी जुटाकर उन्होेंने सलाद के पत्ते की खेती करने का निर्णय लिया. सलाद के पत्ते बर्गर और सैंडविच में काम आते हैं. अच्छी बात ये है कि अनमोल को आसपड़ोस के अलावा अन्य राज्य के भी ऑर्डर मिल रहे हैं. उन्होंने अब देहरादून तक के होटलों में सलाद के पत्तों की सप्लाई शुरू कर दी है.
क्या है हाइड्रोफोनिक तकनीक?
विशेषज्ञों का कहना है कि हाइड्रोपोनिक शब्द की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्द हाइड्रो और पोनोस से मिलकर हुई है. हाइड्रो का मतलब है पानी, जबकि पोनोस का अर्थ है काम करना. इस तकनीक में पानी में बालू या कंकड़ों के बीच नियंत्रित जलवायु में बिना मिट्टी के पौधे उगाए जाते हैं. इसे ही हाइड्रोपोनिक कहा जाता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.