Maize Farming: कृषि क्षेत्र के विकास में अनुसंधान का भी अहम रोल है. इससे खेती-किसानी में आ रही चुनौतियों से निपटने में काफी मदद मिल रही है. देश में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भी इसी मिशन पर है, जो फसलों की ऐसी किस्में विकसित कर रहा है, जो जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों के बावजूद खेती से बेहतर उत्पादन लेने में मदद करती हैं. इन किस्मों में शामिल है आईसीएआर की ओर से विकसित देश का पहले प्रोविटामिन मक्का, जिसमें प्रोविटामिन-ए, लाइसिन और टाइपटोफेन जैसै गुण होने का दावा किया गया है. अपनी एक पोस्ट में आईसीएआर ने यह भी बताया है कि कैसे आईसीएआर द्वारा विकसित प्रो-विटामिन मक्का में पोषण की मात्रा साधारण मक्का से कहीं ज्यादा है. नई प्रोविटामिन-ए से भरपूर मक्का की किस्मों में पूसा विवेक क्यूपीएम 9 सुधरी और पूसा एचक्यूपीएम 5 सुधरी शामिल है.
सामान्य मक्का से काफी अलग है प्रोविटामिन मक्का
आईसीएआर की ओर से जारी एक ट्विटर पोस्ट के अनुसार, साधारण मक्का में प्रोविटामिन-ए की मात्रा 1 से 2 पीपीएम, लाइसिन की मात्रा 1.5 से 2.0 प्रतिशत और टाइपटोफेन की मात्रा 0.3 से 0.4 प्रतिशत होती है.
आईसीएआर की जैव संवर्धित पूसा विवेक क्यूपीएम 9 सुधरी किस्म में प्रोविटामिन-ए की मात्रा 8.15 पीपीएम, लाइसिन की मात्रा 2.67 प्रतिशत और टाइपटोफेन की मात्रा 0.74 प्रतिशत होती है, जो साधारण मक्का से कहीं ज्यादा है.
ICAR की अन्य जैव संवर्धित किस्म पूसा एचक्यूपीएम 5 सुधरी में 6.77 पीपीएम प्रोविटामिन, 4.25 लाइसिन और 0.9 प्रतिशत टाइपटोफेन शामिल है.
क्या होता है प्रो-विटामिन-A?
जानकारी के लिए बता दें कि प्रो-विटामिन-A एक तरह का सिंपल बीटा-कैरोटीन है, जो हमारे सेहत की बेहतरी में अहम रोल अदा करता है. वहीं हेल्थ के लिए विटामिन-ए भी काफी महत्वपूर्ण है, जिससे कई बीमारियों को जड़ से खत्म किया जा सकता है. गर्भवती या नई मांओ के लिए प्रो-विटामिन-ए बेहद आवश्यक होता है.
आसान भाषा में समझें तो प्रोविटामिन-ए इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है और शरीर को इंफेक्शन से लड़ने की ताकत देता है. इसके नियमित सेवन से आंखों की रौशनी तेज होती है और हड्डियों को मजबूती मिलती है. प्रोविटामिन-ए की आपूर्ति अंडा, दूध, गाजर, सब्जियां, पालक, स्वीट पोटेटो, पपीता, दही, सोयाबीन और दूसरी पत्तेदार हरी सब्जियों से की जा सकती है, ये कैंसर का खतरा भी कम कर देते हैं.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साइंटिस्ट द्वारा विकसित जैव संवर्धित (Bio Fortifies-Hybrid Varieties) किस्मों में लाइसिन और ट्रिप्टोफेन भी पाया जाता है, जो खाव, खुजली, बीमारियों को ठीक करने, पेट की बीमारियों से राहत दिलाने और नाइट्रोजन को संतुलित रखने में मददगार हैं.
कुपोषण से लड़ेगा मक्का
आज देश की बड़ी आबादी पोषण की कमी की समस्या से जूझ रही हैं. ऐसे में पोषण युक्त जैव संवर्धित किस्में देश को इस बड़ी समस्या से उबारने में मदद कर सकती है. इन किस्मों का उत्पादन बढ़ाने से हर किसी की थाली तक बायोफोर्टिफाइड मक्का पहुंचाया जा सकता है.
इस मक्का के सही प्रमोशन से ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) में भी भारत की स्थिति सुधर सकती है. बेशक मक्का को मोटे अनाजों में शामिल नहीं किया गया है, लेकिन गेहूं और चावल की तुलना में यह ज्यादा पोषण से भरपूर है और हर वर्ग के लोगों तक मक्का की पहुंच भी है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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