September Agriculture Advisory: धान की फसल में तुरंत निपटा लें ये काम, वर्ना झेलना पड़ जायेगा बड़ा नुकसान
Agriculture Advisory: ICAR-IARI के वैज्ञानिकों ने धान की फसल में कीट-रोगों की निगरानी के साथ ही किसानों को सावधानी बरतने की सलाह दी है.
Agriculture Works in September: जलवायु परिवर्तन के कारण खेती-किसानी में कई नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं. खासकर पिछले दिनों धान की फसल में बौनापन (Dwarf Virus in Paddy) के रोग के कारण किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ा है. इसी के साथ-साथ कई इलाकों में धान की फसलें कीट-रोगों (Pesticide in Paddy Crop) की चपेट में आ गई है, जिसके कारण धान का उत्पादन गिरने के कयास लगाए जा रहे हैं.
किसान चाहें तो समय रहते अपनी फसलों में इन समस्याओं का समाधान करके काफी हद तक नुकसान से बच सकते हैं. इस काम में किसानों की सहायता करने के लिए आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR-IARI) के वैज्ञानिकों ने कृषि एडवाइजरी जारी की है, जिसके तहत धान की फसल में कीट नियंत्रण, रोग नियंत्रण, खरपतवार प्रबंधन और जल निकासी जैसे कृषि कार्यों (Paddy Crop Management) में सावधानी बरतने की सलाह दी गई है.
धान की फसल में रोग नियंत्रण
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के निदेशक डॉक्टर ए के सिंह ने सोशल मीडिया के हवाले से धान की फसल में पत्ती लपेटक, तना छेदक, ब्लास्ट रोग, झुलसा रोग जैसे रोग की रोकथाम के लिये जल निकासी और लगातार निगरानी करने की सलाह दी है.
- फसल में झुलसा रोग लगने धान की पत्तियां सूखने लगती है. इसके लक्षण दिखने पर 6 ग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लीन को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड धान की फसल पर छिड़काव कर सकते हैं.
- धान की फसल के बेहतर विकास औक कीट-रोगों की रोकथाम के लिए खेतों से अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल दें और नाइट्रोजन उर्वरकों का इस्तेमाल ना करके खेतों को सूखा ही रहने दें.
- धान में पत्ती लपेटक और तना छेदक कीटों की रोकथाम के लिए 4 किग्रा. क्लोरनट्रानीलोप्रोल या 30 मिलीलीटर फ्लूबेंडियामाइड को 200 पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव कर सकते हैं.
- धान की फसल में झोंका रोग का नियंत्रण करने के लिये एजोक्सीस्ट्रोबिन और डाईफेनाकोनाजोल की क्रमश 200 मिली. मात्रा को 200 लीटर पानी में घोलकर फसल के प्रभावित हिस्सों पर छिड़कना चाहिये.
आभासी कीट नियंत्रण
जैसा कि अभी बासमती धान की फसल में बौनापन का वायरस मंडरा रहा है. इसी के साथ-साथ इस मौसम में आभासी कंड कीट भी आफत बनकर धान का उत्पादन गिरा सकते हैं.
- धान की फसल में आभासी कंड लगने पर बालियां फूलकर पीली पड़ जाती हैं, जिससे फसल की क्वालिटी पर काफी बुरा असर पड़ता है.
- इसकी रोकथाम के लिये ब्लाइटोक्स 50 की 2 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर 10 दिनों के अंदर 2 से 3 बार छिड़कना चाहिये.
- धान में ब्राउन प्लांट फॉर पर कीट की रोकथाम के लिए फसल की लगातार निगरानी करते रहें. खासकर धान के पौधों के निचले भाग में मच्छर नुमा कीट मंडराने लगते हैं.
- इस समस्या की रोकथाम के लिये ओशेन दवा की 100 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से धान की फसल पर छिड़कना फायदेमंद रहेगा.
खरपतवार नियंत्रण
जाहिर है कि खेतों में कीट-रोग नियंत्रण के साथ-साथ किसानों को खरपतवार प्रबंधन (Weed Management in Paddy) करने की सलाह भी दी जाती है. इसके लिये किसान धान के खेतों में निराई-गुड़ाई का कार्य करें और अनावश्यक पौधों को उखाड़कर खेत के बाहर फेंक दें. बता दें कि ये खरपतवार ही हैं, जो फसल और मिट्टी से पोषण सोखकर बढ़ते हैं. यही पौधे कीट-रोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं, जिसके कारण फसलों की क्वालिटी और उत्पादन (Paddy Crop Management) पर बुरा असर पड़ता है, इसलिये धान की फसल में कीट-रोगों की रोकथाम (Pest-Disease Control in Paddy) के उपाय करने के साथ-साथ जल निकासी और खरपतवार प्रबंधन (Weed Management Works in Paddy) का कार्य भी करते रहना चाहिये.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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