Agriculture Advisory for Wheat: भारत में खरीफ फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है, जिसके बाद रबी फसलों की बुवाई का काम किया जाएगा. इस बीच पूसा इंस्टीट्यूट (Pusa Institute) के वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए गेहूं की बुवाई के लिए एडवायजरी जारी की है. ICAR-IARI की इस एडवायजरी में किसानों को रबी सीजन (Rabi season 2022) की फसलों की बुवाई के लिए खाद-बीज इंतजाम और खेतों की तैयारी करने की सलाह की गई है. किसान 20 अक्टूबर से गेहूं की अगेती किस्मों (Early Sowing Wheat) की बुवाई शुरू कर सकते हैं, इसलिए अभी से उन्नत किस्म के बीजों का चयन करने के साथ-साथ खेत की तैयारी, सिंचाई व्यवस्था और खाद-उर्वरकों का इंतजाम कर लें.


10 नवंबर तक चलेगी बुवाई


ICAR-IARI के विशेषज्ञों द्वारा जारी एजवायजरी में 20 अक्टूबर से लेकर 10 नवंबर तक गेहूं की अगेती किस्मों की बुवाई करने की सलाह दी है. इस फसल को सिर्फ एक सिंचाई की आवश्यकता होगी और गेहूं का समय से उत्पादन मिल जाएगा. 



  • वहीं गेहूं की सामान्य किस्मों की बिजाई के लिए 10 नंवबर से लेकर 25 नवंबर का समय उपयुक्त रहेगा. इसकी खेती के लिए 4 से 5 सिंचाइयों की जरूरत पड़ेगी.

  • गेहूं की पछेती खेती के लिए दिसंबर में बुवाई करना फायदेमंद रहेगा. अच्छी पैदावार के लिय फसल को 4 से 5 बार पानी लगाना होगा, इसलिए सिंचाई की व्यवस्था कर लें.


जांच-परखकर करें बुवाई


पूसा इंस्टीट्यूट द्वारा जारी एडवाइजरी में किसानों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है. इस में बताया गया कि गेहूं की बुवाई से पहले रोगमुक्त और प्रमाणित बीजों का ही प्रयोग करें.



  • एडवायजरी के मुताबिक, अलग-अलग किस्म के बीजों को एक साथ ना मिलाएं और एक जमीन पर गेहूं की खेती के लिए एक ही किस्म के बीजों से बुवाई का काम करें.

  • अच्छी पैदावार के लिए प्रमाणित बीजों से ही बुवाई करें और बीज प्रमामित नहीं है तो उनका उपचार करके बुवाई करें, जिससे फसल में जोखिमों की संभावना ना रहे.

  • बीजों के उपचार के लिए थीरम और कैप्टॉन का प्रयोग कर सकते हैं. इनकी कोटिंग के बाद बीजों को छायादार स्थान पर सुखायें और अगले दिन खेतों में बिजाई करें.


गहरी जुताई ना करें


ICAR IARI के विशेषज्ञों ने खरीफ फसलों की कटाई के बाद किसानों को खेतों की तैयारी करने की सलाह दी है. इसके लिये खेतों  में हल्की जुताई लगाएं. इसके किसानों को सावधानी बरतने की सलाह दी है, क्योंकि अक्सर किसान खेतों में गहरी जुताई लगा देते हैं, जिससे बीजों का अंकुरण ठीक से नहीं हो पाता. यदि खेत बिल्कुल सूखे पड़े हैं तो जुताई के बाद हल्की सिंचाई का काम भी करना होगा.


इन बातों का रखें ध्यान 


गेहूं के बीजों का सही अंकुरण, पौधों का सही विकास और फसल की अच्छी पैदावार के लिये बुवाई (Wheat Sowing) के समय खेतों में नमी का होना आवश्यक है. 



  • खेती में समय, मेहनत और खर्चा बचाने के लिये सीड़ ड्रिल मशीन (Seed Drill Machine) से बुवाई का काम करें. इससे खाद-उर्वरकों की लागत भी बचेगी.

  • पारंपरिक छिड़काव विधि के मुकाबले गेहूं की बुवाई (Wheat Cultivation) के लिये कतार विधि का इस्तेमाल करें.

  • इस तरह फसल की निगरानी और देखभाल आसान हो जाती है. साथ ही निराई-गुड़ाई, खरपतवार प्रबंधन (Weed Management) और कीट-रोग नियंत्रण में भी आसानी रहती है.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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