Kashi Sindoori Red Chili: लाल मिर्च ना सिर्फ एक सब्जी है, बल्कि इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधि के तौर पर भी किया जाता है, इसलिए किसान भी मिर्च की ऐसी किस्मों की तलाश में होते हैं, जिनका इस्तेमाल खाने के साथ-साथ दूसरे कामों में हो सके. हाल ही में आईसीएआर-आईआईवीआर (ICAR-IIVR)के वैज्ञानिकों ने लाल मिर्च की ऐसी ही एक खास किस्म इजाद की है, जो खाने का स्वाद तो बढ़ाएगी ही, साथ ही सुंदरता को भी निखारेगी. एक्सपर्ट्स की मानें को लाल मिर्च की इस नई वैरायटी से लिपस्टिक से लेकर तमाम सौंदर्य प्रसाधन भी बनाए जा सकते हैं. इस किस्म से खेती करके किसानों को अच्छी आमदनी हो पाएगी. आइए जानते हैं इस नई किस्म की खूबियों के बारे में.


बनेगी लिपस्टिक और ब्यूटी प्रॉडक्ट्स
वाराणसी स्थिति आईसीएआर-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने लाल मिर्च की नई वैरायटी काशी सिंदूरी (Kashi Sindoori Red Chili) विकसित की है, जिसका वैज्ञानिक नाम वीपीबीसी-535 रखा गया है. इस सुर्ख लाल रंग वाली मिर्च का इस्तेमाल लिपस्टीक और तमाम ब्यूटी प्रॉडक्ट्स बनाने नमें किया जाएगा. इस तरह ये किसानों की आमदमी बढ़ाने के साथ-साथ महिलाओं की सुंदरता को भी निखारने का काम करेगी. काशी सिंदूरी को इजाद करने वाले वैज्ञानिकों ने बताया कि ये लाल मिर्च ना सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाएगी, बल्कि कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में भी इसके इस्तेमाल से क्वालिटी प्रॉडक्ट्स बनाए जा सकेंगे.


क्या कहते हैं एक्टपर्ट्स
लाल मिर्च की नई वैरायटी वीपीबीएस-535 (VPBS-353) को लेकर आईआईवीआर के निदेशक तुषार कांति बताते हैं कि इस लाल मिर्च पर अभी रिसर्च चल रही है. अभी तक किसानों तो लाल मिर्च की कई किस्में खेती के लिए उपलब्ध करवाई जा चुकी हैं, लेकिन ये पहली बार होगा कि देश में अब काशी सिंदूरी यानी पापरिका की खेती होगी. ये लाल मिर्च पकने के बाद सुर्ख लाल हो जाती है. इसमें ओलियोरेजिन नाम का औषधीय गिण भी मौजूद है, जिसका इस्तेमाल दवा बनाने और लाल रंग को एक्सट्रेक्ट करके लिपिस्टिक जैसे कॉस्मेटिक बनाने में किया जा सकता है. इसके प्राकृतिक गुणों से कॉस्मेटिक इंडस्ट्री को काफी फायदा होगा. इसके लाल रंग से बने कॉस्मेटिक्स की मदद से कई लोगों को राहत मिलेगी, जो पहले से ही हार्श कैमिकल और सिंथेटिक कॉस्मेटिक का यूज कर रहे हैं.


इस तरह होगी खेती
आईसीएआर-आईआईवीआर के साइंटिस्ट ने बताया कि लाल मिर्च की दूसरी किस्मों के मुकाबले काशी सिंदूरी उर्फ वीपीबीसी-535 काफी अच्छा उत्पादन देती है. एक हेक्टेयर में इस लाल मिर्च की खेती के लिए 400 से 500 ग्राम बीजों से बुवाई की जा सकती है, जिसके बाद 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का प्रॉडक्शन ले सकते हैं. वैसे तो इसकी खेती के लिए सभी मानकों का ध्यान रखना होगा. एक्सपर्ट्स ने बताया कि इस किस्म की खेती के लिए उर्वरकों का इस्तेमाल अच्छी मात्रा में करना होगा, जिससे कि क्वालिटी प्रॉडक्शन मिल सके. सबसे अच्छी बात ये है कि वीपीबीएस-535 किस्म की खेती के लिए मौसम की कोई सीमा नहीं है. किसान चाहें तो रबी सीजन या खरीफ सीजन में भी इसकी खेती कर सकते हैं. इसकी खूबियों के मद्देनजर कृषि वैज्ञानिक भी काशी सिंदूरी उर्फ वीपीबीसी-535 को खेती के लिए बाजार में उतारने की तैयारी कर रहे हैं.


इन देशों मं निर्यात हो रही भारत की मिर्च
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में हरी और लाल मिर्च की बड़े पैमाने पर पैदावार मिलती है. खासकर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर, बाराबंकी, वाराणसी, सोनभद्र और चंदौली में उत्पादित हजारों क्विंटल मिर्च का निर्यात दुबाई, ओमान, कतर, जर्मनी और यूनाइटिड किंगडम में किया जा रहा है. साथ ही पड़ोसी देशों में भी भारतीय लाल मिर्च की भारी डिमांड रहती है. भारत में लाल और हरी मिर्च की प्रोसेसिंग करके तमाम फूड प्रॉडक्ट्स बनाए जा रहे हैं, जिससे किसानों को भी काफी फायदा हो रहा है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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