Potato Farming: पाला पड़ने से बर्बाद नहीं होगी आलू की फसल, अगर ज्यादा उत्पादन चाहिए तो ये वाली किस्म देगी अच्छा मुनाफा
Kufri Pukhraj Potato: देश में कुल आलू उत्पादन का 33% कुफरी पुखराज से ही आता है, इसलिए बड़े पैमाने पर आलू उगाने वाले किसान इसी किस्म से बुवाई करके 100 दिन के अंदर 400 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं.
Potato Cultivation: आलू रबी सीजन की प्रमुख नकदी फसल है, जिसकी मांग तो सालभर बनी रहती है, लेकिन आलू का उत्पादन सर्द तापमान में ही मिलती है, इसलिए किसान ऐसी किस्मों की तलाश में रहते हैं, जो एक ही सीजन में जबरदस्त उत्पादन दे जाएं, क्योंकि भारत में हो रहे आलू के उत्पादन से घरेलू आपूर्ति के साथ अंतर्राष्ट्रीय बाजार की मांग को पूरा किया जा रहा है. इसी रफ्तार से आलू का उत्पादन करने के लिए कुफरी पुखराज किस्म से बुवाई करने की हिदायत दी जाती है. ये किस्म कम अवधि में आलू का काफी अच्छा प्रोडक्शन देती है. देश के ज्यादातर किसान कुफरी पुखराज आलू से ही व्यावसायिक खेती करते हैं. इन किस्मों को उगाने से लेकर भंडारण और निर्यात भी बेहद आसान रहता है.
क्यों मशहूर है कुफरी पुखराज
बड़े पैमाने पर आलू की खेती करने वाले किसानों के लिए कुफरी पुखराज से बुवाई करने फायदेमंद साबित हो सकता है. उत्तर भारत की ये लोकप्रिय किस्म कम समय में आलू का अधिक उत्पादन दे जाती है. आईसीएआर का दावा है कि इस फसल कीट-रोग की संभावना काफी कम रहती है.
पाला और झुलसने जैसी मौसम जनित घटनाओं से भी 'कुफरी पुखराज' आलू पर कुछ खास फर्क नहीं पड़ता. अच्छी बात तो ये है कि यह वैरायटी बुवाई के 100 दिनों के अंदर ही तैयार हो जाती है, जिससे 400 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं.
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— Indian Council of Agricultural Research. (@icarindia) December 15, 2022
इन इलाकों में करें खेती
वैसे तो सर्द तापमान वाले हर इलाके में कुफरी पुखराज की खेती की जा सकती है, लेकिन आईसीएआर के एक्सपर्ट्स बताते हैं कि आज उत्तर भारत में आलू उत्पादन पर कुफरी पुखराज किस्म की 80 फीसदी दावेदारी है. उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब, हरियाणा, गुजरात, असम, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में इसकी खेती बड़े स्तर पर हो रही है. आईसीएआर (ICAR) की रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2021-22 के दौरान कुफरी पुखराज किस्म से सालाना 4,729 करोड़ के आर्थिक लाभ का अनुमान है.
बंपर पैदावार देती हैं कुफरी किस्में
आलू की कुफरी किस्मों को केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला (Central Potato Research Institute, Shimla) ने विकसित किया है. यहां की उन्नत किस्में साधारण किस्मों की तुलना में 152 से 400 क्विंटल तक अधिक पैदावार देती है. कुफरी की ज्यादातर किस्में कम अवधि वाली होती है, जो 70 से 135 दिन में पककर तैयार हो जाती है.
इसके बाद किसान सीजन की कोई दूसरी फसल भी लगा सकते हैं.इन किस्मों में कुफरी अलंकार, कुफरी चंद्र मुखी, कुफरी नवताल जी 2524, कुफरी ज्योति, कुफरी लालिमा, कुफरी शीलमान, कुफरी स्वर्ण, कुफरी सिंदूरी, कुफरी देवा शामिल हैं. नई किस्मों में कुफरी चिप्सोना-2, कुफरी गिरिराज, कुफरी चिप्सोना-1 और कुफरी आनंद का नाम भी टॉप पर आता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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