Easy Tips for Finding Right Fertilizer: भारत में खरीफ फसलों (Kharuf Crop) की बुवाई का समय चल रहा है, ऐसे में किसान खेत में यूरिया (Original Urea), डीएपी समेत दूसरे पोषक तत्व (Fertilizers) डालकर बुवाई का काम करते हैं. खासकर धान की खेती (Paddy Cultivation) की बात करें तो फसल को सही मात्रा में नाइट्रोजन (Nitrogen) की जरूरत होती है, जिसके लिये यूरिया और डीएपी का छिड़काव किया जाता है. ऐसे में किसानों को सावधान (Precaution) रहने की जरूरत है, क्योंकि बाजार में नकली यूरिया, डीएपी और दूसरे उर्वरक भी बिकते हैं. जो दिखते तो असली की तरह हैं, लेकिन फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं, इसलिये खरीदने से पहले इनकी पहचान करना जरूरी है. यही उर्वरकों की पहचान (Identification of Fertilizer) के लिये किसान ये नुस्खे अपना सकते हैं- 


डीएपी की पहचान
फसलों में नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी को पूरा करने के लिये डीएपी का प्रयोग किया जाता है, लेकिन बाजार में नकली डीएपी की काला बाजारी हो रही है.



  • असली डीएपी की पहचान (Identification of DAP) के लिये हाथ में डीएपी के कुछ दानों को हाथ में लेकर उसमें ठीक प्रकार से चूना मिलायें. डीएपी में चूना रगड़ने पर बर्दाश्त न होने वाली तेज गंध आने लगे, तो समझ जायें कि ये उर्वरक असली है.

  • किसान चाहें तो डीएपी के कुछ दानों को तबे पर गर्म भी कर सकते हैं. अगर कुछ समय बाद ये दाने फूल जायें, तो समझ लीजिये डीएपी असली है.

  • जानकारी के लिये बता दें कि डीएपी एक कठोर उर्वरक है, जिसके दाने भूरे काले और बादामी रंग के होते है.




यूरिया की पहचान (Identification of Urea)
यूरिया से फसल में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने में मदद मिलती है. इस उर्वरक के दाने सफेद और एक जैसे आकार के होते हैं.



  • यूरिया के दाने पानी में ठीक प्रकार से घुलकर पानी के तापमान को ठंडा कर देते हैं. 

  • तवे पर गर्म करने पर असली यूरिया के दाने पिघल जाते हैं और नष्ट हो जाते हैं. इसलिये खरीदने से पहले इसी प्रकार असली और नकली यूरिया की पहचान जरूर कर लें.


पोटाश की पहचान (Identification of Potash)
असली पोटाश के दाने खिले-खिले होते हैं, जिसे पानी में घोलने पर इसके लाल रंग का अपशिष्ट पानी के ऊपर तैरने लगता है. इसकी खास पहचान ये है कि पानी की बूंदें डालने पर भी इसके दाने चिपकते नहीं हैं. इसकी प्रकार सुपर फास्फेट भी फूले, काले और बादामी रंग का होता है, जिसे तवे पर गर्म करने के बाद भी ये फूलता नहीं है. 


जिंक सल्फेट की पहचान (Identification of Zinc Sulphate)
जिंक सल्फेट में भी मैग्नीशियम सल्फेट की मिलावट के किस्से सामने आते हैं. मैग्नीशियम सल्फेट की मिलावट वाला नकली जिंक सल्फेट पूरी तरह कास्टिक और डीएपी में नहीं घुलता. जबकि डीएपी के घोल मे जिंक सल्फेट मिलाने पर थक्केदार कचरा दिखने लगता है, जो असली की पहचान है. वहीं जिंक सल्फेट में पलती कास्टिक का घोल मिलाने पर मिश्रण का रंग सफेद मटमैला मांड जैसा हो जाता है, जबकि गाढ़ा कास्टिक मिलाने पर पूरा जिंक सल्फेट घुल जाता है.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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