IDF World Dairy Summit 2022: पीएम मोदी ने 12 सितंबर 2022 को ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्स्पो सेंटर में वर्ल्ड डेयरी समिट-2022 का उद्घाटन किया. खास बात ये है कि 48 साल के भारत में डेयरी समिट का आयोजन हो रहा है. इंडिया एक्स्पो सेंटर के हॉल नंबर 1 और 3 में डेयरी कारोबार से जुड़ी कंपनियों ने विश्वस्तरीय प्रदर्शनी लगाई हैं. अगर आंकड़ों की बात करें तो भारत में साल 2016 –17 में दूध की मांग करीब 15.5 करोड़ टन थी. जोकि साल 2021 -22 में ये बढ़कर करीब 20 करोड़ टन हो गई है. तो इस समिट में शामिल होने वाली कंपनियां कैसे इस मांग को पूरा करती है और वो कैसे इतनी बड़ी मात्रा में दूध को इकट्ठा करके सप्लाई कर पाती है, इसके बारे में हमने राजस्थान के जोधपुर में एक दूध कंपनी के प्लांट के मैनेजर से बात की, जिसके आधार पर हमने ये स्टोरी तैयार की है.


मैनेजर के अनुसार जोधपुर का ये दूध प्लांट 5000 से ज्यादा पशुओं को खुद पालता है. साथ ही बड़े-बड़े दूध के कारोबारियों से इनके प्लांट में दूध सप्लाई किया जाता है. मैनेजर के अनुसार वो दूध छोटे-बड़े कारोबारियों को दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें जिन भी चीजों की आवश्यकता पड़ती है कंपनी उपलब्ध कराती है. दूध कंपनी के इस प्लांट में ज्यादातर राठी और थारपारकर नस्ल की गायें पाली जाती है.


कम पानी पीती हैं ये गाय


इन गायों के पालन के बारे में प्लांट के मैनेजर का कहना है कि इन नस्लों की गाय दूसरे पशुओं के मुकाबले में ज्यादा दूध देती हैं. इन गायों में बीमारियों की आशंका भी कम ही होती है. खास बात ये है कि राठी और थारपारकर नस्ल के पशु राजस्थान के सूखे मौसम के अनुसार अपने आपको ढ़ाल चुके हैं. इन पशुओं को ज्यादा मात्रा में पानी की जरूरत नहीं होती है. 


थार की वजह से पड़ा थारपारकर नाम 


उन्होंने बताया कि थारपारकर नस्ल की गाय राजस्थान के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, जालौन और सिरोही इलाकों में पाली जाती है. इन इलाकों में पानी काफी कम मात्रा में उपलब्ध है. थार में पाली जाने के कारण इन गायों का नाम थारपारकर पड़ा है. मैनेजर के अनुसार ये गायें एक बार में 20 से 35 लीटर तक दूध देती हैं.  इसके अलावा इस प्लांट में गीर, साहिवाल और मुर्रा नस्ल के पशुओं को भी पाला जाता है.


ये भी पढ़ें-


PM Kisan: PM किसान योजना में किसानों के साथ नहीं होगी धोखाधड़ी, सरकार ने उठाया जरूरी कदम


Seed Subsidy Scheme: गेहूं के बीज पर अनुदान के लिये आवेदन का झंझट नहीं, बीज खरीद के बिल पर ही सब्सिडी मिलेगी