Wheat Farming: IIT के एक्सपर्ट्स ने ईजाद की गेहूं की खास किस्म, 35 दिन तक ना करें सिंचाई तो भी मिलेगी जबरदस्त पैदावार
Heat Resistant Wheat: आईआईटी कानपुर के एक्सपर्ट्स ने गेहूं की जबरदस्त किस्म ईजाद की है, जो सूखा झेलने के साथ गर्मी-लू के लिये काफी सहनशील है. आइये जानते हैं इसकी पैदावार और खूबियों के बारे में.
Drought Resistant Wheat: रबी सीजन की प्रमुख नकदी फसलों में गेहूं का नाम टॉप पर आता है. भारत गेहूं का एक बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है. यही से देश और दुनिया में गेहूं की खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है. देश के ज्यादातर इलाकों में खरीफ धान की कटाई के बाद रबी सीजन के लिए गेहूं की बुवाई (Wheat Farming) करने का चलन है. खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे कई राज्यों में इसकी बुवाई के लिये तैयारियां हो चुकी हैं.
जलवायु परिवर्तन के बढ़ते जोखिमों के बीच किसान अब गेहूं की ऐसी किस्मों पर फोकस कर रहे हैं, जिनकी खेती में जोखिम की संभावना कम ही हो. साथ ही बुवाई के बाद कम मेहनत में ही ठीक-ठाक पैदावार मिल जाये. वैसे तो पूसा कृषि संस्थान ऐसी कई उन्नत किस्मों पर काम कर रहा है, लेकिन आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) के एक्सपर्ट्स ने गेहूं की जबरदस्त किस्म का आविष्कार कर लिया है. बता दें कि इस उन्नत किस्म को सूखा रोधी और गर्मी-लू तक सहन करने वाली प्रजातियों में गिना जा रहा है. आइये जानते हैं इसकी पैदावार और खूबियों के बारे में विस्तार से.
आईआईटी कानपुर का उन्नत गेहूं
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आईआईटी कानपुर इनक्यूबेटेड कंपनी एलसीबी फर्टिलाइजर ने गेहूं का एक उन्नत बीज विकसित किया है, जिसे नैनो कोटेड पार्टिकल सीड भी कहा जा रहा है. इस बीज को तैयार करने वाले एलसीबी के रिसर्चर्स के मुताबिक, गेहूं की इस किस्म पर चल रही रिसर्च सफल साबित हो चुकी है. इस बीज पर नैनो पार्टिकल और सुपर अब्जॉर्बेंट पॉलिमर की कोटिंग की गई है.
विशेषज्ञों की मानें तो इस गेहूं के बीज पर एक पॉलिमर लगा है, जो 268 गुना तक पानी सोखने की क्षमता रखता है. इस बीज की पानी की इस खूबी के कारण ही 35 दिन तक फसल में सिंचाई करने की कोई आवश्यकता नहीं पडेगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, गेहूं का ये नवीनतम विकसित बीज 78 डिग्री तापमान में भी जिंदा रहेगा. ये फसल भी 120 से 150 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जायेगी.
35 दिन तक सिंचाई की जरूरत नहीं
आधुनिकता के दौर में अब किसान भी कम मेहनत में अच्छी पैदावार देने वाली किस्मों को तवज्जो दे ही रहे हैं. साथ ही, उन किस्मों की भी डिमांड बढ़ गई है जो जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों को झेल सकें. जैसा कि गेहूं की फसल में समय पर सिंचाई और कटाई करने होती है, क्योंकि कम पानी और गर्मी के कारण फसल झुलसकर बर्बाद हो जाती है, लेकिन अब आईआईटी के एक्सपर्ट्स ने ऐसी किस्म विकसित कर ली है, जिसमें गेहूं की खेती से जुड़ी तमाम चिंतायें दूर हो जायेंगी. बता दें कि गेहूं की ये नवीनतम विकसित किस्म 35 दिनों तक बिना सिंचाई के भी अच्छी पैदावार दे जाती है, जिसके चलते कम पानी वाले इलाकों में खेती करने वाले किसानों के लिये ये वरदान साबित होगी ही. उत्तर भारत के किसान इस किस्म से खेती कर लाभ ले पायेंगे.
गर्मी और लू का नहीं पडेगा कोई असर
अकसर पछेती गेहूं की खेती करने वाले किसानों को गर्मी और लू से फसल में नुकसान की चिंता बनी रहती है, लेकिन आईआईटी कानपुर की इनक्यूबेटेड कंपनी एलसीबी फर्टिलाइजर ने जो किस्म ईजाद की है, उससे खेती करने पर किसानों की ये चिंता भी खत्म हो जायेगी, क्योंकि गेहूं की ये उन्नत किस्म अब कम सिंचाई में अच्छी पैदावार देगी ही, लेकिन गर्मी और लू के कारण फसल के सूखने और झुलसे का भी जोखिम भी रहेगा. इससे किसानों की बड़ी चिंता खत्म होगी और खेती में सिंचाई-प्रबंधन पर भी अधिक खर्च नहीं करना पड़ेगा. इस तरह गेहूं की खेती में लागत कम और मुनाफा बढ़ जायेगा.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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