Agriculture Advisory: जलवायु परिवर्तन के बीच फसल उत्पादन कम होता जा रहा है. कभी बेमौसम बारिश, कभी सूखा, लू तो अनियमित सर्दियां खेती-किसानी को प्रभावित कर रही हैं. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के ताजा पूर्वानुमान से भी इस साल किसानों की चिंताएं बढ़ रही हैं. आईएमडी (IMD) के मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक, दिसंबर से फरवरी के बीच सर्दियों के मौसम में कुछ गर्माहट रहने की उम्मीद है. मौसम वैज्ञानिकों ने यह भी बताया है कि अगर तापमान में असामान्य बदलाव हो जाते हैं तो ये रबी फसलों (Rabi Crops) पर विपरीत असर डाल सकता है. आइए बचाव के तरीकों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
मौसम में गर्माहट रहने का अनुमान
अकसर देखा जाता है कि तापमान में उतार-चढ़ाव की वजह से फसल की क्वालिटी सबसे ज्यादा प्रभावित होती है. जैसा कि इस साल खरीफ फसलों के साथ हुआ. पहले मानसून में देरी के चलते धान की बुवाई नहीं हो पाई, बीच में बारिश नहीं हुई तो सिंचाई में परेशानी रही. आखिर में मानसून की वापसी ने धान की फसल को बर्बाद कर दिया. इस साल भी सर्दियों में ऐसे ही मौसम के खेल का अनुमान है.
आईएमडी ने गुरुवार को जारी फरवरी तक के पूर्वानुमान में बताया है कि इस साल उत्तर भारत को कड़ाके की ठंड से कुछ हद तक राहत मिलेगी. सामान्य सर्दियां तो खेती के लिए ठीक है, लेकिन अगर तापमान में ज्यादा ग्रोथ हुई तो रबी फसलों के उत्पादन के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है. खासकर गेहूं की फसल के लिए, क्योंकि ये बुवाई के बाद कुछ चरणों में उच्च तापमान के लिए असंवेदनशील होता है.
असामान्य बदलाव से सावधान
इस विंटर सीजन में मौसम पूर्वानुमान को लेकर आईएमडी के महानिदेशक ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि बड़े पैमाने पर मौसम में हो रहे बदलावों की वजह से उत्तर पश्चिम भारत में न्यूनतम और अधिकतम तापमान सामान्य या इससे ऊपर बने रहने का अनुमान है. उन्होंने बताया कि आसमान में बादल कम ही छाए रहेंगे.
इन सर्दियों में औसत से कम बारिश होने की वजह से तापमान सामान्य से कुछ ज्यादा ही रहेगा. खासकर दिन का तापमान अधिक यानी कुछ गर्म रहेगा. इसकी सीधा असर रबी सीजन (Rabi Season) की गेहूं और सरसों पर पड़ सकता है, लेकिन यह पूरी तरह फसल की अवस्था पर निर्भर करता है, इसलिए अभी से कुछ कहा नहीं जा सकता.
पिछले साल भी हुआ था नुकसान
जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल भी गेहूं की कटाई के समय अचानक तापमान में गर्माहट देखी गई. अचानक तापमान बढ़ने से गेहूं की पैदावार प्रभावित हुई. कई रिसर्च में भी सामने आया है कि पानी की कमी और बढ़ती गर्मी से गेहूं के प्रोडक्शन (Wheat Production) में गिरावट दर्ज हुई है.
पिछसे साल भी पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार से गेहूं के उत्पादन को लेकर खास रुझान सामने नहीं आए. इन राज्यों में 1 से 8 फीसदी तक गेहूं का उत्पादन गिर गया था. यही वजह है कि रबी सीजन 2021-22 में गेहूं का कुल 3 फीसदी गिरावट के साथ 106.84 मिलियन टन तक ही सीमित रह गया.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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