भारत का कृषि रसायन उद्योग अगले चार वर्षों में एक बड़ा लीप लेने के लिए तैयार है! जी हां, आपने सही सुना. एक नई रिपोर्ट के मुताबिक अगर सरकार उद्योग को थोड़ा और सहयोग दे तो कृषि रसायनों का निर्यात 80,000 करोड़ रुपये से भी पार हो सकता है.


क्या है पूरा मामला?


एग्रो केम फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसीएफआई) और ईवाई की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत पहले से ही कृषि रसायनों का एक बड़ा निर्यातक है. पिछले साल ही देश ने 43,223 करोड़ रुपये के कृषि रसायन विदेशों में भेजे थे. लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर सरकार कुछ खास कदम उठाए तो ये आंकड़ा और भी बढ़ सकता है.



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  • लाइसेंसिंग को आसान बनाना: सरकार को लाइसेंस लेने की प्रक्रिया को सरल बनाना होगा.

  • बुनियादी ढांचे में सुधार: भंडारण और बिक्री के लिए बेहतर बुनियादी ढांचा चाहिए.

  • जैव कीटनाशकों को बढ़ावा: जैविक खादों और कीटनाशकों को बढ़ावा देना होगा.

  • नए अणुओं के लिए आसान पंजीकरण: नए तरह के कृषि रसायनों को बाजार में लाने की प्रक्रिया को आसान बनाना होगा.

  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौते: दूसरे देशों के साथ व्यापार समझौते करने होंगे.

  • निवेश को बढ़ावा: विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकार को और योजनाएं लानी होंगी.

  • जीएसटी कम करना: कृषि रसायनों पर लगने वाले जीएसटी को कम करना चाहिए.


क्यों है ये इतना महत्वपूर्ण?



  • कृषि उत्पादन: कृषि रसायन फसलों की पैदावार बढ़ाने में मदद करते हैं.

  • रोजगार: इस उद्योग में लाखों लोगों को रोजगार मिलता है.

  • आर्थिक विकास: कृषि रसायनों का निर्यात देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है.


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क्या हैं चुनौतियां?



  • जेनेरिक अणुओं पर निर्भरता: भारत ज्यादातर पुराने तरह के कृषि रसायनों पर निर्भर है.

  • कम खपत: भारतीय किसान अभी भी कम मात्रा में कृषि रसायन का इस्तेमाल करते हैं.

  • आयात पर निर्भरता: भारत को अभी भी कई कृषि रसायन दूसरे देशों से खरीदने पड़ते हैं.


आगे का रास्ता


एसीएफआई का मानना है कि अगर सरकार इन चुनौतियों का समाधान करती है तो भारत कृषि रसायनों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक बन सकता है. इससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.



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