Fertilizer Uses: खेती को बेहतर बनाने के लिए उर्वरकों का उपयोग जरूरी है. आर्गेनिक फर्टिलाइर तैयार करने में समय अधिक लगता है, इसलिए किसान नॉन आर्गेनिक फर्टिलाइजर ही प्रयोग करना अधिक पसंद करते हैं. सरकारी केंद्र और निजी दुकानों पर उर्वरकों की बिक्री होती है. लेकिन कई बार विक्रेता उर्वरक बिक्री करने में मनमानी बरतते हैं. प्रदेश सरकारें उर्वरक विक्रेताओं पर लगाम कसने लगने के लिए लगातार कदम उठा रही हैं. अब उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट की ओर से भी कदम उठाए गए हैं. 


ऑनलाइन लेनदेन नहीं तो निरस्त होगा लाइसेंस


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि जिले में सभी उर्वरक केंद्रों और दुकानों पर किसानों के लिए डिजीटल पेमेंट की व्यवस्था करनी पड़ेगी. दरअसल, दो साल पहले उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट की ओर से निर्देश जारी हुए थे कि फर्टिलाइजर बिक्री केंद्रों पर ऑनलाइन ही अनिवार्य रूप से लेनदेन किया जाए. यदि किसान को कोई उर्वरक बेचा जा रहा है तो उसका हिसाब खाता ऑनलाइन ही हो. लेकिन शासन के निर्देश के बावजूद ऑनलाइन लेनदेन संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की गई. अब ऐसे ही दुकानदारों के लाइसेंस निरस्त करने की कवायद शुरू कर दी गई है.  


कालाबाजारी रोकने को उठाया गया कदम


दरअसल, उर्वरकों की खरीद का ऑनलाइन लेखा जोखा रखने का मकसद सरकार का कालाबाजारी रोकने से था. ऐसी शिकायतें राज्य सरकार को मिल रही थीं कि कुछ उर्वरक विक्रेता कालबाजारी कर उर्वरक बेच रहे हैं. इसी को देखते हुए ये कदम उठाया गया. गाजियाबाद में करीब 125 बिक्री केंद्र और दुकानें हैं. सभी दुकानदारों को दुकानों पर डिजीटल पेमेंट करने के निर्देश हैं.


प्रदेश के अन्य जिलों में भी उठाया जाएगा कदम


प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस संबंध में कदम उठाए जा रहे हैं. राज्य सरकार प्रदेश में उर्वकरों की कालाबाजारी रोकना चाहती हैं. वहीं, गाजियाबाद में जिन दुकानदारों ने डिजीटल पैमेंट की व्यवस्था नहीं की है. उनसे जवाबतलब कर लिया गया है. दुकानदारों को लिखित में बताना होगा कि दुकान पर यूपीआई क्यूआर कोड की व्यवस्था की गई है या नहीं. यदि ऐसा नहीं किया गया है. ऐसा न होने पर स्पष्टीकरण देना होगा. 


कीटनाशक बिक्री के लिए भी डिग्री, डिप्लोमा होना जरूरी


उत्तर प्रदेश में कीटनाशक दवाओं की बिक्री के लिए डिग्री, डिप्लोमा होना जरूरी है. एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट ने सभी कीटनाशक विक्रेताओं को 31 दिसंबर तक दस्तावेज दिखाने का समय दिया था. उनके पास किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी या संस्थान से कृषि विभाग, जैव रसायन, जैव प्रोदयोगिकी की स्नातक डिग्री हो. इसके अलावा कृषि बागवानी का 1 वर्षीय डिप्लोमा से भी दवा बेच सकते हैं. सभी डॉक्यूमेंट को विभाग में दिखाना जरूरी है. जिन कीटनाशक विक्रेताओं के पास दस्तावेज नहीं है. उनके खिलाफ नए साल में कार्रवाई होगी. 




Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.



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