Sugar Production: वर्ल्ड में भारत चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है. भारत में चीनी की कीमतें नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2023 तक इसके एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया गया है. केंद्र सरकार को उम्मीद है कि भारत में आने वाले सालों में गन्ना उत्पादन और तेजी से बढ़ेगा. यह विश्व में चीनी प्रॉडक्शन में अपनी नंबर वन की पोजीशन बरकरार रखेगा. साल 2021-22 में भारत का चीनी निर्यात 57 प्रतिशत बढ़कर 109.8 लाख टन हो गया है.
डीजीएफटी ने एक साल के लिए बढ़ाया प्रतिबंध
चीनी निर्यात पर प्रतिबंध 31 अक्टूबर 2022 तक तय किया गया था. लेकिन विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने अब इसे एक साल के लिए बढ़ा दिया है. अब यह 31 अक्टूबर 2023 तक रहेगा. डीजीएफटी ने एक अधिसूचना जारी कर बताया कि कच्ची, रिफाइंड और सफेद चीनी के निर्यात पर लगी पाबंदियों को 31 अक्टूबर, 2022 से आगे 31 अक्टूबर, 2023 या फिर अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया गया है. इससे जुड़ी बाकी शर्ताें में भी कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा.
यहां रहेगी छूट
ये पाबंदियां यूरोपीय संघ (ईयू) और अमेरिका को सीएक्सएल और टीआरक्यू शुल्क रियायत कोटा के तहत किए जाने वाले एक्सपोर्ट पर एप्लाई नहीं होंगी. प्रतिबंध की शर्ताें के अनुसार, इन दोनों बाजारों में सीएक्सएल और टीआरक्यू व्यवस्था के तहत एक तय मात्रा में चीनी निर्यात की जाती है. 2021 और 2022 के बीच देश में 5,000 लाख टन से अधिक गन्ने का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ, जिसमें से चीनी मिलों ने लगभग 3,574 लाख टन की पेराई करके लगभग 394 लाख टन चीनी (सुक्रोज) का उत्पादन किया. इसमें से 359 लाख टन चीनी का उत्पादन चीनी मिलों द्वारा किया गया, जबकि 35 लाख टन चीनी को एथेनॉल निर्माण के लिए डायवर्ट किया गया.
नहीं महंगी होगी चीनी
विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार को लगा कि यदि विदेशों को चीनी भेजना जारी रखा जाता है तो अपने देश में चीनी की कमी होगी. इससे चीनी महंगी होती चली जाएगी. इसका असर आमजन की जेब पर पड़ेगा. पब्लिक की जेब का ख्याल रखते हुए ही एक साल के लिए चीन पर प्रतिबंध जारी रखने का निर्णय लिया गया है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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