Agri Products Export: भारत का कृषि क्षेत्र तेजी से विकास पथ पर आगे बढ़ रहा है. बेशक कृषि में चुनौतियां बेहिसाब है, लेकिन इन सब के बावजूद हमारे किसान जी-तोड़ मेहनत करके फसलों का अधिक से अधिक उत्पादन ले रहे हैं. अब खेतों से निकली उपज सिर्फ मंडियों तक ही सीमित नहीं रही. कई किसान ई-नाम जैसे ट्रेडिंग पोर्टल पर ऑनलाइन अपनी उपज बेच रहे हैं. कुछ कृषि उत्पादों की मांग इतनी बढ़ गई है कि किसान अब उत्पादन का रकबा भी बढ़ा रहे हैं. इस बीच अच्छी बात यह भी है कि अब भारत की मिट्टी में उपजे कृषि उत्पाद सिर्फ देश की ही नहीं, विदेशी की भी खाद्य आपूर्ति कर रहे हैं. ताजा रिपोर्ट्स से पता चला है कि उत्तर भारत और पूर्वोत्तर राज्यों के कई कृषि उत्पादों की मांग विदेशों में बढ़ रही है. आइए नजर डालते हैं इन कृषि उत्पादों और देश-विदेश में इनकी मांग-आपूर्ति पर.


85% बढ़ा पूर्वोत्तर राज्यों का कृषि निर्यात
पूर्वोत्तर राज्यों को इन दिनों ऑर्गेनिक लैंड के तौर पर विकसित किया जा रहा है. सिक्किम को दुनिया के पहले ऑर्गेनिक स्टेट का खिताब प्राप्त है. यही वजह है कि दूसरे पूर्वोत्तर राज्य भी सिक्किम की तरह जैविक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं. पिछले 6 सालों में जैविक खेती करने का फायदा भी पूर्वोत्तर के किसानों को मिला है. इन राज्यों से कृषि निर्यात 85% तक बढ़ गया है. शुक्रवार को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी करके बताया कि साल 2016-17 तक कृषि उत्पादों का निर्यात 2.52 मिलियन डॉलर था, जो साल 2021-22 में 85% की ग्रोथ के साथ 17.2 मिलियन डॉलर को पार कर गया है.


इन राज्यों में बढ़ी मांग
भारत से कृषि उत्पादों का बड़े पैमाने पर निर्यात करने वाले राज्यों में असम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और मेघालय शामिल हैं. यहां किसानों ने बांग्लादेश, भूटान, मध्य पूर्व, ब्रिटेन और यूरोप को अपना परमानेंट ग्राहक बना लिया है. इस काम में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने खूब मदद की है. पूर्वोत्तर के कृषि उत्पादों की ब्रांडिंग से लेकर मार्केटिंग तक का काम खुद एपीडा देख रहा है. अपने रिसर्च के आधार पर एपीडा ने यह भी बताया है कि बाकी कृषि उत्पादों की तुलना में पूर्वोत्तर की कीवी को यूरोप मे काफी पसंद किया जा रहा है. इन रुझानों के मद्देनजर अब पूर्वोत्तर के जोहा चावल पुलाव और काले चावल की ब्रांडिंग और मार्केटिंग करने की प्लानिंग है.


किसानों को मिल रही स्किल ट्रेनिंग
यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है कि भारत के कृषि उत्पाद विदेशों में पसंद किए जा रहे हैं. पुराने समय से ही यहां के फल, फूल, औषधियां चर्चाओं में रही हैं. अब इस काम को बेहतर ढंग से करने के लिए किसानों को स्किल ट्रेनिंग यानी कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे कि वो अपने बागवानी उत्पादों  का वेल्यू एडिशन कर सकें. इस मामले में  वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने भी बताया है कि अधिकारियों ने अब किसानों को फूड प्रोसेसिंग के साथ-साथ कौशल प्रशिक्षण देना चालू किया है, जिससे वो अपने उत्पादों को अच्छे ढंग से प्रस्तुत कर सकें. इस काम के लिए एपीडा ने 80 नए उद्यमी, निर्यातक, किसान उत्पादक संगठन (FPO) और किसान उत्पादक कंपनी (FPC) जैसी परियोजनाएं भी चलाई हैं.


एपीडा का है अहम रोल
भारतीय कृषि उत्पादों की ब्रांडिग, मार्केटिंग और विदेशों तक पहुंच आसान बनाने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) का सबसे अहम रोल है. ये संस्था किसानों के कृषि उत्पादों को विदेशों तक निर्यात करने में मदद कर रही है. कृषि उत्पादों को कैसे रिप्रजेंट करना है, इस बात का भी खास ख्याल रखा जा रहा है.एपीडा अपनी कृषि निर्यात नीति के तहत राज्यों को अपने खास कृषि उत्पादों के उत्पादन और निर्यात क्षमता को विकसित करने के लिए प्रेरित कर रही है. एपीडा की इस कृषि निर्यात नीति का मोटिव भी कृषि उत्पादकों और प्रसंस्करण यूनिट्स तक खरीददारों की पहुंच को सुनिश्चित करके एक मंच प्रदान करना है. इस योजना का फायदा ना सिर्फ पूर्वोत्तर के किसानों को, बल्कि देशभर के कृषि उत्पादकों को मिलेगा.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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