IMD Advisory: पिछले दिनों अचानक मौसम में बदलाव और बेमौसम बारिश ने किसानों की मुसीबतें बढ़ा दी  हैं. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, हरियाणा और पंजाब के कई इलाकों में आंधी, बारिश और ओलावृष्टि के कारण लाखों हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गईं. गेहूं की फसलें खेत में बैठ गई तो तेज बारिश के चलते सारा सरसों खेत में ही झड़ गया. मौसम में अनिश्चितकालीन बदलावों से हुए नुकसान के लिए केंद्र और राज्य सरकारें ने मुआवजे का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन किसानों की मुसीबतें यही खत्म नहीं होतीं. एक बार फिर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने 29, 30 और 31 मार्च के लिए पूर्वानुमान जारी कर दिया है.


मौसम विभाग की मानें तो राजस्थान में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है, जिसका असर राजस्थान के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों के कुछ इलाकों में भी देखने को मिलेगा. मौसम में हो रहे इस बदलाव से शहरों में तो गर्मी से राहत मिलेगी, लेकिन इससे किसानों की चिंताएं बढ़ती नजर आ रही हैं.


कब-कहां बरसेंगे बादल


भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की ओर जारी एडवायजरी के मुताबिक, 30 मार्च को राजसथान में एक बार फिर ओलावृष्टि के आसार नजर आ रहे हैं. वहीं 30-31 मार्च को दिल्ली में भी दोबारा गरज के साथ बादल बरसने की संभावनाएं हैं. वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा में भी मार्च के अंतिम दो दिनों में बारिश होने पूरी संभावनाएं हैं. 


किसानों के लिए जारी की एडवायजरी


मौसम में हो रहे इन अनिश्चितकालीन बदलावों का सबसे बुरा असर खेती-किसानी पर ही देखने को मिल रहा है. कई इलाकों में गेहूं, सरसों और चना की फसल बर्बाद होने से किसान आर्थिक संकट में पड़ गए हैं. एक बार फिर प्रकृति में वैसी ही परिसिथितियां बन रही हैं, इसलिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने किसानों के लिए एडवायजरी जारी कर दी है.


यदि किसानों की गेहूं, आलू, सरसों, चना या अन्य दलहनी फसलों की उपज खेत में खुली रखी है तो किसी सुरक्षित जगह ले जाकर भंडारण करें. कृषि मंडियों में खुले पड़े अनाजों को भी सुरक्षित शेड में ले जाएं. पछेती फसलों में सिंचाई और कीटनाशकों का छिड़काव मौसम साफ होने पर ही करें.


बारिश जैसी परिस्थिति नजर आने पर कटाई, सिंचाई और छिड़काव का काम टाल दें. इस दौरान किसान अपना भी खास ख्याल रखें. पेड़, खंभों और जल स्रोतों से दूरी बनाए रखें. मेघगर्जन और आकाशीय बिजली चमकने पर जल्द सुरक्षित स्थान पर शरण लें.


किन फसलों पर पड़ेगा बुरा असर


गेहूं रबी सीजन की प्रमुक खाद्यान्न फसल है. इस समय गेहूं फसल की पककर लगभग तैयार हो चुकी है. कई इलाकों में गेहूं की कटाई चल रही है तो कहीं अभी पछेती फसलें खेतों में खड़ी हैं. अब यदि मौसम का सितम ऐसे ही जारी रहा तो बचे कुचे गेहूं की क्वालिटी खत्म हो सकती है. पहले भी गेहूं की फसल के दानों में सिकुड़न पैदा हो चुकी है. इसका सीधा मतलब है वजन के साथ-साथ गेहूं से मिलने वाले पोषण में कमी.


वैसे तो गेहूं को छोड़कर देश के ज्यादातर इलाकों में सरसों और चना की फसलों की कटाई पूरी हो चुकी हैं, लेकिन मक्का, मूंग, उर्द और मूंगफली के खेतों में पानी भरने के कारण अंकुरण बिगड़ सकता है. कई जगह बारिश से आम के बौर झड़ने की भी खबरें आ रही थीं.


तेज बारिश के बाद कई इलाकों में आलू की खुदाई भी नहीं हो पाई थी. अभी भी कुछ बागवानी फसलें खेतों में लगी हैं. यदि समय पर पुखता इंतजाम कर लिए जाएं तो फसलों को बारिश के संकट से बचाया जा सकता है.


ये बारिश सिर्फ किसानों के लिए ही नहीं, हमारी खाद्य सुरक्षा पर भी सीधा वार करती है. पिछले दिनों जारी हार्वर्ड टी-एच.चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की रिपोर्ट से पता चला है कि बेमौसम बारिश के चलते फल, सब्जी, अनाजों के पोषक तत्व कम हो जाते हैं.


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