Rapeseed Export: भारत को तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार कई योजनाओं पर काम कर रही है. इस बीच दूसरे देशों को तेल की खली का निर्यात बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. वहीं देश से तिलहनी फसल तोरिया का निर्यात भी बढ़ गया है. हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष 2022 में अप्रैल से अक्टूबर के बीच तेल की खली का निर्यात 38.45 प्रतिशत से बढ़कर 19.84 लाख टन पर पहुंच गया है.
बता दें कि भारत के साथ-साथ दूसरे देशों में भी तेल की खली का इस्तेमाल पशु आहार (Animal Feed) के तौर पर किया जाता है. वहीं तेल उद्योग के प्रमुख संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि तेल की खली के निर्यात में ग्रोथ के लिए रैपसीड खली यानी तोरिया की बढ़ती मांग और विदेशी निर्यात (Rapeseed Export) ही प्रमुख वजह है.
बढ़ गई तोरिया की खली की डिमांड
आकड़ों की मानें तो पिछले साल देश ने करीब 14.33 लाख टन तेल की खली का निर्यात किया था. इस साल के निर्यात पर एसईए ने बताया कि अप्रैल-अक्टूबर 2022 के बीच कुल खली निर्यात में से रैपसीड यानी तोरिया की खली का निर्यात दोगुना हो गया. यह पिछले साल 6.58 लाख टन तक ही सीमित था, लेकिन इस साल 13.41 लाख टन निर्यात रिकॉर्ड हुआ है. एसईए की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अच्छे उत्पादन और पेराई के चलते ही इस जिंस की उपलब्धता बढ़ गई है, जिससे रैपसीड मील के निर्यात में भी तेजी रिकॉर्ड हुई है.
इन देशों को हुआ निर्यात
भारत से तेल की खली मंगवाने वाले प्रमुख देशों में दक्षिण कोरिया, वियतनाम, थाइलैंड, बांग्लादेश और ताइवान का नाम शामिल है. इस समय देश को 295 डॉलर प्रति टन एफओबी (बोर्ड पर माल ढुलाई) के आधार पर रैपसीड मील के बड़े आपूर्ति कर्ता के तौर पर देखा जाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, रैपसीड मील हैम्बर्ग का मिल पर भाव 363 डॉलर प्रति टन है. चालू वित्त वर्ष में मूंगफली की खली का निर्यात भी बढ़ा है. अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक के आंकड़े बताते हैं कि मूंगफली की खली का निर्यात बढ़कर 9,632 टन तक पहुंच गया है, जबकि पिछले साल देश से 1,390 टन तक एक्सपोर्ट ही दर्ज किया गया था.
इन तिलहनों का घटना निर्यात
देश ने बेशक तोरिया और मूंगफली की ऑइल मील के अच्छे ग्राहक बना लिए हों, लेकिन देश से कुछ तिलहन खलियों का निर्यात कम भी हुआ है. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर के बीच सोयाबीन खली का निर्यात 1.62 लाख टन तक ही सीमित रह गया है, जबकि पिछले साल देश से 1.76 लाख टन सोयाबीन मील का निर्यात हुआ, जिसमें इस साल गिरावट दर्ज हुई है. चावल छिलका खली का निर्यात पहले भी घटकर 2.81 लाख टन रह गया है, जो पहले 4.01 लाख टन था. वहीं. अरंडी खली के निर्यात में भी गिरावट दर्ज हुई है. पिछले साल 1.96 लाख टन अरंडी खली का निर्यात हुआ था, जो इस साल 1.89 लाख टन तक सीमित हो गया है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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