CBG plant Vikramganj: खेतों में जलती पराली से ना सिर्फ पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि लोगों की सेहत भी बिगड़ती जा रही है. इस परेशानी को जड़ से खत्म करने के कई प्रयास किए जा रहे हैं, जिनसे इन घटनाओं में कुछ कमी आई है, लेकिन पराली जलनी (Stubble Burning) बंद नहीं हुई है. बिहार सरकार ने इस समस्या का तोड़ निकाल लिया है. राज्य में किसानों से 1200 से 1500 रुपये बीघा की दर से पराली खरीदी जा रही है, जिससे पर्यावरण को भी नुकसान ना हो और किसानों की आमदनी भी बढ़ जाए. इस पराली का इस्तेमाल सीएनजी जैसा ही एक सीबीजी ईंधन बनाने के लिए किया जाएगा. इस ईंधन को खरीदने के लिए इंडियन ऑइल तैयार है. ये ईंधन पुआल और गोबर के मिश्रण से तैयार किया जाएगा, जिसे बनाने के लिए कई देशों से मशीनें भी मंगवाई गई है. राज्य सरकार इस काम के लिए रोहतास जिले के विक्रमगंज में प्लांट भी बना रही है.
30 करोड़ की लागत से बन रहा प्लांट
खेतों में पराली भी ना जले और किसानों को मुनाफा भी हो. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए 30 करोड़ की लागत से विक्रमगंज में प्लांट बनाया जा रहा है. अनुमान है कि यहां रोजाना 20,000 किलो पराली और 10,000 किलो गोबर से 3,000 किलो कंप्रेस्ट बायोगैस (CBG Fuel) बनाया जाएगा. इस ईंधन का इस्तेमाल वाहनों में होगा, इसलिए इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन (Indian Oil Corporation) ने सीबीजी ईंधन खरीदने का एग्रीमेंट कर लिया है.
रिपोर्ट्स की मानें तो इतनी बड़ी मात्रा में पराली की खपत को पूरा करने के लिए अभी से भंडारण चल रहा है. राज्य में करीब दो हजार बीघा से 2,000 टन पराली जमा की जा चुकी है. प्लांट के सुचारु क्रियान्वयन के लिए इस सीजन में 8 से 10 हजार टन पराली को इकट्ठा करने का प्लान है.
इन देशों से आईं मशीनें
बता दें कि विक्रमगंज का सीबीजी प्लांट बैंगलुरु के इंजीनियर उत्कर्ष लगा रहे हैं, जिन्होंने नौकरी छोड़ इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है. उत्कर्ष ने बताया कि पराली जलने से प्रदूषण की समस्या भी बढ़ रही है. इस पर रिसर्च किया तो पता चला कि सीबीजी प्लांट इसका अच्छा समाधान है, जो पर्यावरण को सुरक्षा और किसानों को रोजागर प्रदान करेगा.
विक्रमगंज के सीबीजी प्लांट में अप्रैल 2023 से सीबीजी का उत्पादन चालू करने का प्लान है. इसके लिए जर्मनी, बेल्जियम और इटली से मशीनें मंगवाई गई है. इस सीबीजी ईंधन को बनाने के लिए पुआल और गोबर के अलावा गेहूं और मक्का के फसल अवशेष, आलू के तने-पत्तियां और मुर्गी फार्म के अपशिष्टों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
- इस प्लांट से किसानों को पराली की सही कीमत मिलेगी और पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगेगा.
- इस प्लांट में सीबीजी ईंधन के साथ जैविक खाद भी तैयार होगी, जिससे खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने में इस्तेमाल किया जाएगा.
- यहां बचे-कुचे अपशिष्ट से ऑर्गेनिक लिक्विड बनने की भी योजना है, जिससे सीधा 100 लोगों को रोजगार मिलेगा.
पराली जलाने पर योजनाओं से वंचित हुए किसान
विक्रमगंज, रोहतास जिले के तहत आता है, जहां पराली जलाने के काफी घटनाएं सामने आईं है. पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ राज्य सरकार ने भी सख्त कदम दिखाई. इसी का नतीजा है कि साल 2019 से 2022 तक राज्य के 6066 किसानों को कृषि विभाग ने ब्लैकलिस्ट कर दिया है, इनमें 2273 किसान अकेले रोहतास जिले से आते हैं, जिन्हें अब पीएम किसान जैसी तमाम कृषि योजनाओं से कोई पैसा या लाभ नहीं दिया जाएगा.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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