Subsidy on Farming: किसानों की कमाई में चार चांद लगा देंगे भारतीय मसाले, खेती के लिये 50% सब्सिडी देगी सरकार
Subsidy on Spices: मसालों की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिये अच्छी किस्म के बीजों का ही इस्तेमाल करें, जिससे कि उपज अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरी उतर सके.
Financial Support for Spices Cultivation: भारत के मसालों की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काफी मांग रहती है, यही कारण है कि अब भारत की सरकार मसालों की खेती के लिये किसानों को हर तरीके से प्रोत्साहन दे रही है. मसालों की खेती में बेहतर उत्पादन हासिल करने के लिये किसानों को 50 फीसदी तक की सब्सिड़ी दी जा रही है. जिससे मसालों की खेती का खर्च किसानों पर भारी न पड़े और किसान कम लागत में ही अच्छा मुनाफा कमा सकें. क्योंकि उत्पादन बढेगा तो मसाले के निर्यात को भी बढ़ाया जा सकेगा. हालांकि कई किसान पुराने समय से ही मसालों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन अब इस योजना से जुड़ने के लिये नये किसानों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. किसान चाहें तो मसालों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
ये मसाले बना सकते हैं लखपति
भारत में उगाये जाने वाले मसाले खाने का ज़ायका तो बढ़ाते ही है, साथ ही ये मानव स्वास्थ्य के लिये भी बहुत जरूरी हैं. विदेशों में सभी मसालों की मांग नहीं रहती. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ज्यादातर जीरा, हल्दी, मिर्च, अदरक, लहसुन, सौफ, धनिया और मेथी की मांग होती है. इसलिये किसान निर्यात की क्वालिटी और बाजार मांग के हिसाब इन मसालों को उगा सकते हैं. मसालों की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिये अच्छी किस्म के बीजों का ही इस्तेमाल करें, जिससे कि उपज अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरी उतर सके. जानकारी के लिये बता दें कि साल 2020-21 के दौरान भारत में मसालों के निर्यात में 10% की बढ़त दर्ज की गई है. इस दौरान करीब 16 लाख टन मसाले दूसरे देशों में निर्यात किये गये हैं.
सरकार करेगी सहायता
देश में मसालों के उत्पादन को बढ़ाने और किसानों को मसाले की खेती के प्रति प्रोत्साहित करने के लिये सरकार ने कई योजनायें लागू की हैं तो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से किसानों की मदद करती हैं. इनमें एकीकृत बागवानी विकास मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और राष्ट्रीय बागवानी मिशन आदि शामिल है. इन योजनाओं से खेती की लागत को कम करने में खास मदद मिलती है. इतना ही नहीं, ये योजनायें मसालों की खेती के साथ-साथ इसके प्रसंस्करण के लिये आर्थिक सहायता देती हैं.
राष्ट्रीय बागवानी मिशन
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत मसालों की जैविक खेती करने वाले किसानों को 50% तक की सब्सिड़ी और ट्रेनिंग देने का प्रावधान है.
- वहीं मसालों के स्टोरेज के लिये करीब 4 करोड़ रुपये तक की आर्थिक सहायता मिल सकेगी.
- मसालों की खेती और प्रसंस्करण यूनिट लगाने के लिये 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और 40% तक सब्सिड़ी दी जाती है.
- प्रसंस्करण से पहले मसालों की छंटाई, ग्रेडिंग और शॉर्टिंग के लिये करीब 50 लाख रुपये तक का खर्च आता है, जिसमें सरकार से 35% सब्सिडी मिल जाती है.
- अंतर्राष्ट्रीय मानकों के हिसाब से मसालों की पैकेजिंग में 15 लाख रुपये तक का खर्च आता है, जिसमें किसानों को 40% तक सब्सिड़ी का प्रावधान है.
- वहीं मसालों की खेती में खर्च को कम करने के लिये भी 40% सब्सिड़ी और 5500 रु./है. के हिसाब से आर्थिक सहायता की प्रावधान है.
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