International Camel Festival: ढ़ोल की थाप पर ठुमक-ठुमक कर नाचते ऊंट देखे हैं कभी? बीकानेर के ऊंट फेस्टिवल में दिखे कमाल के करतब
Camel Dance: बीकानेर में आयोजित इंटरनेशनल ऊंट फेस्टिवल ने इन दिनों खूब सुर्खियां बटोरी हैं. यहां ऊंट के भांगड़ा नाच से लेकर ऊंच की दौड़,करतब, सजावट प्रतियोगिता ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा.

Camel Festival: ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है. राजस्थान-गुजरात से सटे रेगिस्तानी इलाकों में रहने वाले लोगों के जीवन में ऊंट का भी उतना ही रोल है, जितना अन्य मैदानी इलाकों में गाय, भैंस, बकरी का. ऊंट भी एक दुधारु पशु है, जिसके दूध में मेडिसिनल प्रोपर्टीज होती है, लेकिन इसे पालने में अब लोगों की रुचि कम होती जा रही है. इस पशु के अस्तित्व को कायम रखने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें भी लगातार प्रयासरत हैं. राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केंद्र, बीकानेर में इनका संरक्षण-संवर्धन किया जा रहा है. राजस्थान में ऊंट पालन के लिए अनुदान भी दिया जाता है.
हर साल ऊंटों के लिए विशेष अंतर्राष्ट्रीय ऊंच फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है, जहां ऊंट पशुपालक इकट्ठा होते हैं और तमाम प्रतियोगिता के जरिए ऊंटों की खूबियों से परिचय करवाते हैं. इस साल बीकानेर में आजोजित ऊंट फेस्टिवल में भी कुछ ऐसे ही नजारे देखने को मिले और सुर्खियां बन गए.
ऊंटों के करतब ने खींचा सभी का ध्यान
इंटरनेशनल कैमल फेस्विटवल में ऊंटों की प्रदर्शियों ने सभी का मन मोह लिया. जहां-तहां सोशल मीडिया पर अब कलाकृतियों से सजे ऊंटों के करतब और ऊंटों के डांस के वीडियो वायरल हो रहे हैं.
ढोल की थाप पर ऊंटों ने खूब ठुमके लगाए. ये ऊंट अपने मालिक, पशुपालक या ट्रेनर के इशारों पर थिरक रहे हैं, जिन्हें काफी पहले ही इसकी ट्रेनिंग दी जाती है.
ऊंटों को सजाने, दौड़, डांस आदि प्रतियोगिताओं और आयोजनों का एक ही मकसद इन पशुओं के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना है. इसके लिए राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान संस्थान ने तकनीकी सेशन का भी आयोजन करता है.
Camel dance in International Camel festival.#Bikaner#camelfestoval pic.twitter.com/1KRMWCOAAw
— Rajender Kumar Sen (@RajenderMedia) January 14, 2023
क्या कुछ रहा खास
इंटरनेशनल ऊंट फेस्टिवल को लेकर राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केंद्र के कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि बदलते परिवेश में ऊंट पशुपालक, किसान और आम जनता के हित के लिए नई तकनीक और नवाचार किए जा रहे हैं. इनका ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार होना चाहिए, जिससे ऊंट पालने वालों को इसका लाभ मिल सके और उनकी आमदनी बढ़े.
वहीं केंद्रीय निदेशक डॉ साहू ने कहा कि ऊंटों के संवर्धन के लिए केंद्र हर अवसर का सदुपयोग करना चाहता है. इस बीच बीकानेर जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग ने राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केंद्र को ऊंट दौड़, ऊंट नाच, सजावट और ऊंट फर कटिंग प्रतियोगिता के लिए चुना ये काफई अहमियत रखता है.
इन आयोजन की मदद से लोग ऊंट की खूबियों से रूबरू हो पाएंगे. साथ ही, हमारी कला, संस्कृति और विरासत विदेशी पर्यटकों के बीच पहुंचेगी. इससे ऊंट पालन के क्षेत्र में रोजगार का सृजन होगा.
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— Laxman Raghav (@kunwarraghav) January 14, 2023
जानकारी के लिए बता दें कि भारत में सबसे ज्यादा ऊंट पालन राजस्थान और गुजरात में ही किया दा रहा है. इंटरनेशनल ऊंट महोत्सव का प्रमुख मकसद है ऊंट पालन, इसे प्रजनन और प्रशिक्षण की सदियों पुरानी परंपरा को आगे ले जाना है. ऊंट राजस्थान की शाही सवारी तो है ही, कला और संस्कृति के लिहाज से भी इसे हर एक तस्वीर में जगह मिलती है. ये जानवर कई दिनों तक बिना पानी के अपना गुजर-बसर कर सकता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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